संघर्ष और चुनौतियों के बिना किसी को नहीं मिलती जीत, बिना घबराए जज्बे के साथ कुछ इस तरह करना चाहिए प्रयास
कोविड काल में बेशक तमाम युवाओं को अपनी नौकरी और रोजगार से हाथ धोना पड़ा लेकिन किसी के सामने हाथ फैलाने या उम्मीद करने के बजाय उन्होंने आपदा में अवसर तलाशना जारी रखा। उन्होंने इस अनिश्चित संकट के दौर में अपनी हिम्मत बनाए रखी।
[अरुण श्रीवास्तव]। संघर्ष और चुनौतियों के बिना किसी को जीत नहीं मिलती। इसलिए किसी भी विपरीत हालात और चुनौतियों से घबराए बिना जज्बे के साथ प्रयास करना चाहिए। जीत के लिए चुनौतियां क्यों जरूरी हैं, जानिए विस्तार से...
मेरा व्यक्तित्व आक्रामक है। मुझे लगता है कि मैं नये भारत का प्रतिनिधित्व करता हूं। मुझे नहीं लगता कि इसकी तुलना ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के माइंड-सेट से की जानी चाहिए।... न्यू इंडिया में लोग चुनौतियों से नहीं घबराते। वे सकारात्मक और आशावादी हैं।
-विराट कोहली (भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान)
विराट ने उपरोक्त बातें पिछले दिनों पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल की उस टिप्पणी के जवाब में कहीं, जिसमें उन्होंने उनकी तुलना ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों से करते हुए उन्हें च्द मोस्ट ऑस्ट्रेलियन नॉन-ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर ऑफ आल टाइम बताया था।ज् इसी के जवाब में कोहली ने कहा कि नये भारत के लोग चुनौतियों से घबराते नहीं हैं। जाहिर है ग्रेग चैपल ने यह टिप्पणी व्यंग्यात्मक अंदाज में की थी, जिसका विराट ने अपने अंदाज में विराट जवाब दिया। हाल के वर्षों में भारतीय युवा जिस तरह से मुश्किल हालात से घबराए बिना अपने जुझारूपन का परिचय देते हुए अपनी पहचान बना रहे हैं, उससे शायद ही कोई असहमत होगा। खास तौर पर कोविड संकट के दौरान शहरों से लेकर गांवों तक इसका उदाहरण देखने को मिला है।
चुनौतियों से जूझने का जज्बा: चाहे महेंद्र सिंह धौनी हों या विराट कोहली, इन दोनों खिलाड़ियों पर जब-जब आलोचनात्मक प्रहार हुए हैं, उन्होंने उसका करारा जवाब अपने खेल से दिया। उन्होंने यह साबित किया कि वे सिर्फ किस्मत से कामयाबी की राह पर आगे नहीं बढ़े, बल्कि उसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और अनवरत संघर्ष रहा है। सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले इनके जैसे तमाम युवा मुश्किलों और प्रतिकूल हालात से घबराये बिना सीमित संसाधनों के जरिए भी सिर्फ जज्बे से आगे बढ़ने और अपनी पहचान बनाने में सफल होते रहे हैं। हालांकि शुरुआती दौर में उन्हें अपने प्रयासों में असफलता भी मिलती रही, लेकिन वे उससे घबराकर अपने प्रयासों में जरा सी भी कमी नहीं करते। इसके बजाय उनकी जिद और बढ़ जाती है।
संघर्ष का सुफल: कोविड काल में बेशक तमाम युवाओं को अपनी नौकरी और रोजगार से हाथ धोना पड़ा, लेकिन किसी के सामने हाथ फैलाने या उम्मीद करने के बजाय उन्होंने आपदा में अवसर तलाशना जारी रखा। उन्होंने इस अनिश्चित संकट के दौर में अपनी हिम्मत बनाए रखी। देश में ऐसे तमाम युवाओं/लोगों के उदाहरण मिल जाएंगे, जिन्होंने नौकरी जाने के बाद अपने जज्बे से नई राह तलाशी और आज एंटरप्रेन्योर बनकर नौकरी से मिलने वाले वेतन की तुलना में कई गुना ज्यादा कमा रहे हैं।
तलाशें नए रास्ते: अगर आप भी नौकरी या रोजगार को लेकर किसी परेशानी से गुजर रहे हैं, तो निराश और हताश होने के बजाय नये रास्ते तलाशें। अपने हुनर को तराश कर नये मौके खोज सकते हैं। अगर ऐसा नहीं है, तो भी अपना दिल-दिमाग खुला रखते हुए उत्साह के साथ सोच-समझ कर ऐसा कदम उठाएं, जिससे आपको कमाई भी हो सके और संतुष्टि भी मिल सके। अगर आप पूरे मन से इस ओर सोचेंगे तो रास्ते जरूर निकलेंगे।