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मौजूदा संकट ने स्टूडेंट्स को अपने फैसले बदलने पर कर दिया विवश, अब देश में रहकर करें विदेश से कोर्स

देश से हर साल लगभग 30 लाख स्टूडेंट्स विदेश में पढ़ने के लिए जाते हैं मगर कोरोनाकाल में अब उनको देश में ही रहकर विदेश से कोर्स करना होगा।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 12:11 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 01:11 PM (IST)
मौजूदा संकट ने स्टूडेंट्स को अपने फैसले बदलने पर कर दिया विवश, अब देश में रहकर करें विदेश से कोर्स
मौजूदा संकट ने स्टूडेंट्स को अपने फैसले बदलने पर कर दिया विवश, अब देश में रहकर करें विदेश से कोर्स

नई दिल्ली [अंशु सिंह]। देश के हजारों-लाखों युवा विदेश में पढ़ने का सपना संजोए रहते हैं। एक अनुमान के अनुसार, हर वर्ष करीब 30 लाख स्टूडेंट विदेश पढ़ने के लिए जाते हैं। लेकिन मौजूदा संकट ने स्टूडेंट्स को अपने फैसले बदलने पर विवश कर दिया है। वे अब भारत में रहकर ही उन संस्थाओं को एक्सप्लोर कर रहे हैं, जहां से फॉरेन यूनिर्विसटी के कोर्स किए जा सकें...

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उत्तर प्रदेश के एक किसान के बेटे ने सीबीएसई की १२वीं की परीक्षा में 98 प्रतिशत अंक हासिल किया है और अमेरिका स्थित कॉर्नेल यूनिर्विसटी ने उन्हें फुल स्कॉलरशिप के साथ पढ़ने का मौका दिया है। लेकिन अगले वर्ष से पहले उनके अमेरिका जाने की संभावना कम ही है। दरअसल, स्वास्थ्य को लेकर खतरे एवं आर्थिक चुनौतियों के मद्देनजर बहुत से स्टूडेंट्स ने विदेश जाकर पढ़ाई करने की योजना को लंबे समय के लिए स्थगित कर दिया है। 

उनके पैरेंट्स भी किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहते। क्वैकर्ली साइमंड्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 ने विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक करीब 48 प्रतिशत भारतीय छात्रों के फैसले को प्रभावित किया है। इसी तरह, कई विदेशी मुल्कों में लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों को देखते हुए इससे 70 से 80 प्रतिशत स्टूडेंट्स प्रभावित हुए हैं।

असमंजस में हैं स्टूडेंट्स:

हालांकि, लेवरेजएडु के एक अध्ययन के अनुसार, ऐसे करीब 76 प्रतिशत युवाओं ने उनके प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराया है, जो आने वाले 6 से 10 महीने में विदेश जाकर पढ़ने की योजना बना रहे हैं। लेकिन ऑफर लेटर को लेकर अनिश्चितता, ट्रैवल संबंधी पाबंदियां, स्कॉलरशिप का बंद होना एवं वीजा प्रक्रिया के नियमों में संभावित बदलाव के कारण स्टूडेंट्स का असमंजस खत्म नहीं हो रहा। यही कारण है कि वे देश में रहकर ही अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के पाठ्यक्रम या कोर्सेज को तलाश रहे हैं।

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस फाइनेंस के निदेशक डॉ. जितिन चड्ढा बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों से हमसे काफी स्टूडेंट्स ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कोर्स करने संबंधी जानकारी हासिल की है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अलावा हमने किंग्सटन यूनिर्विसटी से भी हाथ मिलाया है। यहां से स्टूडेंट्स बिजनेस मैनेजमेंट में बीएससी (ऑनर्स) कर सकते हैं। 

कम खर्च पर वैश्विक पढ़ाई:

भारतीय स्टूडेंट्स इन दिनों ऐसे कॉलेजों को एक्सप्लोर कर रहे हैं, जिनका संबद्ध किसी न किसी विदेशी संस्था या यूनिवर्सिटी से हो। इसका एक फायदा यह भी होता है कि स्टूडेंट्स 25 से 30 प्रतिशत कम खर्च में विदेश की डिग्री हासिल कर पाते हैं।

डॉ. जितिन के अनुसार, च्वैसे तो भारत सरकार एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय लगातार ये दावे करते रहे हैं कि भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था को विश्व स्तरीय बनाने का प्रयास जारी है, लेकिन मौजूदा संकट ने उन्हें एक मौका दिया है कि वे स्टूडेंट्स का विश्वास जीतकर दिखाएं। उन्हें बताएं कि भारत में भी क्वालिटी एजुकेशन हासिल करना संभव है।

निजी यूनिवर्सिटीज ने किए टाईअप:

निजी क्षेत्र की ऐसी कई यूनिर्विसटीज हैं, जिन्होंने विदेशी यूनिर्विसटीज के साथ टाई-अप किया हुआ है। उनके सहयोग से वे स्टूडेंट्स को रिसर्च एवं इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जैसे हाल ही में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने ऑस्ट्रेलिया की ला-ट्रोब, र्किटन यूनिवर्सिटी, कैनबरा यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू कासल से टाईअप किया है।

