Demanding Career : मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मिलेगी तरक्की को रफ्तार
कोरोना की चुनौतियों से जूझ रहे उद्योगों की नजर इन दिनों मशीन लर्निंग और र्आिटफिशियल इंटेलिजेंस पर है। लॉकडाउन और उसके बाद भी वर्क फ्रॉम होम की बढ़ती अहमियत को देखते हुए उन्नत तकनीकों को अपनाने पर सबका जोर है।
नई दिल्ली, जेएनएन। आज अगर आप सीरी, अलेक्सा या फेसबुक फ्रैंड सजेशंस से इंसानों की तरह बात कर पा रहे हैं, तो यह मशीन लर्निंग का ही कमाल है। इस तकनीक की ही देन है कि आज की मशीनें इतनी इंटेलिजेंट हो गई हैं कि ये इंसानों की तरह खुद ही अपना काम कर ले रही हैं। इस तकनीक की बढ़ती इसी उपयोगिता को देखते हुए इनदिनों युवा ही नहीं, कामकाजी लोग भी अपनी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए इस स्किल को सीखने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। कोरोना से जंग में भी इसकी अहम भूमिका देखी जा रही है।
कुछ माह पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिर्विसटी और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिर्विसटी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एक कोविड-19 डायग्नोसिस टूल विकसित किया है। इसकी मदद से कोरोना की 99.98 फीसद सटीक जांच की जा सकती है। इसी तरह, कोरोना का टीका बनाने के लिए दुनिया भर के तमाम शोधकर्ता, वैज्ञानिक और दवा बनाने वाली कंपनियां एआइ और मशीन लर्निंग विशेषज्ञों के साथ काम कर रही हैं। इसके अलावा, कोरोना वायरस की ट्रेसिंग में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। बीमारी का डाटा जुटाने में इसकी मदद ली जा रही है। कहने का मतलब यह है कि भले ही इनदिनों एमएल या एआइ के सहारे कारोबार को आगे बढ़ाने की बात हो रही हो। लेकिन आज यह तकनीक सिर्फ उद्योगों तक ही सीमित नहीं है।
टॉप डिमांडिंग जॉब्स में शुमार: जानकारों का मानना है कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच एक-दूसरे से आगे रहने और तेज गति से काम करने के लिए कंपनियों को ऑटोमेशन का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में ऑटोमेशन के कारण मशीन र्लंिनग इंजीनियर, कंप्यूटर विजन इंजीनियर या डाटा साइंटिस्ट जैसे प्रोफेशनल्स के लिए जॉब की ढेरों संभावनाएं सामने आ रही हैं। आने वाले समय में भी इस क्षेत्र में लाखों नौकरियां पैदा होने का अनुमान है, जो ऑटोमेशन के कारण पैदा होंगी। इनडीड की मानें, तो पिछले कुछ सालों में एआइ/एमएल के जानकारों की मांग बढ़कर दोगुनी हो चुकी है। यही कारण है कि आज के टॉप 10 डिमांडिंग जॉब्स में यह शुमार है।
यहां तलाशें मौके: मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल अभी सबसे अधिक इंडस्ट्रियल उद्देश्यों के लिए हो रहा है। यह भी देखा गया है कि जिन संस्थानों में एमएल तकनीक अपनाई जा रही है, उनकी दक्षता और कुशलता प्रतिस्र्पिधयों से कहीं अधिक हो गई है। वैसे, इनदिनों फाइनेंशियल र्सिवसेज, गर्वनमेंट सेक्टर्स, हेल्थकेयर, रिटेल, ई-कॉमर्स, ऑयल ऐंड गैस तथा ट्रांसपोर्टेशन जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। दरअसल, मशीन लर्निंग तकनीक मुख्य रूप से एआइ का ही एक पार्ट है, जो सॉफ्टवेयर को सही रूप से चलाने में मदद करती है। इस प्रक्रिया के तहत कंप्यूटर संचालित मशीनें अपने आप चीजें सीख जाती हैं और उन्हें अपना काम करने के लिए इंसानों की जरूरत नहीं पड़ती। आजकल अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी शॉपिंग साइट्स भी मशीन लर्निंग का इस्तेमाल अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए खूब कर रही हैं।
आवश्यक योग्यता: एमएल, एआइ या आइओटी आदि की डिमांड को देखते हुए तमाम संस्थानों द्वारा इसमें पूर्णकालिक कोर्स कराए जा रहे हैं, जैसे कि बीटेक प्रोग्राम इन र्आिटफिशियल इंटेलिजेंस ऐंड मशीन र्लंिनग। पीसीएम विषयों से १२वीं के बाद यह कोर्स किया जा सकता है। इसके अलावा, कोर्सेरा, उडेमी जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉम्र्स भी इस तरह के कोर्स करा रहे हैं। कामकाजी लोगों के लिए भी यहां एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम्स कराए जाते हैं। गूगल से भी ऑनलाइन माध्यम से मशीन र्लंिनग में क्रैश कोर्स किया जा सकता है।
सालाना पैकेज: किसी भी दूसरे जॉब प्रोफाइल की तुलना में एक मशीन र्लंिनग इंजीनियर को आजकल बहुत आकर्षक सैलरी मिल रही है। फोब्र्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में ऐसे एमएल प्रोफेशनल्स को औसतन 8 से 8.50 लाख रुपये तक सैलरी ऑफर हो रही है। अमेरिका जैसे देशों में यह सैलरी पैकेज और भी अधिक है।
प्रमुख संस्थान
आइआइटी, खड़गपुर, दिल्ली,
मुंबई, कानपुर, गुवाहाटी, रुड़की
www.iit.ac.in
नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ
टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
www.nsit.ac.in
एनआईईटी, गेटर नोएडा
www.niet.co.in
दर्जनों क्षेत्रों में है करियर स्कोप
मशीन लर्निंग और एआइ के इस दौर में आज बहुत कुछ आसान हो गया है। आने वाले समय में और भी बदलाव होने वाला है। कारोबार के बाद सबसे अधिक यह बदलाव चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आएगा। इस तकनीक की मदद से पांच-सात साल पहले ही यह बताया जा सकेगा कि अमुक व्यक्ति को कितने साल बाद कौन-सी बीमारी होने की आशंका है या वह किस स्थिति में है। आज कई ऐसे रोबोट आ गए हैं, जो एआइ की मदद लेते हुए मरीजों के स्वास्थ्य की उसी तरह देखभाल करते हैं जैसे कि नर्सें करती हैं। ये चौबीसों घंटे बिना थके और बिना विश्राम किए अनवरत काम कर सकते हैं। तमाम स्मार्ट डिवाइसेज में भी यही तकनीक इस्तेमाल हो रही है। कुल मिलाकर, युवाओं के लिए इस क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर जॉब के स्कोप हैं।