जीवन का उद्देश्य स्कूल जाकर नंबर लाना ही ना रखें बल्कि अपना टैलेंट पहचानें और वो ही काम करें
देश में तमाम ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने बिना स्कूल गए और अच्छे नंबर लाए ही बाकी दुनिया के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। कई ने तो विश्व रिकार्ड भी बनाया है।
नई दिल्ली [अंशु सिंह]। ऐसा नहीं है कि पढ़ाई के दौरान सिर्फ अधिक नंबर लाने वाले लोग ही जीवन में सफल होते हैं। पढ़ाई के अलावा कई अन्य क्षेत्र भी हैं जहां पर काम करने वाले आम लोगों ने अपना नाम रोशन किया है और दूसरों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
देश में कई जाने-माने ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने पढ़ाई लिखाई के दौरान बहुत अधिक नंबर हासिल नहीं किए मगर वो जो काम कर गए वो एक माइल स्टोन बन गया है। क्रिकेट की दुनिया हो या बॉलीवुड की या फिर कोई और, हर फील्ड में ऐसे तमाम लोग मौजूद हैं जिन्होंने बिना स्कूल गए ही दूसरे लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है।
नंबर नहीं, टैलेंट से पहचान
देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे कि अगर आप एग्जाम में फेल भी हो जाएं, तो कभी हार न मानें, क्योंकि फेल होने का मतलब है सीखने की पहली कोशिश करना (एफएआइएल-फस्र्ट अटेम्प्ट इन लर्निंग)। वे मानते थे कि हर किसी का टैलेंट एक जैसा नहीं होता, लेकिन हर के पास अपने टैलेंट को डेवलप करने के मौके होते हैं। फिर क्यों डरना अंकों से.
सीबीएसई सहित विभिन्न बोर्डों का 10 वीं-12 वीं का परिणाम आने के बाद देश में इन दिनों फिर से अंक प्रणाली को लेकर बहस छिड़ी हुई है। उच्च अंक प्राप्त करने वालों का जश्न मनाया जा रहा है, जिससे कथित तौर पर कम अंक हासिल करने वालों के चेहरे का रंग उड़-सा गया है। लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर ऐसी मिसालों की ढेर लगने लगी।
जिसमें आइएएस अधिकारी से लेकर शीर्ष पदों पर विराजमान लोगों, नव उद्यमियों, सेलिब्रिटीज ने अपने उदाहरण के जरिये स्टूडेंट्स का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की। इन लोगों ने अपनी मार्कशीट शेयर की और बताया कि कैसे 50, 60, 70 फीसद अंक प्राप्त करने के बावजूद उन्होंने जीवन में कामयाबी की बुलंदियां छुईं।
बोर्ड एग्जाम से बड़ी है जिंदगी:
हाल ही में आइएएस अधिकारी नितिन सांगवान (डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर, अहमदाबाद) ने अपने 12 वीं के रिजल्ट की फोटो ट्विटर पर शेयर की। उन्होंने लिखा, मुझे 12 वीं में केमिस्ट्री में 24 नंबर मिले थे, जो पासिंग नंबर से एक ज्यादा था। लेकिन इस नंबर ने तय नहीं किया कि मैं अपनी जिंदगी में क्या बनना चाहता हूं। जिंदगी बोर्ड एग्जाम से बहुत बड़ी है। इसी तरह, आइएएस अधिकारी अवनीश शरण ने भी ट्वीट किया कि उन्हें 10 वीं में मात्र 44 फीसद और 12 वीं में 65 फीसद अंक आए थे।
अंकों से सफलता का संबंध नहीं:
बॉलीवुड अभिनेता आर.माधवन को कौन नहीं जानता। वे सात भाषाओं की फिल्में कर चुके हैं। अदाकारी के अलावा फिल्म लेखन किया है। पेटा से जुड़कर काम करते हैं और कुछ समय से एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी पहचान बना चुके हैं। माधवन ने भी एक पोस्ट के जरिये स्टूडेंट्स को संदेश दिया कि कैसे उन्हें बोर्ड की परीक्षाओं में सिर्फ ५८ प्रतिशत अंक आए थे। लेकिन उन अंकों का सफलता से कोई लेना-देना नहीं रहा।
मार्कशीट से ज्यादा अहम है जिंदगी:
कॉमेडियन वीर दास मानते हैं कि एक स्टूडेंट अपनी मार्कशीट से कहीं ज्यादा अहमियत रखता है। कुछ वर्ष पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी मार्कशीट साझा करते हुए लिखा था, च्लोग हमेशा आपको आपके वर्तमान स्वरूप, व्यक्तित्व में स्वीकार करते हैं, न कि इस बात से कि आपने पूर्व में किसी परीक्षा में कितने अंक लाए। इसलिए कोई भी एग्जाम आपके अंदर छिपी प्रतिभा को नहीं परख सकता।
कॉलेज ड्राप आउट मोटिवेशनल स्पीकर:
एंटरप्रेन्योर के अलावा एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में खास पहचान रखने वाले संदीप माहेश्वरी कॉलेज ड्रॉप आउट रहे हैं। निजी कारणों से उन्होंने डीयू के किरोड़ीमल कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। लेकिन आज यूट्यूब पर इनके लाखों फॉलोवर्स हैं।