कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से हासिल की मंजिल, पढ़िए नीतीश सारदा की कहानी
नीतीश को निरंतर इनोवेशन करना और क्लाइंट की खुशी के लिए नित नए प्रयोग करना हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहते हैं
नई दिल्ली [अंशु सिंह]। 2016 के अप्रैल महीने में स्थापित ‘स्मार्टवर्क्स’ आज को-वर्किंग स्पेस में एक प्रतिष्ठित व विश्वसनीय नाम बन चुका है। यह कंपनियों एवं कर्मचारियों को ऐसा माहौल प्रदान कर रहा है, जहां वे मिलते हैं, नेटवर्क करते हैं और अपने आइडिया को एक-दूसरे से शेयर करते हैं। अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, हितैची, डाइकिन, डिलक्स, टाटा कम्युनिकेशंस, आर्सेलर मित्तल एवं इनसिडो जैसी कंपनियां इनकी क्लाइंट हैं। कुछ ही समय में इस वर्कस्पेस प्रोवाइडर ने देश के 9 शहरों में 23 लोकेशंस तक अपनी पहुंच बना ली है। हाल ही में लिंक्डइन ने भी इसे 2019 के शीर्ष स्टार्टअप्स में स्थान दिया है। स्मार्टवर्क्स के संस्थापक एवं सीईओ नीतीश सारदा कहते हैं कि यह सब टीम की कड़ी मेहनत का परिणाम है। नीतीश को निरंतर इनोवेशन
करना और क्लाइंट की खुशी के लिए नित नए प्रयोग करना हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहते हैं...
मैं एक बिजनेस फैमिली से हूं। सिंगापुर के सिम ग्लोबल एजुकेशन से फाइनेंस में ग्रेजुएशन और इंडिआना की पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से अकाउंटिंग एवं फाइनेंस में डिग्री हासिल करने के बाद करियर के शुरुआती दौर में ही पारिवारिक कारोबार से जुड़ गया था। वहां मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, रियल इस्टेट एवं आइटी डिवीजन में काम करने से बिजनेस को लेकर अच्छा एक्सपोजर हुआ। बिजनेस संबंधी बारीक जानकारियां मिलीं। स्पेस एवं पीएस ग्रुप जैसे रियल इस्टेट डेवलपर्स के साथ काम करना भी फायदेमंद रहा। वैसे, उद्यमिता में आने से पहले विजन कॉम्पटेक इंटीग्रेटर्स लिमिटेड कंपनी में बिजनेस डेवलपमेंट के निदेशक के तौर पर काम करने का अच्छा अनुभव रहा।
नया प्रयोग, बढ़ी प्रोडक्टिविटी
अमेरिका की गूगल व माइक्रोसॉफ्ट और सिंगापुर की फ्यूचरिस्टिक कंपनियों को देखकर मैंने महसूस किया कि इस तरह का प्रयोग भारत में भी किया जा सकता है। इससे कर्मचारियों की खुशी और प्रोडक्टिविटी दोनों को बढ़ाने में मदद मिलेगी। तीन साल पहले देश में भी पारंपरिक कार्यस्थलों के आधुनिकीकरण की एक मायने में शुरुआत हो गई थी। बेशक पश्चिमी देशों की तुलना में उसकी रफ्तार थोड़ी कम थी। इसलिए मैंने समूचे कॉरपोरेट वर्क फॉर्मेट में सकारात्मक बदलाव लाने का फैसला लिया। भारतीय पेशेवरों के लिए एक ऐसा वर्कप्लेस क्रिएट करने का निर्णय लिया, जो आसानी से सुलभ हो और बजट में भी हो। लोग उसे अफोर्ड कर सकें। इस तरह स्मार्टवर्क की शुरुआत हुई और फिर कभी पीछे देखना नहीं हुआ। यहां हमने एक पारंपरिक ऑफिस के साथ-साथ को-वर्किंग स्पेस भी क्रिएट किया है। कर्मचारियों को निजी, घर जैसा माहौल मिलता है, जिससे उनमें एक संतुष्टि भी आती है।
चुनौती के बीच कर्मचारियों को खुशी
2016 में जब हमने इस सफर की शुरुआत की थी, तब हमने स्टार्टअप्स एवं फ्रीलांसर्स पर ही अधिक फोकस किया था। लेकिन समय बीतने के साथ हमें लगा कि एमएनसी की अपेक्षाओं का भी ध्यान रखना होगा।लेकिन इसमें मल्टीनेशनल्स एवं देश की अग्रणी कंपनियों की पुरानी व पारंपरिक मानसिकता को बदलना एक चुनौती रही, जो अपने कंफर्ट जोन को छोड़कर, किसी ऑफिस स्पेस प्रोवाइडर पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। इसलिए हमने उन्हें न सिर्फ ऑफिस स्पेस उपलब्ध कराया, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी, एम्प्लॉयी इंगेजमेंट एक्टिविटीज जैसी सुविधाएं भी दीं। यूं कहें कि कस्टमर की हर मांग को पूरा किया।
खुद पर रखना होता है भरोसा
हर एंटरप्रेन्योर को इस सच्चाई को स्वीकार करना होता है कि परिस्थितियां हमेशा अनुकूल नहीं होती हैं। हमें खुद और अपने प्रोडक्ट पर भरोसा रखना होता है, जिससे नाकामी मिलने पर भी हम अपने लक्ष्य से पीछे न हटें। मैंने पिता से सीखा है कि अपने सपनों का पीछा करो, चाहे रास्ते में कितनी ही रुकावटें क्यों न आएं। उन्होंने ही सिखाया है कि कभी जोखिम लेने से डरना नहीं चाहिए। बेशक उसका कोई परिणाम न निकलता हो। साथ ही, हमेशा एक स्वस्थ वर्क-लाइफ बैलेंस होना चाहिए। आज जब मैं अपनी कंपनी का नेतृत्व कर रहा हूं, तो ये सारे सबक याद रखने की कोशिश करता हूं।