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DU Admissions 2019: पीजी कोर्सेज में दाखिला लेने पहुंचे छात्र, पहली सूची के तहत ये है एडमिशन की अंतिम तिथि

DU Admissions 2019 दिल्ली यूनिवर्सिटी में पीजी कोर्सेज में दाखिले के लिए छात्र कॉलेज पहुंच रहे हैं। फर्स्ट कटऑफ के अंतर्गत दाखिला लेने की अंतिम तिथि 26 जुलाई 2019 है।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 10:25 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 10:25 AM (IST)
DU Admissions 2019: पीजी कोर्सेज में दाखिला लेने पहुंचे छात्र, पहली सूची के तहत ये है एडमिशन की अंतिम तिथि
DU Admissions 2019: पीजी कोर्सेज में दाखिला लेने पहुंचे छात्र, पहली सूची के तहत ये है एडमिशन की अंतिम तिथि

नई दिल्ली, जेएनएन। पीजी कोर्स में बुधवार को दाखिले का पहला दिन था। डीयू प्रशासन की तरफ से पीजी कोर्स की पहली सूची जारी की गई। कोर्सों में दाखिला लेने वाले छात्रों ने डीयू के नॉर्थ कैंपस समेत कई विभागों और कैंपस के बाहर के कॉलेजों में दाखिला लिया।

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छात्रों के पास 26 जुलाई तक पहली सूची के तहत दाखिला लेने का मौका है। बुधवार को हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस, इंग्लिश समेत कई विभागों में छात्र पीजी कोर्स में दाखिला लेने के लिए पहुंचे। जिन छात्रों का तीन से आठ जुलाई के दौरान पीजी कोर्सों की प्रवेश परीक्षाएं भी हुई थीं, उसके आधार पर भी छात्र दाखिला लेने पहुंचे।

एनसीवेब का तीसरा कटऑफ 26 जुलाई को होगा जारी

नॉन कॉलिजिएट वूमेन एजुकेशन बोर्ड की तरफ से 26 जुलाई को तीसरा कटऑफ जारी किया जाएगा। इसमें सिर्फ दिल्ली की ही रहने वाली छात्राओं के दाखिले होते हैं। अब तक दूसरे कटऑफ के तहत तीन हजार से ज्यादा छात्राओं ने दाखिला ले लिया है। तीसरे कटऑफ के तहत छात्राओं के पास 29 जुलाई तक दाखिले का अवसर होगा।

एनएसयूआइ ने डीयू के सिलेबस का उठाया मामला

नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम का मामला उठाया। एनएसयूआइ का आरोप है कि डीयू में स्नातक कोर्स के इंग्लिश, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस और सोशियोलॉजी के पाठ्यक्रम को समीक्षा के लिए एबीवीपी और दक्षिणपंथी अकादमिक सदस्यों के दबाव में भिजवाया गया है।

एनएसयूआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि एबीवीपी गांधी जी के अहिंसा के मार्ग को पीछे ढकेल रहा है। एनएसयूआइ के सदस्य रॉकी तुसीद ने कहा कि डीयू के सिलेबस में बदलाव के मामले में किसी भी तरह का राजनीतिक प्रभाव नहीं होना चाहिए। हमें डीयू की अकादमिक स्वायत्ता को बचाकर रखना होगा। हमें लोकतांत्रिक ढांचे को संरक्षित रखने की जरूरत है।


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