MU Final Year Exam 2020: मुंबई यूनिवर्सिटी ने अंतिम वर्ष के छात्रों को परीक्षा में ग्रेस मार्क्स देने का लिया निर्णय, पढ़ें पूरी जानकारी
MU Final Year Exam 2020 छात्रों को ग्रेस मार्क्स तभी दिए जाएंगे जब वे इसके माध्यम से परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे। ग्रेस मार्क्स के अंक कुल अंकों के 1 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे और किसी भी विषय में पांच से अधिक अंक नहीं दिए जाएंगे।
MU Final Year Exam 2020: मुंबई यूनिवर्सिटी की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 1 अक्टूबर, 2020 से शुरू होनी हैं। परीक्षाएं पहली बार ऑनलाइन मोड और एमसीक्यू (MCQ) प्रारूप में आयोजित होंगी। वहीं, अब मुंबई यूनिवर्सिटी ने सभी कॉलेजों को फाइनल ईयर की परीक्षा में छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने का निर्देश दिया है। क्योंकि, छात्र पहली बार नई प्रारूप में परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, इसलिए यह निर्णय लिया गया है।
यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार, छात्रों को ग्रेस मार्क्स तभी दिए जाएंगे, जब वे इसके माध्यम से परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे। ग्रेस मार्क्स के अंक कुल अंकों के 1 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे और किसी भी विषय में पांच से अधिक अंक नहीं दिए जाएंगे। इसके अलावा, जो छात्र एनएसएस, एनसीसी समेत अन्य अंतर-विश्वविद्यालयीय सांस्कृतिक या खेल कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, वे भी ग्रेस मार्क्स के लिए पात्र होंगे।
मुंबई यूनिवर्सिटी के छात्र पहली बार इस तरह के प्रारूप में अपनी परीक्षा दे रहे हैं। इसके अलावा, परीक्षा ऑनलाइन होनी है। जिसमें गलतियों की गुंजाइश होती है। इसलिए कई प्रिंसिपलों व शिक्षकों के द्वारा छात्रों को ग्रेस अंक देने संबंधित निर्देश को उचित ठहराया गया है।
1 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही अंतिम वर्ष की ऑनलाइन परीक्षा में 50 अंकों के लिए 1 घंटे का पेपर होगा। इस वर्ष की परीक्षा में लगभग 2 लाख 50 हजार उम्मीदवारों को शामिल होना है। बता दें कि परीक्षा के आयोजन के लिए पूर्व में मुंबई यूनिवर्सिटी द्वारा दिशानिर्देश भी जारी किए गए थे। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के तर्ज पर ही छात्रों को ऑनलाइन मोड में परीक्षा से परिचित कराने के लिए एक मॉक टेस्ट राउंड का आयोजन भी किया गया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम वर्ष/ अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी के गइलाइन को बरकरार रखा है। 6 जुलाई, 2020 को यूजीसी द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों में, देश भर के सभी विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं, सितंबर तक अनिवार्य रूप से पूरी करने को कहा गया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि यदि कोई राज्य निर्धारित समय तक परीक्षा आयोजित कराने में सक्षम नहीं हुए तो उन्हें यूजीसी को इसकी जानकारी देकर यूजीसी के परामर्श पर परीक्षा की नई तारीख जारी करनी होगी।