असफलता से घबराएं नहीं, धैर्यपूर्ण कर्मठता से ही मिलती है कामयाबी
कोई जरूरी नहीं कि आपका हर प्रयास सफल ही हो लेकिन यह भी सच है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नई दिल्ली [कुणाल देव]। सोहनलाल द्विवेदी की कविता का आखिरी यह अंतरा, ‘कुछ किए बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।’ सही मायने में जीवन, संघर्ष और विजय का फलसफा है। दरअसल, सफलता और विफलता जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू हैं। कोई जरूरी नहीं कि आपका हर प्रयास सफल ही हो, लेकिन यह भी सच है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। अक्सर आदमी संघर्ष के रास्ते से उस वक्त भटक जाता है, जब वह मंजिल के करीब होता है। इसका प्रमुख कारण है कि वह अपनी कोशिश, सफलता और विफलता की तुलना दूसरों से करने लगता है।
आर्थिक मंदी की चर्चा के इस दौर में खुद को खुश रखने, उपयोगी बनाने और निराशा को मात देने के लिए जरूरी है कि आप अपने काम को बेहतर तरीके से करें। जिम्मेदारियां लें और उसे शिद्दत से निभाएं। संभव है आपकी इस विशिष्टता पर कुछ दिनों तक कोई गौर न करे, लेकिन यह तय है कि आपका यह गुण बहुत दिनों तक छिपा भी नहीं रहेगा।
यह बात और अच्छी तरह समझने के लिए पेश है सबसे पहले एक कहानी। एक व्यक्ति लॉन्ड्री चलाता था। अपने काम के सिलसिले में उसने एक गधे व एक कुत्ते को पाल रखा था। गधा ग्राहकों के कपड़ों को नदी तक पहुंचाता और ले आता, तो कुत्ता घर की रखवाली करता। चूंकि गधा कारोबार का हिस्सा था और ज्यादा काम करता था, इसलिए मालिक उसकी चिंता ज्यादा करता था। उसके खानपान पर खास ध्यान देता था। यह बात कुत्ते को बुरी लगती थी।
धीरे-धीरे कुत्ते के मन में यह बात बैठ गई कि मालिक उसके साथ भेदभाव करता है। वह अनमना रहने लगा। एक रात लॉन्ड्री मालिक के घर चोर घुस आए। कुत्ते ने चोरों को देखा, लेकिन चुप बैठा रहा। गधे ने कुत्ते को उसकी जिम्मेदारी की याद दिलाते हुए कहा कि उसे भौंकना चाहिए। इस पर कुत्ते ने कहा कि मालिक तुम्हें ज्यादा चाहता है। इसलिए तुमसे जो कुछ भी हो सकता हो करो। मैं नहीं भौंकता। गधे से नहीं रहा गया। वह जोर से ढेंचू-ढेंचू करने लगा। उसकी आवाज सुनकर मालिक की नींद खुल गई और चोर भाग गए।
मालिक ने घर में सब कुछ सही सलामत पाया तो उसने गुस्से में गधे की पिटाई कर दी। कुत्ता बहुत खुश हुआ और कहा, ‘जिसका काम उसी को साजे, दूसरा करे तो डंडा बाजे’। इसके बाद भी लॉन्ड्री मालिक के यहां कई बार चोरी के प्रयास हुए और गधे ने हर बार ढेंचू-ढेंचू करके चोरों को भगा दिया। लेकिन इनाम की बजाय हर बार उसे पिटाई मिलती और कुत्ता हर बार खुश होकर उसे चिढ़ाता। कुछ दिनों बाद लॉन्ड्री मालिक के घर चोर फिर घुस आए। लेकिन वह चुप रहा। चोर काफी देर तक घर में रुके और सामान समेटकर जाने लगे। तब गधे से नहीं रहा गया।
अपने मालिक का नुकसान बचाने के लिए उसने ढेंचू-ढेंचू करना शुरू कर दिया। चोर सामान छोड़कर भाग गए। लॉन्ड्री मालिक की नींद खुली और जब उसकी नजर घर के खुले दरवाजे पर पड़ी, तो वह ठिठक गया। बाहर निकलकर देखा तो पास में ही गठरियां दिखाई दीं, जिसमें उसके घर के सामान थे। लॉन्ड्री मालिक माजरा समझ गया। इस बार पिटाई की बारी कुत्ते की थी। उसने न सिर्फ कुत्ते की पिटाई की, बल्कि उसकी जगह पर दूसरे कुत्ते को पाल लिया।
सही समय पर सही काम
गधे की मंशा शुरू से ठीक थी। वह काम भी ठीक कर रहा था, लेकिन उसे गलत समझा गया। बाद में उसके काम को सम्मान मिला।
जो कर सकते हैं, जरूर करें
मेरठ के एक बड़े संस्थान में प्रबंधन के विभागाध्यक्ष डॉ. विनीत कौशिक कहते हैं कि घर, ऑफिस या समाज आप कहीं भी हों, खुद को दायरे में न बांधें। जो सही लगता हो और आप जो कर सकते हों जरूर करें। कुछ दिनों तक लोग आपके काम की व्याख्या अलग-अलग तरीके से करेंगे, लेकिन जब उन्हें आपकी क्षमता का एहसास होगा, तो वे आपका सम्मान करने लगेंगे। किसी भी काम के तुरंत परिणाम की उम्मीद न करें। कई बार किसी काम में लंबा समय लग जाता है। समय-समय पर खुद का और अपने काम का आकलन करते रहें। जब कभी कोई दुविधा हो तो परिजनों, मित्रों व विषय के जानकारों से चर्चा करें। मन में शंका की कोई गुंजाइश कभी न छोड़ें।