Radio Jockey के लिए बढ़ रहे मौके, जानें कैसे बनाएं इसमें करियर और कहां से करें कोर्स
हर छोटे-बड़े शहर में रेडियो चैनल तेजी से अपने पांव पसार रहे हैं। सामुदायिक रेडियो चैनल भी तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। पहले जहां केवल प्रिंट मीडिया का वर्चस्व था, वहीं अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेब मीडिया, सोशल मीडिया, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म और एफएम चैनल्स अपनी तरफ खूब आकर्षित कर रहे हैं।विभिन्न शहरों में एफएम चैनल्स खुलने से आरजे के लिए संभावनाएं बढ़ गई हैं...
हर छोटे-बड़े शहर में रेडियो चैनल तेजी से अपने पांव पसार रहे हैं। सामुदायिक रेडियो चैनल भी तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। इसके अलावा, आजकल सोशल मीडिया तो मुख्य मीडिया को भी पीछे छोड़ते हुए अपनी दमदार उपस्थिति को दर्ज करवा रहा है। ऐसे में प्रशिक्षित पत्रकारों की तुलना में आम आदमी भी यहां बढ़-चढ़कर देश दुनिया की खबरें और वीडियो शेयर कर रहा है या खुद तैयार कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहा है। जाहिर है अब यह क्षेत्र भी व्यावसायिक रूप ले चुका है और यहां भी प्रशिक्षित लोगों की जरूरत बढ़ने लगी है, क्योंकि जब आप अपनी खबर को प्रस्तुत करेंगे तो उसका तौर-तरीका पता होना जरूरी है और स्थानीय या राष्ट्रीय रेडियो चैनल्स पर काम करेंगे तो उसकी भी कार्य प्रणाली का ज्ञान होना जरूरी है।
हालांकि जानकारों का कहना है कि रेडियो जॉकी और टीवी एंकरिंग के लिए किसी इंस्टीट्यूट की खास जरूरत नहीं पड़ती है। आजकल कंप्यूटर के नए-नए सॉफ्टवेयर, शब्दों के सही उच्चारण, श्रोताओं से बातचीत का ढंग आदि सिखाने के लिए हर शहर में बहुत से संस्थान हैं। जिन्हें बतौर आरजे या एंकर के रूप में अपना करियर बनाना है, उनके लिए शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स या डिप्लोमा करना बेहतर रहेगा, जिससे जरूरी स्किल को सीखा जा सके। इसके लिए कुछ संस्थान वीकेंड कोर्स भी करवाने लगे हैं। आप वहां से भी जरूरी स्किल हासिल कर सकते हैं। वीकेंड कोर्स उन लोगों के लिए बेहतर साबित हो सकता है जो सोशल मीडिया में हाथ आजमा रहे हैं या डिग्री या डिप्लोमा हासिल करने के बाद इस क्षेत्र की और अधिक जानकारी चाहते हैं। वीकेंड कोर्स जॉब या अन्य काम करते हुए सप्ताह के दो दिन-शनिवार और रविवार को कर सकते हैं और अपनी स्किल को और अधिक बढ़ा सकते हैं।
करियर संभावनाएं
कोर्स के तुरंत बाद किसी बड़े रेडियो स्टेशन, टीवी पर काम की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए, बल्कि छोटे रेडियो स्टेशन, टीवी प्रोग्राम्स में खुद को शामिल कराने का प्रयास करना चाहिए, जिससे रेडियो और टीवी से जुड़ी प्रैक्टिकल स्किल सीखने को मिल सके। आपको ऐसे चैनल्स पर अपने रेज्यूमे भेज कर ऑडिशन का समय लेना चाहिए। ऑल इंडिया रेडियो में भी कुछ-कुछ अंतराल पर ऑडिशन होते रहते हैं।
शैक्षिक योग्यता
टीवी न्यूज एंकरिंग या रेडियो जॉकी बनने के लिए 12वीं के बाद जहां सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, शॉर्ट टर्म या वीकेंड कोर्स किए जा सकते हैं, वहीं ग्रेजुएशन के बाद पीजी डिप्लोमा कोर्सेज के लिए आवेदन किया जा सकता है। इस क्षेत्र में आने के लिए डिप्लोमा, डिग्री के अलावा एक और योग्यता बेहद जरूरी है और वह है आपकी भाषा। सही उच्चारण, शब्द भंडार और भाषा के व्याकरण पर पूरी पकड़ होनी बहुत जरूरी है। इसके अलावा न्यूज एंकरिंग के लिए आपका व्यक्तित्व आकर्षक होना महत्वपूर्ण शर्त है। साथ में आपकी अभिव्यक्ति भी दमदार होनी चाहिए।
चयन का तरीका
ऑडिशन के वक्त आप को 10-15 मिनट का समय दिया जा सकता है। कहा जा सकता है कि मान लो आज बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन का जन्मदिन है। आपको प्रोग्राम को होस्ट करते हुए गाने भी प्ले करने हैं या फिर आपको एक स्क्रिप्ट लिखने का मौका दिया जाए और फिर आपसे कहा जाए कि आप इसे बोलें। याद रहे लिसनर को यह नहीं लगना चाहिए कि आप स्क्रिप्ट पढ़कर ऑडिशन दे रहे हैं, भले ही आपके हाथ में स्क्रिप्ट हो।
मुख संस्थान
- इंस्टीट्यूट ऑफ मासकम्युनिकेशन, नई दिल्ली
- जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
- एनआरएआइ स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
- इग्नू, नई दिल्ली