साइंटिस्ट के रूप में बनाना चाहते हैं करियर, तो जानें कैसी करनी होगी तैयारी
यर काम करते हैं। एस्ट्रोनॉमी यानी स्पेस साइंस एक ऐसा सेक्टर है जिसको भविष्य में चुनौतीपूर्ण और तरक्की के अवसरों वाले रोजगार क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दो दिन पहले श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) से भारत के दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग की इन दिनों दुनियाभर में चर्चा है। कहा जा रहा है कि इससे अंतरिक्ष में नई खोज
का रास्ता खुलेगा। अगर आपको भी एस्ट्रोनॉमी यानी स्पेस साइंस पसंद है या साइंस विषयों में दिलचस्पी रखते हैं, तो वैज्ञानिक बनने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। भविष्य में इसे चुनौतीपूर्ण और बेहिसाब तरक्की के अवसरों वाले क्षेत्र के तौर पर भी देखा जा रहा है...
चपन में खौलती चाय में उठते बुलबुले उन्हें बहुत आकर्षित करते थे। सोचते थे कि कैसे चाय में बुलबुले बनते हैं और कहां खो जाते हैं? इसके लिए वह चाय में थर्मामीटर डालकर उसकी जांच करते। इन शैतानियों के लिए अक्सर घरवालों से डांट भी पड़ती थी। लेकिन यह उनकी अलग सोच ही थी, जिसने उन्हें वैज्ञानिक बनने की दिशा में आगे बढ़ाया और आज वह इसरो में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के बदायूं निवासी सतपाल अरोड़ा की।
चंद्रयान-2 में इन्होंने भी अहम भूमिका निभाई है। उनकी इस कामयाबी से पूरे इलाके में खुशी का माहौल है।दरअसल, चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन पर आज हर किसी को नाज है। इस समय भारत सहित पूरी दुनिया में इसके वैज्ञानिकों की वाहवाही हो रही है। इसलिए कि चंद्रयान-2 पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इससे पहले किसी भी देश ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग नहीं की है। इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन भारत की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी है। इसका मुख्य काम है अंतरिक्ष के क्षेत्र में शोध करना।
इसरो में करीब 16 हजार वैज्ञानिक और इंजीनियर काम करते हैं। एस्ट्रोनॉमी यानी स्पेस साइंस एक ऐसा सेक्टर है, जिसको भविष्य में चुनौतीपूर्ण और तरक्की के अवसरों वाले रोजगार क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है। यदि आप भी विज्ञान में रुचि और जिज्ञासा रखते हैं और समाज, राष्ट्रहित में काम करते हुए अपनी पहचान बनाना चाहते हैं, तो वैज्ञानिक के रूप में आगे बढ़ सकते हैं। विज्ञान के नए अनुसंधानों ने युवाओं के लिए इस क्षेत्र में करियर की और भी ज्यादा नई राहें खोल दी हैं।
तेजी से बढ़ती संभावनाएं
सरकार की ओर से अधिक से अधिक अंतरिक्ष अभियानों और वैज्ञानिक शोध कार्यों को प्रोत्साहित किए जाने के कारण देश में इन दिनों बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों की जरूरत देखी जा रही है। आने वाले समय में इस सेक्टर में और ज्यादा संभावनाओं की उम्मीद है। दरअसल, स्पेस वॉर की बढ़ती संभावनाओं से निपटने के लिए सभी बड़े देश नई तकनीक ईजाद करने पर अधिक जोर दे रहे हैं। क्योंकि भविष्य में स्पेस टेक्नोलॉजी ही सुरक्षा की गारंटी बनेगा। अगर अवसर की बात करें, तो एस्ट्रोनॉमी में डिग्री हासिल करने वाले युवाओं के पास कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में टीचिंग के अलावा इसरो, डीआरडीओ, एचएएल व अमेरिका के नासा जैसे संस्थानों में जॉब की असीम संभावनाएं हैं। कॉमशिर्यल एवं नॉन-कॉमर्शियल रिसर्च, डेवलपमेंट ऐंड टेस्टिंग लेबोरेटरी, वेधशालाओं आदि में भी जॉब पा सकते हैं।
कैसे पाएं एंट्री
इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) का नाम अक्सर हम पढ़ते-सुनते रहते हैं। आए दिन यहां से कोई न कोई उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा जाता है। चंद्रयान-2 जैसे दूसरे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर भी यहां काफी समय से काम चल रहा था, जिसके लिए बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स की सेवाएं ली गईं। इसरो में खासतौर से आइआइटी, एनआइटीज तथा अन्य प्रमुख संस्थानों से सांइस ग्रेजुएट व पोस्टग्रेजुएट स्टूडेंट्स को चयन में प्राथमिकता दी जाती है। अगर आप किसी अन्य इंस्टीट्यूट से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, रेडियो/मैकेनिकल इंजीनियरिंग या फिर फिजिक्स में डिग्रीधारी हैं, तब भी यहां वैज्ञानिक बनने का अवसर पा सकते हैं, बशर्ते आपका एकेडमिक रिकॉर्ड बहुत अच्छा होना चाहिए।
इसरो के सेंट्रलाइज्ड रिक्रूटमेंट बोर्ड (आइसीआरबी) द्वारा वैज्ञानिकों के चयन के लिए समय-समय पर एग्जाम आयोजित किया जाता है। इस एग्जाम में शामिल होने की योग्यता के तौर पर बीई/बीटेक में कम से कम 65 प्रतिशत अंक होना जरूरी होता है। यह एग्जाम दो चरणों में होता है। पहले चरण में लिखित परीक्षा और दूसरे चरण में इंटरव्यू होता है। इसे पास करने के बाद आप इसरो में जूनियर साइंटिस्ट या जूनियर इंजीनियर के रूप में अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं।
कोर्स एवं योग्यता
स्पेस साइंस में अपना करियर बनाने के लिए आपके पास बारहवीं में गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान जैसे विषय होने चाहिए। इसके बाद आप स्पेस साइंस में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, पीएचडी कर सकते हैं।
आयु सीमा
वैज्ञानिक बनने के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती है। आप कभी भी किसी नई चीज का आविष्कार कर सकते हैं। लेकिन आमतौर पर वैज्ञानिक शोध कार्यों के लिए कम उम्र के लोगों को ही लिया जाता है। इसके लिए 20 से 40 साल तक उम्र होनी चाहिए।
सैलरी पैकेज
वैज्ञानिक गु्रप ए श्रेणी के अधिकारी होते हैं। किसी भी नये वैज्ञानिक को शुरुआत में 40 से 60 हजार रुपये तक सैलरी मिलती है।
वैज्ञानिक बनने के अन्य विकल्प
यदि आप वैज्ञानिक बनना चाहते हैं, तो स्पेस साइंस के अलावा और भी कई विकल्प हैं। शोध कार्यों की जरूरत देखते हुए पीसीएम और बॉयोलॉजी विषयों से पढ़ाई करके इसरो की तरह ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), परमाणु अनुसंधान, कृषि अनुसंधान,पृथ्वी विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरण एवं चिकित्सा विज्ञान जैसे दूसरे क्षेत्रों में भी वैज्ञानिक बन सकते हैं।