UDISE+ Report 2019-20: वरिष्ठ कक्षाओं में लैंगिक समानता के मामले में राजस्थान के स्कूल आखिरी स्थान पर, पढ़ें डिटेल
UDISE+ Report 2019-20 सकल नामांकन अनुपात के लिए जीपीआई स्कूलों में नामांकित लड़कों के लिए लड़कियों का अनुपात है और शिक्षा के सापेक्ष पहुंच का एक माध्यम है। 1 से कम का जीपीआई दर्शाता है कि स्कूल तक पहुंच के मामले में लड़कियां लड़कों की तुलना में अधिक वंचित हैं।
UDISE+ Report 2019-20: यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) की रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार, राजस्थान के स्कूल उच्च माध्यमिक स्तर पर लिंग समानता सूचकांक (GPI) में आखिरी स्थान पर हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में जारी वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में 11वीं से 12वीं कक्षा के लिए जीपीआई मान 0.87 है, जो इस कटेगरी के राष्ट्रीय औसत 1.04 से काफी कम है।
बता दें कि सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) के लिए जीपीआई स्कूलों में नामांकित लड़कों के लिए लड़कियों का अनुपात है और शिक्षा के सापेक्ष पहुंच का एक माध्यम है। 1 से कम का जीपीआई दर्शाता है कि स्कूल तक पहुंच के मामले में लड़कियां लड़कों की तुलना में अधिक वंचित हैं। रिपोर्ट बताता है कि राजस्थान में जीपीआई मान माध्यमिक स्तर (कक्षा 9-10) के लिए 0.89 है, जो गुजरात के बाद देश में दूसरा सबसे कम है। गुजरात का जीपीआई मान इसी श्रेणी में 0.86 है। वहीं, 0.94 पर, राजस्थान में उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए जीपीआई मान भी लक्षद्वीप के बाद दूसरा सबसे कम है। लक्षद्वीप में इस स्तर के लिए जीपीआई मान 0.92 है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कक्षा 1-5 और कक्षा 1-8 के लिए राजस्थान का जीपीआई वैल्यू क्रमशः 1.01 और 0.99 पर बेहतर है। अन्य मापदंडों में, रिपोर्ट से जानकारी मिलती है कि प्री-प्राइमरी से कक्षा 12 तक के स्कूलों में 1.79 करोड़ स्टूडेंट्स ने नामांकन लिया है। कुल नामांकन के मामले में राजस्थान देश में पांचवें स्थान पर है। 4.58 करोड़ स्टूडेंट्स के साथ, उत्तर प्रदेश में देश में सबसे अधिक नामांकन है।
वहीं, सरकारी स्कूलों में सबसे अधिक नामांकन के मामले में भी राजस्थान पांचवें स्थान पर है। UDISE+ रिपोर्ट के मुताबिक, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर राजस्थान में ड्रॉपआउट रेट क्रमशः 2.9, 1.5 और 12.3 प्रतिशत है। जबकि, प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर लड़कों के बीच ड्रॉपआउट की रेट लड़कियों की तुलना में अधिक है। इसके अलावा, उच्च प्राथमिक स्तर पर लड़कियों की ड्रॉपआउट की दर लड़कों की तुलना में दोगुने से अधिक है।