शिक्षा का अधिकार के तहत जारी रहेंगे पब्लिक स्कूलों में दाखिले
पब्लिक स्कूलों में कराए जा रहे दाखिलों को लेकर राज्य सरकार की नीति में बदलाव की तैयारी पर ब्रेक लग गया है। फिलहाल आरटीई के तहत दाखिले जारी रहेंगे।
By Edited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 08:28 PM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 04:09 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकारी खर्च पर पब्लिक स्कूलों में कराए जा रहे दाखिलों को लेकर राज्य सरकार की नीति में बदलाव की तैयारी पर ब्रेक लग गया है। इस संबंध में प्रस्ताव को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। नतीजतन शिक्षा का अधिकार (आरटीई) एक्ट के तहत निजी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं का दाखिला नए शैक्षिक सत्र 2019-20 में जारी रहेगा।
आरटीई एक्ट के तहत पब्लिक स्कूलों में अब तक दाखिल कराए गए हजारों बच्चों की पढ़ाई के खर्च का बोझ राज्य सरकार पर लगातार बढ़ता जा रहा है। एक्ट के अंतर्गत 25 फीसद वंचित, कमजोर तबकों के बच्चों को राज्य के सभी जिलों में पब्लिक स्कूलों में दाखिल कराया गया है। इस खर्च का भुगतान 90:10 के अनुपात में यानी 90 फीसद केंद्र और 10 फीसद राज्य को करना है। केंद्र सरकार से इस मद में राज्य को कम धनराशि ही मिल पाई है। इस वजह से निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को प्रतिपूर्ति में भी बाधा पेश आ रही है।
ये राशि तकरीबन 50 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। राज्य सरकार पहली कक्षा से पहले यानी नर्सरी में भी कमजोर और वंचित वर्गो के बच्चों का दाखिला करा रही है। आरटीई के तहत ऐसे करीब 1.10 लाख से ज्यादा बच्चे प्रदेश के विभिन्न निजी विद्यालयों में अध्ययनरत हैं।
प्रदेश सरकार पर हर साल बढ़ते इस बोझ को कम करने के लिए वित्त विभाग सख्त कदम उठाने को लंबे समय से जोर दे रहा है। इसे देखते हुए शिक्षा महकमे ने भी पंजाब पैटर्न अपनाने पर विचार किया था। इसके तहत निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बजाय आरटीई के तहत सरकारी विद्यालयों में ही दाखिला देने का प्रस्ताव शिक्षा महकमे ने तैयार किया था। इस पर शासन स्तर पर भी मंथन किया गया।
हालांकि सरकार अब इस कवायद से पीछे हटती नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो पहले नगर निकाय चुनाव और अब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार इस अपेक्षाकृत सख्त फैसले पर अमल करने से बच रही है। फिलहाल इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि आरटीई के तहत पब्लिक स्कूलों में निर्धन, कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों को दाखिला देने की योजना अगले सत्र में भी जारी रहेगी।
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