20 साल की उम्र में मासा काटो ने इजाद किया एजुकेशन प्लेटफॉर्म, आज 70,000 यूजर कर रहे इस्तेमाल
2018 में इसने भारत में कदम रखा और अब तक इसके करीब 70 हजार यूजर बन चुके हैं यानी इस प्लेटफॉर्म से प्रोग्रामिंग सीख रहे हैं।
नई दिल्ली [अंशु सिंह]। जापान का शीर्ष ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म है प्रोगेट, जिसकी नींव 20 वर्षीय कॉलेज स्टूडेंट मासा काटो ने 2013 में रखी थी। लेकिन 2018 में इसने भारत में कदम रखा और अब तक इसके करीब 70 हजार यूजर बन चुके हैं यानी इस प्लेटफॉर्म से प्रोग्रामिंग सीख रहे हैं। कंपनी के संस्थापक एवं सीईओ मासा काटो के अनुसार, जापान के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है, भारत जहां कंपनी मौजूदा वर्कफोर्स को अपस्किल करने के साथ ही स्टूडेंट्स को डेवलपर्स के रूप में तैयार करना चाहती है।
मासा मानते हैं कि प्रोग्रामिंग से किसी का भी जीवन बदल सकता है। यह कॉलेज के दिनों की बात है। जापान में बहुत से लोगों ने स्मार्टफोन का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। इसके फलस्वरूप कई लोग एंड्रॉयड एवं आइओएस के लिए एप भी विकसित करने लगे थे। मुझे देखकर हैरानी होती थी कि मेरे जैसे कम उम्र के युवा भी ऐसा कर रहे थे। मैंने अपने मेजर का विषय बदलकर कंप्यूटर साइंस कर लिया, लेकिन प्रोग्रामिंग के प्रैक्टिकल कॉन्सेप्ट्स को समझने में मुश्किलें आईं।
कोडिंग सीखने को लेकर भी दिक्कतें बनी रहीं। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि रियल वर्ल्ड एप्लीकेशंस तैयार करने में अपने ज्ञान का किस तरह इस्तेमाल करूं। मैंने खुद से कोडिंग सीखना शुरू किया और साथ ही उन दोस्तों व युवाओं की मदद करने का फैसला किया, जो कोडिंग सीखना चाहते हैं। इसके बाद ही नींव पड़ी प्रोगेट की। इस प्लेटफॉर्म के जरिये कोई भी स्क्रैच से कोडिंग सीख सकता है। यहां 14 से अधिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और 70 से अधिक कोर्सेज उपलब्ध हैं। चाहें तो प्रोगेट एप से भी सीख सकते हैं।
भारतीय बाजार से मिला रिस्पॉन्स
मैंने जब प्रोगेट का अंग्रेजी वर्जन भारत में लॉन्च किया, तो उसका बेहद उत्साहजनक रिस्पॉन्स मिला। इसके बाद ही मैंने भारतीय बाजार में विस्तार की योजना बनाई। दरअसल, भारत में अन्य देशों की अपेक्षा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को लेकर गहरी दिलचस्पी है।
शैक्षिक संस्थानों के साथ पार्टनरशिप
भारत में हम शैक्षिक संस्थानों के साथ-साथ शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजेज, स्वयंसेवी संगठनों के साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा, कोडिंग बूटकैम्प्स के जरिये भी स्टूडेंट्स को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सिखायी जा रही है, जिससे कि वे जॉब मार्केट के लिए तैयार हो सकें। ताकि कंपनियों को हायरिंग में दिक्कत न आए।
अनुभवों से सीखा
स्क्रैच से शुरू कर किसी चीज को विकसित करने का अनुभव ही अलग होता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। ऐसा लगा कि जिंदगी में पहली बार अपनी स्किल्स से कुछ करके दिखाया, वह किया जो पसंद था।