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यूपी बोर्ड : इस वर्ष कालिदास के रघुवंश महाकाव्य के श्लोक नहीं पढ़ सकेंगे इंटरमीडिएट के विद्यार्थी

इस बार यूपी बोर्ड ने कोरोना संक्रमण के कारण हर विषय का पाठ्यक्रम 30 प्रतिशत कम किया है। उसमें संस्कृत विषय से रघुवंश महाकाव्य के दस श्लोक हटा दिए गए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 09:12 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 12:35 PM (IST)
यूपी बोर्ड : इस वर्ष कालिदास के रघुवंश महाकाव्य के श्लोक नहीं पढ़ सकेंगे इंटरमीडिएट के विद्यार्थी
यूपी बोर्ड : इस वर्ष कालिदास के रघुवंश महाकाव्य के श्लोक नहीं पढ़ सकेंगे इंटरमीडिएट के विद्यार्थी

प्रयागराज, जेएनएन। श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन अगले माह होने जा रहा है। आदिकवि वाल्मीकि ने राम को नायक बनाकर रामायण रची। ठीक वैसे ही कालिदास ने रघुवंश महाकाव्य लिखा। इस महाकाव्य में रघु के कुल में जन्मे 29 राजाओं में रघु के अलावा दशरथ, राम व लव-कुश आदि का वर्णन है लेकिन, राम का विशद वर्णन है। महाकाव्य के कुछ श्लोक उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) में इंटरमीडिएट के विद्यार्थी पढ़ते रहे हैं। इस बार यूपी बोर्ड ने कोरोना संक्रमण के कारण हर विषय का पाठ्यक्रम 30 प्रतिशत कम किया है। उसमें संस्कृत विषय से इस महाकाव्य के दस श्लोक हटा दिए गए हैं। वेबसाइट पर अपलोड संशोधित पाठ्यक्रम में रघुवंश के श्लोक हटने से चकित हैं।

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यूपी बोर्ड ने सीबीएसई की तर्ज पर कक्षा नौ लेकर 12 तक के सभी विषयों में 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम में कटौती की है। डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने इसका ऐलान पिछले सप्ताह ही किया था लेकिन, वेबसाइट पर घटा पाठ्यक्रम सोमवार रात अपलोड हुआ। इंटरमीडिएट के नागरिक शास्त्र विषय में समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व, भारत-अमेरिका संबंध आदि विषय हटाए गए हैं। वहीं स्वतंत्र भारत में राजनीति के अध्याय में राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, कांग्रेस की गठबंधनीय प्रकृति, नेहरू के बाद की राजनीतिक परिपाटी, गैर कांग्रेसवाद, कांग्रेस का विभाजन जैसे पाठ हटाए गए हैं।

इसी तरह से सैन्य विज्ञान में राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, भौतिक विज्ञान में विद्युत चुंबकीय तरंगे, रसायन विज्ञान में दैनिक जीवन में रसायन विज्ञान, बहुलक, जीव विज्ञान में आनुवांशिकी विकास, पारिस्थितिकी व पर्यावरण, वाणिज्य में बैकिंग व्यवसाय व संगठन, ऋण लेने के लिए दी जाने वाली जमानत, भारतीय बैकिंग रूपरेखा, इतिहास में हड़प्पा सभ्यता, उर्दू में मिर्जा गालिब के खुतूत, अंग्रेजी में सोशल एक्सपीरियंस और कंप्यूटर में साफ्टवेयर प्रोग्रामिंग आदि की पढ़ाई छात्र-छात्राओं को नहीं करनी हैं।

हिंदी के गद्य व पद्य के चर्चित रचनाकार किनारे : इंटर में गद्य में जैनेंद्र कुमार, कन्हैयालाल मिश्र, साहित्य में भीष्म साहनी, शिवानी, पद्य में मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामधारी सिंह दिनकर व हरिशंकर परसाई। हाईस्कूल में सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, माखनलाल चतुर्वेदी, केदारनाथ सिंह, अशोक बाजपेयी की कुछ रचनाएं हटाई गई हैं।

सिर्फ इसी वर्ष के लिए पाठ्यक्रम बदला : बोर्ड सचिव दिव्यकांत शुक्ल का कहना है कि पाठ्यक्रम में संशोधन सिर्फ शैक्षिक सत्र 2020-21 के लिए है। आगे सभी को फिर पूरा पाठ्यक्रम पढ़ना है। किताबों में कोई बदलाव नहीं है। बोले, पाठ्यक्रम में रचनाकार या विषय का पूरा हिस्सा नहीं हटाया गया है बल्कि कुछ अंश सहूलियत के हिसाब से कम किए गए हैं।


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