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हावर्ड बिजनेस रिव्यू के 10 सबसे शानदार CEO में भारतीय मूल के शांतनु नारायण भी शामिल

शांतनु नारायण ने अपना करियर एपल कंपनी से शुरू किया फिर वे एडोब कंपनी में आ गए। उनके शब्दों में ‘जिज्ञासा ही एक ऐसी चीज है जिसे मैंने जीवन में सबसे अधिक महत्व दिया।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 09:38 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 09:38 AM (IST)
हावर्ड बिजनेस रिव्यू के 10 सबसे शानदार CEO में भारतीय मूल के शांतनु नारायण भी शामिल
हावर्ड बिजनेस रिव्यू के 10 सबसे शानदार CEO में भारतीय मूल के शांतनु नारायण भी शामिल

नई दिल्ली [रेणु जैन]। पिछले साल हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू ने दुनिया के दस सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सीईओ की सूची जारी की। इस सूची में छठे स्थान पर भारतीय मूल के शांतनु नारायण का नाम है, जिन्हें 2019 में भारत सरकार पद्मश्री से पुरस्कृत कर चुकी है। शांतनु नारायण ने अपना करियर एपल कंपनी से शुरू किया फिर वे एडोब कंपनी में आ गए। उनके शब्दों में ‘जिज्ञासा ही एक ऐसी चीज है, जिसे मैंने जीवन में सबसे अधिक महत्व दिया। मैंने कंपनी में सही सवाल पूछने को, एक्सप्लोर करने तथा प्रयोग करने को प्रोत्साहन दिया।’ इसलिए आप भी कौन, कहां, कब, कैसे, क्यों... जैसे शब्दों से घबराइए नहीं और न ही सवाल पूछने से संकोच कीजिए। यही छोटी-छोटी बातें आपको ‘ऑलराउंडर’ बना सकती हैं। आइए जानें, कैसे ये अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं...

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लॉर्ड मैकाले की हमेशा यह कहकर आलोचना की जाती है कि उन्होंने भारत में क्लर्क पैदा करने की शिक्षा पद्धति बनाई, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने कुछ और भी कहा था। मैकाले ने कहा था कि मुझसे सब कुछ ले लो, सिर्फ दो चीजें मेरे पास रहने दो, जिज्ञासा और आमोद-प्रमोद।

जब धरती पर मनुष्य आए तो वे उन मनुष्यों की तरह नहीं थे, जिन्हें हम आज देखते हैं। वे जंगली थे तथा जानवरों में और उनमें बहुत कम फर्क था। धीरे-धीरे उनमें सोचने की ताकत आई। इसी ताकत ने उन्हें जानवरों से अलग कर दिया। इसके कारण ही एक छोटा-सा मनुष्य एक बड़े हाथी के सिर पर बैठकर उससे जो चाहता है, करवा लेता है। यह तो मात्र एक उदाहरण है। ऐसी और भी कई बातें हैं। कहने का मतलब यह है कि जिज्ञासा ने आदमी को कहां से कहां पहुंचा दिया। पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आदमी और पशु में शायद इसलिए भेद है कि आदमी में जिज्ञासा होती है, जबकि पशु में जिज्ञासा नहीं होती। आदमी में अगर चीजों, घटनाओं और व्यवस्थाओं के बारे में जिज्ञासा न होती, तो वह कभी भी प्रगति न कर पाता। अत: जिसमें जिज्ञासा हो वह आदमी हर किसी से हर पल कुछ न कुछ सीख सकता है।

निर्धारित कीजिए लक्ष्य

हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी फील्ड का क्यों न हो, अपनी क्षमता को पहचाने तथा उसी के अनुरूप कार्य करे। लगातार ध्यान रखें कि आप कहां गलत साबित हो रहे हैं।

जो भी पढ़ें, उसमें रमें

इंदिरा गांधी ने एक जगह लिखा था कि प्राय: बच्चे अपने माता-पिता को आराध्य मानते हैं, लेकिन मेरे पिता हर चीज में रुचि रखते थे। उन्होंने मुझे कंकड़-पत्थर, पेड़-पौधों तथा कीड़े-मकोड़े के जीवन तथा रातों के पहरेदार सितारों तक का दिलचस्प इतिहास बताया। अत: जिज्ञासा से आप नित नए अनुभव पाते हैं।

सीखने की उम्र नहीं

आधुनिकीकरण के साथ कारोबार की जटिलताएं भी बढ़ती जा रही हैं, इसलिए जब भी मौका मिले तो नई जानकारी हासिल करें। अगर हौसला हो तो किसी भी उम्र में इंसान कुछ भी नया कर सकता है।

छोटी शुरुआत, अच्छी शुरुआत

कड़ी मेहनत और अनुशासन ही सफलता का असली मार्ग है। यदि आपमें यह हुनर है, तो बस चूकिए नहीं। किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे नीचे की सीढ़ी चुनें। खड़े होकर इमारत की ऊंचाई भर नापने मात्र से सबसे ऊपर की मंजिल पर नहीं पहुंचा जा सकता। अत: छोटी शुरुआत, अच्छी शुरुआत। वैसे भी, मानवता तथा समाज के लिए हम उपयोगी तभी हो सकते हैं, जब हम खुशियां बिखेरने वाले बनें।


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