हेल्थकेयर सेक्टर के पैरामेडिक्स में उज्ज्वल भविष्य, जानिए क्या है योग्यता और सैलरी
पैरामेडिक्स एक उभरता फील्ड है, जिसे आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन भी कहते हैं। ये टेक्नीशियन आमतौर पर एंबुलेंस सेवा में अपनी ड्यूटी देते हैं
नई दिल्ली, जेएनएन। हेल्थकेयर में पैरामेडिक्स यानी वे प्रोफेशनल्स जो रोगों का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट, एक्सरे, एमआरआइ, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड जैसे विभिन्न जांच करते हैं या फिर मेडिकल केयर में प्रशिक्षण के जरिए जो मरीजों के बेहतर इलाज में डाक्टरों की सहायता करते हैं, ऐसे लोगों की बहुत जरूरत देखी जा रही है। इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन भी इसी तरह का एक उभरता फील्ड है, जिसे आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन भी कहते हैं।
ये टेक्नीशियन आमतौर पर एंबुलेंस सेवा में अपनी ड्यूटी देते हैं, क्योंकि दुर्घटना या आपातकालीन स्थितियों में एंबुलेंस ही सबसे पहले पहुंचती है और ये उस स्थिति से निपटने में काफी प्रशिक्षित होते हैं। इसके अलावा, इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन हॉस्पिटल में आपातकालीन चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में भी मदद करते हैं। आसान और प्रभावी तरीके से हर किसी तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में आजकल इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। आने वाले दिनों में इन पैरामेडिकल स्टॉफ की पूछ और बढ़ने की उम्मीद है।
सेवाभावी कार्यक्षेत्र
क्रैडल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज के डायरेक्टर अनिल भट के अनुसार, इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन का फील्ड एक सेवाभावी पेशा है। इसमें भावनात्मक रूप से मजबूत होने के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी सक्षम होना आवश्यक होता है, क्योंकि इन्हें अस्पताल के बाहर आपातकालीन सेवा देने के अलावा इमरजेंसी केयर असिस्टेंट्स, पैरामेडिकल, पुलिस और अग्निशमन के साथ भी कोआर्डिनेशन बनाकर काम करना पड़ता है। इन तकनीशियन को आमतौर पर अस्पताल परिवहन सेवाओं, एंबुलेंस सेवाओं,राहत कार्यों और अग्निशमन विभागों में स्वास्थ्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया जाता है। कई बार आपात स्थिति के दौरान इन टेक्नीशियंस को अकेले ही सारी जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है। काम के दौरान चोट लगने या संक्रामक रोगों के संपर्क में आने की परवाह किए बगैर लोगों को राहत पहुंचानी होती है।
विविधतापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं
आपातकालीन स्थिति में ये प्रोफेशनल मौके पर पहुंचकर पीड़ितों को हॉस्पिटल पहुंचाने से पहले उनका प्राथमिक उपचार करते हैं। पीड़ित की हालत को स्थिर करने के लिए उनके घाव में पट्टी बांधते हैं, बहते हुए खून को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, पीड़ित को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना, पीड़ित की ट्रीटमेंट और उसको दी जाने वाली दवाइयों की रिपोर्ट तैयार करना, किसी संक्रमित पीड़ित को लाने के बाद एंबुलेंस की सफाई करना भी इनके रोजाना के कार्य का हिस्सा होता है। साथ में एंबुलेंस में इस्तेमाल होने वाले चिकित्सा उपकरणों का रखरखाव भी यही लोग करते हैं।
कोर्स एवं योग्यता
दिल्ली पैरामेडिकल ऐंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की प्रिंसिपल अरुणा सिंह के अनुसार, इस फील्ड में आने के लिए डिप्लोमा कोर्स ऑफर हो रहे हैं, जिसे किसी भी स्ट्रीम के कैंडिडेट 12वीं के बाद कर सकते हैं। कोर्स के दौरान छात्रों को आपातकालीन स्थिति या किसी भी तरह की आपदा की स्थिति में किस तरह निपटा जाए, समुचित मेडिकल सुविधाओं का प्रबंध कैसे करें, मरीजों की तीमारदारी में किस बात का ख्याल रखा जाए, इत्यादि पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाती है। साथ में आपदा या महामारी फैलने की स्थिति में कैसे और किस हद तक तत्पर रहें, महामारी या आपदा पर नियंत्रण करने, जख्मी होने या उपचार में क्या सावधानी बरतनी चाहिए, जैसी स्थितियों से भी निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है।
जॉब्स के मौके
इस कोर्स के बाद युवा सरकारी और गैर-सरकारी दोनों फील्ड में अपने लिए जॉब तलाश सकते हैं। वैसे, निजी और सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी और आपातकालीन सेवाओं में ऐसे प्रोफेशनल्स की जरूरत आजकल ज्यादा देखी जा रही है, क्योंकि आपदा की स्थिति में सबसे ज्यादा जरूरत इन्हीं मेडिकल पेशेवरों की होती है, जो तुरंत मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने में पूरी तरह प्रशिक्षित होते हैं।
सैलरी
इस क्षेत्र में शुरुआत में 10 से 15 हजार रुपये की सैलरी मिल जाती है और अनुभव के साथ साथ आगे सैलरी में भी इजाफा होता जाता है। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद ऐसे प्रोफेशनल 40 से 50 हजार रुपये तक सैलरी पाते हैं।
प्रमुख संस्थान
- दिल्ली पैरामेडिकल ऐंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
- इंडियन मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग, जालंधर, पंजाब
- क्रैडल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली
- इंस्टीट्यूट ऑफ एलाइड हेल्थ साइंसेज, कोलकाता