यूजी और पीजी में प्रवेश पर अधिसूचना विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता की भावना के खिलाफ: जेयूटीए
जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जेयूटीए) ने मंगलवार को कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में दाखिले पर राज्य उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता की भावना के खिलाफ है। एसोसिएशन ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जेयूटीए) ने मंगलवार को कहा कि स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में दाखिले पर राज्य उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता की भावना के खिलाफ है। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को उसके इतिहास और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों तथा अपने छात्रों एवं संभावित छात्रों की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए दाखिला, पाठ्यक्रम जैसे विषयों पर निर्णय लेने की शक्ति होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि 14 जुलाई को जारी एक अधिसूचना में शिक्षा विभाग ने कहा था कि ऑनलाइन दाखिला प्रक्रिया मेधा के आधार पर होनी चाहिए। संभावित छात्रों को दाखिले की प्रक्रिया के दौरान प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए।
कॉलेज/ विश्वविद्यालय पहुंचने की कोई जरूरत नहीं है। एसोसिएशन ने कहा कि यह अधिसूचना सीधे तौर पर विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता के खिलाफ जाती है। जादवपुर विश्वविद्यालय के इस मामले में, विश्वविद्यालय के विधान के मुताबिक, दाखिला समिति दाखिले के लिए निर्णय लेने वाला अंतिम प्राधिकार है। जेयूटीए के महासचिव पार्थ प्रतीम राय ने कहा कि उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारों में इस तरह का सरकारी हस्तक्षेप उनकी स्वतंत्रता और विचार की आजादी का गला घोंटती है। बहरहाल, विश्वविद्यालय के कुलपति सुरंजन दास से इस विषय पर टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो पाया। राज्य में उच्च माध्यमिक परीक्षा के नतीजे 22 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।