इससे स्टूडेंट्स बिना साल गंवाए सिविल इंजीनियरिंग, कॉमर्स में ग्रेजुएशन, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, बिजनेस इंफॉर्मेटिक्स, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन आदि कोर्सेज में दाखिला ले सकते हैं। क्रेडिट ट्रांसफर बेनिफिट स्कीम के तहत स्टूडेंट्स शुरुआत के एक से दो वर्ष चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करेंगे, जिसके बाद वे ऑस्ट्रेलियाई यूनिर्विसटी से फाइनल ईयर कर पाएंगे।  

शीर्ष बिजनेस स्कूल एवं इंजीनियरिंग संस्थान में मौके: 

हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस देश का एक प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान है, जिसने विभिन्न कोर्सेज के लिए केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, लंदन बिजनेस स्कूल, द फ्लेचर स्कूल, एमआइटी मैनेजमेंट स्लोन स्कूल एवं द वार्टन स्कूल से कोलैबोरेट कर रखा है।

इन कोर्सेज की काफी मांग भी है। इसके अलावा, कई शीर्ष बिजनेस स्कूल्स एवं आइआइटी खड़गपुर, मद्रास, हैदराबाद जैसे अन्य इंजीनियरिंग संस्थान भी फॉरेन यूनिर्विसटीज के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम के माध्यम से स्टूडेंट्स को क्रेडिट आदि प्राप्त करने का अवसर देते हैं। वहीं, ऐसे भी भारतीय शिक्षण संस्थान हैं, जिन्होंने विदेशी यूनिर्विसटीज या संस्थानों के साथ एमओयू साइन किया हुआ है, जिसके तहत वे स्टूडेंट्स एवं फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम संचालित करते हैं। इससे रिसर्च एवं नॉलेज शेयरिंग काफी आसान हो जाती है।

देश में रहकर ग्लोबल एक्सपोजर

डॉ. जितिन चड्ढा (संस्थापक सह निदेशक, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस ऐंड फाइनेंस, दिल्ली) का कहना है कि पहले की अपेक्षा स्टूडेंट्स का विदेश जाकर पढ़ाई करना आसान नहीं रह गया है। मुमकिन है कि अगले वर्ष स्टूडेंट्स यूएस और यूरोप जैसे देशों की बजाय न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाडा या जापान का रुख करें, जिन्होंने कोविड -19 को कहीं बेहतर तरीके से हैंडल किया है।

ऐसे में भारतीय शिक्षण संस्थानों के पास एक अच्छा मौका है कि वे उच्च शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से टाई अप करें, ताकि स्टूडेंट्स देश में रहते हुए ग्लोबल लेवल की शिक्षा प्राप्त कर सकें। इससे छात्रों की सीखने की क्षमता का विकास होगा। वे रिसर्च-इनोवेशन के लिए प्रेरित होंगे। उनकी रोजगार क्षमता भी बढ़ेगी। अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर मिलेगा सो अलग।

काउंसलर

अरुण श्रीवास्तव

counselor@nda.jagran.com

वही पढ़ें जो मन को भाये

सवाल- मैंने अभी 10 वीं पास किया है। सिविल सेवा में जाना चाहता हूं। कृपया बताएं कि मैं 11 वीं में किस स्ट्रीम से पढ़ाई करूं?

- पंकज चौहान, ईमेल से

जवाब- सिविल सेवा का हिस्सा बनने वाले अधिकारियों से विभिन्न विषयों की जानकारी के साथ-साथ अधिकतम सूझबूझ की अपेक्षा की जाती है। जरूरी नहीं कि ज्यादा से ज्यादा अंक हासिल करके ही इस तरह के गुण आएं। इसके लिए खुद को जिज्ञासु बनाए रखते हुए अपनी नॉलेज लगातार बढ़ाते रहने की जरूरत होती है। आप आगे खुद को सिविल सेवा के लिए तैयार करना चाहते हैं, तो वही स्ट्रीम/विषय चुनें जिसमें आपका मन रमे।

सवाल- मैं हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में एमबीए कर रही हूं। इस बात को लेकर दुविधा में हूं कि एमबीए के बाद क्या करना चाहिए? मैं हॉस्पिटल में जॉब करने के साथ पढ़ाई को भी जारी रखना चाहती हूं। कृपया मार्गदर्शन करें। -मेघा पारटे, देवास, मप्र, ईमेल से

जवाब- यह बहुत अच्छी बात है कि आप आगे अपनी जॉब के साथ पढ़ाई करते रहना चाहती हैं। इस साल की शुरुआत में ही केंद्र सरकार ने कई प्रमुख कोर्सों को ऑनलाइन संचालित करने की अनुमति दी है। आप भी जॉब ज्वाइन करने के बाद अपनी योग्यता/नॉलेज को बढ़ाने/अपग्रेड करने वाले किसी प्रामाणिक/उपयोगी ऑनलाइन कोर्स को ज्वाइन कर सकती हैं। 


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