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Open Book Exams: डूटा के सर्वे में 85 फीसद छात्र ऑनलाइन परीक्षा के खिलाफ, बताई ये वजह

बीते 48 घण्टे में डीयू के 51452 छात्रों के साथ डीयू प्रशासन द्वारा एक जुलाई से अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा के आयोजन करने के फैसले के खिलाफ सर्वे किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 02:33 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 02:33 PM (IST)
Open Book Exams: डूटा के सर्वे में 85 फीसद छात्र ऑनलाइन परीक्षा के खिलाफ, बताई ये वजह
Open Book Exams: डूटा के सर्वे में 85 फीसद छात्र ऑनलाइन परीक्षा के खिलाफ, बताई ये वजह

नई दिल्ली [राहुल मानव]। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने मंगलवार को जूम एप के माध्यम से प्रेसवार्ता करते हुए बीते 48 घण्टे में डीयू के 51,452 छात्रों के साथ डीयू प्रशासन द्वारा एक जुलाई से अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा के आयोजन करने के फैसले के खिलाफ सर्वे किया। इसमें से 85 फीसद छात्रों ने मत देते हुए कहा है कि उन्हें ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा स्वीकार नहीं है। उनके पास इंटरनेट की कमी है और ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए लैपटॉप समेत जरूरी अन्य उपकरण भी उपलब्ध नहीं है।

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इसके साथ ही 55.4 फीसद छात्र ऐसे भी हैं जिन्हें लॉकडाउन से पहले उनके पाठ्यक्रमों से पहले जो पढ़ाया गया। उसके नोट्स व पठन सामग्री उनके पास मौजूद नहीं है। सिर्फ 23.5 फीसद के पास ही यह पठन सामग्री मौजूद है।

इसका मुख्य कारण छात्रों ने बताया है कि 10 मार्च को होली थी और इससे एक व दो दिन पहले डीयू के मिड सेमेस्टर ब्रेक शुरू हो गए थे। यह 15 मार्च तक थे। इसके बाद 16 मार्च को डीयू ने कोविड-19 की वजह से 31 मार्च तक विश्वविद्यालय को बंद रखने का फैसला किया। 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हो गया। जिसके बाद यह जारी रहा। इसलिए उनकी पठन सामग्री उनके पास मौजूद नहीं है। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 38.4 फीसद स्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। वहीं 86.8 डीयू के रेगुलर कॉलेजों के छात्र हैं।

इसमें से 8 फीसद स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और 5.2 फीसद नॉन कॉलेजियट वूमेन एजुकेशन बोर्ड (एनसिवेब) की छात्रा हैं।।साथ ही सर्वे में 50.2 फीसद ऐसे छात्र हैं जो इस समय अपने घर पर मौजूद हैं। इनमें से 40.4 फीसद पीजी में रहने वाले छात्र हैं। वहीं 5.3 फीसद छात्र अपने किसी रिश्तेदार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं और 4.1 फीसद छात्र ही डीयू के छात्रावास में रह रहे हैं। कई छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई में भी दिक्कत हुई है।

सर्वे को डूटा के अध्यक्ष राजीब रे, उपाध्यक्ष आलोक रंजन पांडेय, सचिव राजिंदर सिंह, संयुक्त सचिव प्रेम चंद और कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब ने पस्तुत किया। राजीब रे ने कहा कि डीयू के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए डीयू प्रशासन से मांग है कि वह कोई उचित विकल्प इनके लिए तलाशें। इनकी डिग्री के लिए डीयू सभी हितधारकों चाहे वह प्रशासन हो, शिक्षक हो, छात्र हो, उन सभी को साथ में मिलकर एकुजुट होकर कोई सकारात्मक फैसला लेना होगा। इनके भविष्य के लिए यह बहुत जरूर है।

वहीं आभा देव हबीब ने कहा कि अंतिम वर्ष के छात्रों के बीते सेमेस्टर के नतीजों को देखते हुए और इनके इंटर्नल असेसमेंट के अंकों को जोड़ते हुए भी उनके क्रेडिट निर्धारित करते हुए उन्हें आगे प्रमोट किया जा सकता है। यह भी एक विकल्प हो सकता है लेकिन मौजूदा दौर में ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा का विकल्प उनके लिए ठीक नहीं है। डीयू प्रशासन ने सभी हितधारकों से , अकादमिक परिषद, कार्यकारी परिषद, डूटा, डूसू, छात्र संगठनों एवं अन्य शिक्षकों से सलाह मशवरा ऑनलाइन परीक्षा का फैसला लेने से पहले पक्ष नहीं लिया व चर्चा नहीं की।

इसके अलावा उन्होंने 14 मई को ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा से जुड़े फैसले का नोटिस जारी कर दिया। यहां तक की परीक्षा के मामलों को लेकर डीयू प्रशासन द्वारा 15 सदस्यों की बनाए गए कार्यदल में अकादमिक परिषद , कार्यकारी परिषद समेत अन्य हितधारकों को जोड़ा नहीं गया। अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए लिखित में परीक्षा का आयोजन कराने का भी विकल्प तलाश जाना चाहिए।

डीयू प्रशासन का बयान

डीयू प्रशासन ने कहा है ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा के फैसले के लिए सभी हितधारकों से सुझाव मांगे गए थे। उन्होंने अपने सुझाव भी दिए हैं। डीयू के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा को लेकर सभी तरह के विकल्प को देखा जा रहा है। उनकी परीक्षा आयोजित करना जरूरी है। जिससे वह आगे पीजी में दाखिला ले सकें व अन्य मार्ग को तलाश सकें।


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