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गुजारा के लिए कभी चुनाव में लगाते थे पोस्‍टर, अब IAS बन पेश किया मिशाल

बल्लभगढ़ की निम्न वर्गीय लोगों की सुभाष कॉलोनी के रहने वाले सचिन कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में पहले ही प्रयास में 400वीं रैंक हासिल किया है।

By Edited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 07:40 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 01:36 PM (IST)
गुजारा के लिए कभी चुनाव में लगाते थे पोस्‍टर, अब IAS बन पेश किया मिशाल
गुजारा के लिए कभी चुनाव में लगाते थे पोस्‍टर, अब IAS बन पेश किया मिशाल

फरीदाबाद[सुशील भाटिया]। बल्लभगढ़ की निम्न वर्गीय लोगों की सुभाष कॉलोनी का निवासी सचिन कुमार। यह वो नाम है, जिसके बेहद कठिन और संघर्षपूर्ण जिंदगी के पन्नों को खंगाला जाए, तो बॉलीवुड की हिट फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी जा सकती है। उसके पिता नहीं हैं और मां घरों में काम करके चार बेटों के परिवार का लालन-पालन कर रही है।

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बीमार पिता अस्पताल में भर्ती रहे, तो भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उनके बेड के पास बैठ कर रात भर पढ़ाई की और जब पिता का निधन हो गया, तो चार भाइयों में सबसे बड़ा होने के नाते परिवार के भरण-पोषण की भी जिम्मेदारी आन पड़ी। ऐसे में चुनाव में प्रत्याशियों के एक रुपये प्रति पोस्टर का मेहनताना के साथ रात भर पोस्टर लगाए।

वर्ष 2012 में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में 500 में से 493 अंक हासिल कर प्रदेश भर में दूसरे नंबर के टॉपर रहे इसी सचिन ने अब संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर आइएएस अधिकारी बनने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। रावल कान्वेंट स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले सचिन कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में पहले ही प्रयास में 400वीं रैंक हासिल की है, लेकिन अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने के चलते उनका आइएएस में चयन हो सकता है।

दैनिक जागरण से बातचीत में भावुक हुए सचिन ने बताया कि सात साल पहले उनके पिता का निधन हो गया था। इस पर परिवार को पालने की जिम्मेदारी मां पर आन पड़ी। उनसे तीन छोटे भाई सुमित, अरविंद और बिट्टू हैं, जो अभी पढ़ रहे हैं। ऐसे में मां ने घरों में काम किया, तो उसने स्वयं पिछले चुनाव में दीवारों पर पोस्टर लगाने का काम करने से गुरेज नहीं किया। उसे चूंकि पढ़ना था, इसीलिए मां ने भी दिन रात एक किया, कर्ज भी लिया।

मामा ने किया आइएएस बनने के लिए प्रेरित
12वीं की परीक्षा 80.4 फीसद अंकों के साथ पास कर इंजीनियरिंग की तैयारी की और आइआइटी दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियरिंग में दाखिला मिल गया, पर रिश्ते के मामा ओडिशा सरकार में तैनात अधिकारी विशाल देव ने यूपीएससी की तैयारी के लिए प्रेरित किया। सचिन कहते हैं कि जब इंजीनियरिंग कर रहे थे, तब उसके पास एक अच्छी शर्ट खरीदने के भी पैसे नहीं थे, पर मुफलिसी के निराशा से भरे पलों को अपने लक्ष्य पर हावी नहीं होने दिया। नतीजा सबके सामने है।

समाज के दबे कुचले लोगों की मदद करने की चाह सचिन अब आइएएस अधिकारी बन कर समाज के दबे कुचले युवाओं की, जरूरतमंद गरीबों की मदद करना व सरकार की आम गरीब लोगों के उत्थान के लिए शुरू की गई योजनाओं का लाभ पहुंचाना चाहते हैं। अपने जैसे युवाओं के नाम संदेश में सचिन कहते हैं कि परिस्थितियां कैसी भी हों, हार नहीं माननी चाहिए। उसी में ढलें, लक्ष्य प्राप्ति के लिए मेहनत करें, मेहनत रंग लाती है।

रावल कान्वेंट स्कूल ने किया सचिन का अभिनंदन
यूपीएससी की परीक्षा पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण करने वाले सचिन कुमार का शनिवार को उनके स्कूल प्रबंधन ने अभिनंदन किया। बल्लभगढ़ की सुभाष कॉलोनी में रहने वाले सचिन ने 400वीं रैंक के साथ परीक्षा पास की है और उसने 12वीं तक की पढ़ाई रावल कान्वेंट स्कूल में ही की है। बेहद गरीब घर से पर होनहार सचिन को उसकी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रखने में रावल कान्वेंट स्कूल के चेयरमैन सीबी रावल ने हमेशा खास ध्यान रखा, यही कारण है कि जैसे ही सचिन शनिवार को स्कूल पहुंचा, उन्होंने सीबी रावल के पैर छुए।

इस पर सीबी रावल ने इस प्रतिभाशाली को गले लगा लिया और कहा कि उन्हें शुरू से ही भरोसा था कि यह छात्र एक न एक दिन स्कूल का व फरीदाबाद जिले का नाम रोशन करेगा। स्कूल निदेशक अनिल कुमार ने सचिन का मुंह मीठा कराया और चेयरमैन ने मिठाई के डिब्बे के साथ 11 हजार रुपये की सम्मान राशि भी सचिन को भेंट की।


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