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स्कूली पाठ्यक्रमों में 10 फीसद से ज्यादा की कटौती, 9 से 12वीं तक के हटाए गए कई चैप्टर

एनसीईआरटी ने पहले ही साल में नौवीं से लेकर बारहवीं तक के कई विषयों के पाठ्यक्रम में 10 फीसद से ज्यादा की कटौती की है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 10:47 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 10:47 AM (IST)
स्कूली पाठ्यक्रमों में 10 फीसद से ज्यादा की कटौती, 9 से 12वीं तक के हटाए गए कई  चैप्टर
स्कूली पाठ्यक्रमों में 10 फीसद से ज्यादा की कटौती, 9 से 12वीं तक के हटाए गए कई चैप्टर

नई दिल्ली, जेएनएन। स्कूली बच्चों के सीखने की क्षमता (लर्निग आउटकम) को बेहतर बनाने के लिए पाठ्यक्रम में कटौती के फैसले पर अमल शुरू हो गया है। एनसीईआरटी ने पहले ही साल में नौवीं से लेकर बारहवीं तक के कई विषयों के पाठ्यक्रम में 10 फीसद से ज्यादा की कटौती की है। साथ ही इन कक्षाओं के प्रत्येक विषयों के पाठ्यक्रम को औसतन 15 से 16 पाठ तक ही रखे जाने की सहमति दी है।

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हालांकि, एनसीईआरटी को इस फैसले के तहत स्कूली पाठ्यक्रम (सिलेबस) में करीब 50 फीसद तक की कटौती का लक्ष्य दिया गया है। इसके बावजूद वह इतनी बड़ी कटौती से लिए तैयार नहीं है। फिलहाल, पाठ्यक्रम में कटौती करने की मुहिम में एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रमों में कटौती की है।

सामाजिक विज्ञान की किताब के हटाए गए तीन पाठ
नौवीं के सामाजिक विज्ञान की किताब से मौजूदा समय में अप्रासंगिक हो चुके करीब तीन पाठ (चैप्टर) को हटाया गया है। अभी तक इसमें 24 पाठ थे। इसी तरह विज्ञान विषय के भी कुछ पाठों से भी अप्रासंगिक बिंदुओं को हटाया गया है। इसी क्रम में 10वीं और 12वीं के कई विषयों के पाठों में भी कमी की गई है। इनमें 12वीं की भौतिक विज्ञान से भी कई पाठों को छोटा किया गया है।

एनसीईआरटी के जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, पाठ्यक्रमों में कटौती की यह प्रक्रिया नौवीं से 12वीं तक के सभी विषयों में अपनाई जा रही है। पहले साल में इनमें कुछ बदलाव किए गए हैं, जबकि कुछ बदलावों को चिह्न्ति किया गया है। इन्हें अगले चरण में किताबों से हटाया जाएगा। फिलहाल, एनसीईआरटी की रणनीति नौंवीं से 12वीं तक के सभी विषयों के पाठ्यक्रमों को औसतन 15 से 16 पाठों के बीच रखना है। मौजूदा समय में कई विषयों में 25 से 28 पाठ हैं।

पाठ्यक्रम कम करने के आए एक लाख सुझाव
एनसीईआरटी ने मुताबिक, पाठ्यक्रम में बदलाव का यह फैसला देश भर से मांगे गए सुझावों के बाद लिया गया है। इसके तहत 25 हजार से ज्यादा लोगों की तरफ से एक लाख से ज्यादा सुझाव मिले थे। सुझाव देने वालों में स्कूलों के शिक्षकों के साथ स्कूली बच्चों के अभिभावक और बड़ी संख्या में शिक्षाविद् भी शामिल थे।

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