CBSE 10th Result 2021: 20 जुलाई तक 10वीं के नतीजे जारी होने की संभावनाओं के बीच सीबीएसई ने स्कूलों को दी ये चेतावनी
CBSE 10th Result 2021 सीबीएसई 10वीं रिजल्ट की घोषणा अगले सप्ताह 20 जुलाई तक किये जाने के अब तक के अपडेट्स के बीच बोर्ड ने स्कूलों को एक सर्कुलर जारी करते हुए चेतावनी दी है कि वे स्टूडेंट्स के मार्क्स यथार्थ ही रखें और उसे बढ़ा-चढ़ाकर अपलोड करने से बचें।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। CBSE 10th Result 2021: सीबीएसई 10वीं रिजल्ट 2021 की घोषणा अगले सप्ताह 20 जुलाई तक किये जाने के अब तक के अपडेट्स के बीच बोर्ड ने स्कूलों को एक सर्कुलर जारी करते हुए चेतावनी दी है। सीबीएसई बोर्ड द्वारा महामारी के कारण रद्द की गयी सेकेंड्री बोर्ड परीक्षाओं के रद्द किये जाने के बाद सीबीएसई 10वीं रिजल्ट 2021 तैयार करने के लिए ईवैल्यूएशन क्राइटेरिया के अंतर्गत टेबुलेशन पॉलिसी जारी की थी। सभी स्कूलों को इसी पॉलिसी के अनुसार अपने-अपने स्टूडेंट्स के मार्क्स को बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश जारी किये गये थे। इन मार्क्स में पिछली कक्षाओं के स्कोर और वर्ष 2020-21 के प्री-बोर्ड के अंक शामिल हैं। अब बोर्ड ने हाल ही में जारी अपने सर्कुलर में स्कूलों को चेतावनी दी है कि वे स्टूडेंट्स के मार्क्स यथार्थ ही रखें और उसे बढ़ा-चढ़ाकर अपलोड करने से बचें।
सीबीएसई बोर्ड ने स्कूलों को जारी अपने सर्कुलर में कहा, “दसवीं कक्षा के लिए टेबुलेशन पॉलिसी मूल्यांकन के सिद्धांतों अर्थात् मूल्यांकन की प्रक्रिया के दौरान विश्वसनीयता, निष्पक्षता और वैधता को समझना और स्कूल स्तर की मूल्यांकन प्रक्रिया में भिन्नता का ध्यान रखना, अंकों के मॉडरेशन की प्रक्रिया के माध्यम से स्कूलों में अंकों का मानकीकरण करना था। निष्पक्षता बनाये रखने के लिए यह जरूरी था और यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्टूडेंट्स के दिये गये मार्क्स तुलनीय हैं और किसी भी स्कूल द्वारा उपयोग की जाने वाली मेथोडोलॉजी और मूल्यांकन की प्रक्रियाओं के कारण किसी भी छात्र के लिए कोई प्रतिकूल प्रभाव या किसी स्टूडेंट के लिए अनुचित लाभ नहीं है।”
बोर्ड ने कुछ मामलों का अपने सर्कुलर में जिक्र करते हुए कहा, “इसी के अनुसार, स्कूलों से अपेक्षा की गयी थी कि वे स्टूडेंट्स को मार्क्स अलॉट करते समय रिफ्रेंस डिस्ट्रिब्यूशन का पालन करें। हालाँकि, स्कूलों द्वारा अंक अपलोड करने के बाद डेटा विश्लेषण पर, यह देखा गया है कि अधिकांश स्कूलों ने रिफ्रेंस डिस्ट्रिब्यूशन का पालन किया है, कुछ स्कूलों ने ऐसा नहीं किया है और दिए गए रिफ्रेंस रेंज के अपर ब्रैकेट में अंकों को बंच किया है। जैसे थ्योरी मार्क्स को 70-80 रेंज में बांटने के बजाय 77-80 रेंज के बीच में मार्क्स बांटे गए हैं।”