नौकरी के साथ-साथ करना चाहते हैं पढ़ाई, जानिए आपके पास हैं कौन-कौन से विकल्प
किसी भी ओपन यूनिवर्सिटी से आज की तारीख में डिग्री, पीजी डिग्री, डॉक्टरेट से लेकर शॉर्ट टर्म कोर्सेज तक किए जा सकते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। आज के दौर में डिस्टेंस एजुकेशन यानी दूरस्थ शिक्षा से पसंदीदा विषय की पढ़ाई करना एक अच्छा विकल्प है। अगर आप रेगुलर कोर्स नहीं कर पा रहे हैं, तो इससे आप घर बैठे अपनी दूसरी स्किल डेवलप करते हुए पसंद की पढ़ाई भी अच्छी तरह कर सकते हैं और नौकरी भी। ओपन यूनिवर्सिटीज के इन कोर्सेज को रेगुलर कोर्स के समान ही मान्यता हासिल है।
किसी भी ओपन यूनिवर्सिटी से आज की तारीख में डिग्री, पीजी डिग्री, डॉक्टरेट से लेकर शॉर्ट टर्म कोर्सेज तक किए जा सकते हैं। इन दिनों इंडस्ट्री की जरूरतों को देखते हुए तैयार किए गए इनके शॉर्ट टर्म कोर्सेज की काफी डिमांड है। मसलन, दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) से रिटेल मैनेजमेंट, ऑटोमोबाइल सर्विस ऐंड मैनेजमेंट, सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन डेवलपमेंट में 6 महीने का डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। ये सभी कोर्स सीआइआइ के सहयोग से चलाए जा रहे हैं।
इग्नू में 200 से अधिक कोर्सेज हैं, जिनमें प्रत्येक 6 महीने पर लाखों स्टूडेंट्स दाखिला लेते हैं। यहां एग्जाम का कैलेंडर तय है। साल में दो बार, जून और दिसंबर में परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इसके साथ ही स्किल डेवलपमेंट के मद्देनजर नए कोर्सेज शुरू करने की योजना पर भी काम चल रहा है। सबसे अच्छी बात है कि सामान्य संस्थानों के मुकाबले ओपन यूनिवर्सिटीज में कोर्स की फीस अमूमन काफी कम होती है।
सभी को शिक्षा दिलाने पर जोर
एक सर्वे के अनुसार, शिक्षा में भारत का कुल नामांकन अनुपात लगभग 12 प्रतिशत है, जबकि विकसित देशों में यह अनुपात 70 प्रतिशत है, इसलिए सरकार की ओर से भी सुदूर इलाकों तक शिक्षा को पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी अपने 250 स्टडी सेंटर्स के माध्यम से लोगों के घर तक क्वालिटी एजुकेशन उपलब्ध करा रहा है। वहीं, इग्नू की भी देशभर में फैले स्टडी सेंटर्स के जरिए शहर से लेकर दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंच है। मार्केट की जरूरतों के अनुसार लगातार शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कोर्सेज तथा इनोवेटिव कोर्सेज शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी तरह, देश में ग्रामीण मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, राज्य ओपन स्कूल जैसे मुक्त विद्यालय भी संचालित हो रहे हैं, जो ग्रामीण और जरूरतमंद लोगों तक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा के साथ-साथ वोकेशनल या शॉर्ट टर्म कोर्सेज उपलब्ध करा रहे हैं।
ओपन स्कूल्स की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे लोग जो कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते या किसी भी कारणवश अपनी पढ़ाई पूरी करने में असमर्थ हैं, उन्हें कम पैसों में शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। जो लोग नौकरी के चलते अपनी पढ़ाई पूरी न कर सके हों, वे भी इन ओपन स्कूल्स से अपनी फील्ड का वोकेशनल कोर्स करके उस फील्ड में कुशलता हासिल कर अच्छा करियर बना सकते हैं।
दाखिले की प्रक्रिया
ओपन यूनिवर्सिटी में दाखिले की कोई निश्चित प्रक्रिया नहीं होती है। कुछ संस्थान प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन देते हैं, वहीं कुछ अंकों के आधार पर। दाखिले की तारीख भी अलग-अलग होती है। स्टूडेंट्स को नियमित रूप से संस्थान की वेबसाइट चेक करते रहना होगा।
प्रवेश के लिए योग्यता
इन संस्थानों से सेकंडरी लेवल की पढ़ाई के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष होनी चाहिए। इसके साथ ही आठवीं कक्षा पास कर चुका कोई भी आवेदक एज सर्टिफिकेट की कॉपी के साथ सेकंडरी कोर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकता है। दसवीं की पढ़ाई अधूरी छोड़ चुके आवदेक भी अपनी पढ़ाई पूरी करने या फिर दसवीं पास कर चुके आवेदक अपना परफॉर्मेंस इंप्रूव करने के लिए भी ओपन स्कूल के सेकंडरी प्रोग्राम में एडमिशन लेकर यह काम पूरा कर सकते हैं। वहीं, सीनियर सेकंडरी यानी 12वीं कक्षा करने के लिए योग्य एवं इच्छुक अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 16 वर्ष होनी जरूरी है। इसके साथ ही सीनियर सेकंडरी में एडमिशन लेने के लिए आवेदकों का मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं कक्षा पास करना जरूरी है।