सेंट स्टीफंस में दाखिला प्रक्रिया में चर्च के प्रतिनिधियों को शामिल करने पर भड़के छात्र
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सेंट स्टीफंस कॉलेज के शिक्षकों व छात्रों ने शुक्रवार को कॉलेज प्रशासन के विरोध में कॉलेज के बहार प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सेंट स्टीफंस कॉलेज की दाखिला प्रक्रिया में उत्तर भारत के चर्च के प्रतिनिधियों को शामिल करने के फैसले के खिलाफ आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। शुक्रवार को शिक्षकों व छात्रों ने कॉलेज के बाहर प्रदर्शन कर विरोध जताया। साथ ही लिया गया फैसला वापस लेने की मांग उठाई । शुक्रवार को शिक्षक व छात्र 12.30 बजे से ही कॉलेज के गेट बाहर एकत्र हो गए। छात्रों ने हाथ में लिए पोस्टर के माध्यम से अपना विरोध जताया। पोस्टर में छात्रों ने लिखा था कि कॉलेज की दाखिला प्रक्रिया की अंखडता को बनाएं रखें।
कॉलेज की गणित विभाग की प्रोफेसर नंदिता नारायण ने बताया कि शिक्षकों की मांग है कि उत्तर भारत के चर्च के प्रतिनिधियों को, जो कॉलेज की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य हैं। उन्हें छात्रों के साक्षात्कार के पैनल में शामिल करने का फैसला वापस लिया जाए। इसके अलावा कॉलेज के प्राचार्य जॉन वर्गीस ने मंगलवार को प्रोफेसर नंदिता सहित तीन शिक्षकों को चेतावनी भरा पत्र लिखा था, उसे भी वापस लिया जाए।
दरअसल सोमवार को शिक्षकों ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें चर्च के प्रतिनिधियों को साक्षात्कार के पैनल में शामिल करने के फैसले की जानकारी नहीं देने का आरोप लगाया था। इसके बाद प्राचार्य ने यह यह चेतावनी पत्र लिखा था।
वहीं इस पूरे मामले में कॉलेज प्रशासन ने कहा है कि कॉलेज के नियमों के तहत ही यह फैसला लिया गया है। कॉलेज में अभी सेमेस्टर की परीक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में हम नहीं चाहते हैं कि कोई भी कॉलेज के माहौल को बिगाड़े। सोशल मीडिया पर भी छात्रों ने खोला मोर्चा सेंट स्टीफंस कॉलेज मामले में छात्रों ने सोशल मीडिया पर भी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन सोसाइटी के पेज पर छात्रों ने एक पोस्ट लिखी है। इसमें प्राचार्य जॉन वर्गीस से कॉलेज के फैसले के लिए नियम व कानून को स्पष्ट करने की मांग की है। साथ ही कॉलेज की सुप्रीम काउंसिल के सदस्यों को कॉलेज की दाखिला प्रक्रिया में शामिल किए जाने पर सवाल उठाया है।
छात्रों ने कहा कि 137 सालों से पहली बार आखिर इस तरह का निर्णय क्यों लिया गया और इसकी कानूनी वैधता क्या है। कॉलेज के इस फैसले से सुप्रीम काउंसिल को कॉलेज के मामलों में दखल देने की अनुमति मिल जाएगी, जिसे छात्र और शिक्षक स्वीकार नहीं करेंगे।
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