Move to Jagran APP

Air Pollution से ग्रीन सेक्टर में बढ़ी नौकरियां, ये हैं कोर्स; कमाई के साथ जन सेवा का मौका

इंडीड की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण ग्रीन सेक्टर की नौकरियों में करीब 76 फीसद तक का उछाल आया है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 12:34 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 03:41 PM (IST)
Air Pollution से ग्रीन सेक्टर में बढ़ी नौकरियां, ये हैं कोर्स; कमाई के साथ जन सेवा का मौका
Air Pollution से ग्रीन सेक्टर में बढ़ी नौकरियां, ये हैं कोर्स; कमाई के साथ जन सेवा का मौका

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच इन दिनों एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के जानकारों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इंडीड की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण ग्रीन सेक्टर की नौकरियों में करीब 76 फीसद तक का उछाल आया है। इस सेक्टर की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए युवा इसमें काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। अगर पर्यावरण से गहरा लगाव है, तो आप भी यहां चमकदार करियर बना सकते हैं...

loksabha election banner

पिछले कुछ वर्षों से नवंबर-दिसंबर के महीने में देश की राजधानी दिल्ली में और उसके आसपास वायु प्रदूषण की भयावह स्थिति को हम सभी देख-सुन रहे हैं। अभी हाल में प्रदूषण से हालात इतने विकट हो गए थे कि लोग सांस की तकलीफ से जूझते नजर आए। इसकी वजह से तमाम लोग बीमार भी पड़ गए। इस विपदा की वजह से तमाम लोग दिल्ली छोड़ने के बारे में भी सोचने लगे। सरकार को दिल्ली -एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी तक लगानी पड़ी। वैसे, आजकल यह समस्या सिर्फ दिल्ली की ही नहीं है। दुनिया के ज्यादातर शहरों में इसी तरह से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, उनकी सेहत को नुकसान पहुंच रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण और बदलता मौसम इनदिनों टॉप 10 वैश्विक खतरों में से एक है।

ऐसे में पूरी दुनिया में इस समय पर्यावरण संकट से निपटने के लिए काफी जोर दिया जा रहा है। इससे प्रदूषण नियंत्रण एवं एयर क्वालिटी कंट्रोल के क्षेत्र में करियर के नए-नए मौके भी सामने आ रहे हैं। जॉब पोर्टल इंडीड की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में क्लीन एनर्जी सेक्टर की लोकप्रियता बढ़ने से इस फील्ड के जॉब में करीब 76 फीसद का उछाल आया है। आज इस क्षेत्र के युवा प्रोफेशनल्स की मांग देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी बहुत है। अगर आप भी इस सेक्टर से जुड़ना चाहते हैं, तो समुचित नॉलेज और टेक्निकल स्किल हासिल करने के बाद आपके लिए भी यह एक चमकीला करियर हो सकता है। पॉल्यूशन मैनेजमेंट फील्ड से जुड़े इन्हीं नए करियर विकल्पों पर एक नजर...

बढ़ती संभावनाएं

वायु प्रदूषण के कारण फैल रही तमाम बीमारियों और मौतों को देखते हुए देश में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित नियम-कायदे लगातार कड़े होते जा रहे हैं। सरकारों का भी इस तरफ काफी जोर है।

यही वजह है कि आज बड़ी संख्या में एनवॉयर्नमेंटल साइंस, एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग तथा रिन्यूएबल एनर्जी में प्रशिक्षित लोगों की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक दुनियाभर में हर तरह के प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाएगा। जाहिर है इस क्षेत्र में आने वाले दिनों में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में भी पर्यावरणीय मानकों को कड़ाई से लागू किया जा रहा है। ऐसे में ग्रीन टेक्नोलॉजी की मदद से इको-फ्रेंडली उत्पादों का उत्पादन करना समय की मांग बन गई है, यहां भी ऐसे लोगों की जरूरत पड़ रही है।

अगर अभी की बात करें, तो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सौर और पवन ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने वाली बिल्डिंग्स के निर्माण पर दिए जाने के अलावा वॉटर रिसाइकिलिंग, वेस्ट मैनेजमेंट, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित शोध कार्य, ऊर्जा की खपत कम करने वाले उपकरणों के निर्माण, प्रदूषण की मॉनीटरिंग और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने वाली टेक्निक आदि विकसित करने के लिए बड़ी संख्या में इस पृष्ठभूमि के विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं।

जॉब्स के अवसर

एनवॉयर्नमेंटल साइंस/एनवॉयर्नमेंटल स्टडीज के डिग्रीधारकों के लिए आजकल सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में कई तरह के जॉब ऑप्शंस मौजूद हैं। इसके अलावा, हाल के वर्षों में मार्केट की जरूरतों को देखते हुए कई नए जॉब प्रोफाइल्स भी इस फील्ड से जुड़ गए हैं, जिनकी आजकल काफी डिमांड काफी देखी जा रही है:

एयर क्वालिटी रिसर्च एनालिस्ट

वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ ही आजकल एयर क्वालिटी असेसमेंट यानी वायु की गुणवत्ता को परखने पर काफी काम किया जा रहा है, ताकि प्रदूषण की चुनौतियों से कारगर तरीके से निपटा जा सके। इसलिए इन दिनों एयर क्वालिटी रिसर्च एनालिस्ट जैसे प्रोफेशनल्स की काफी मांग देखी जा रही है, जो प्रदूषण के स्तर का आकलन कर इससे निपटने की रणनीति बनाते हैं। वे मुख्य रूप से एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग तथा उत्सर्जन को रोकने जैसे उपायों पर ये काम करते हैं। प्रदूषण नियंत्रण प्रतिष्ठानों से लेकर पर्यावरण से जुड़े विभिन्न एनजीओ और रिसर्च संस्थानों में आजकल इनकी काफी मांग है। इंडीड के अनुसार, इस पद के लिए औसत सालाना सैलरी साढ़े तीन लाख से 4 लाख रुपये तक मिल रहा है।

एनवॉयर्नमेंटल इंपैक्ट स्पेशलिस्ट

मानव समाज द्वारा फैलाए जा रहे विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को देखते हुए आजकल जनजागरूकता की बहुत आवश्यकता है। मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी अभियान ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की चर्चा आज देश में ही नहीं, दुनियाभर में है। 

बड़े स्तर पर जागरूकता फैलाए जाने का नतीजा यह है कि अब लोग अपने आसपास भी स्वच्छता पर काफी ध्यान देने लगे हैं। एनवॉयर्नमेंटल इंपैक्ट स्पेशलिस्ट भी यही काम करते हैं, वे लोगों के बीच जागरूकता फैलाकर प्रदूषण के फायदे और नुकसान बताते हैं, लोगों की आदतों को बदलने का प्रयास करते हैं, घर और घर के आसपास पौधे लगाकर हरियाली के लिए उन्हें प्रेरित करते हैं। इंडीड की मानें, तो इस जॉब प्रोफाइल के लोगों को आजकल काफी अच्छी सैलरी ऑफर हो रही है। इन प्रोफेशनल्स को अभी औसतन आठ से साढ़े आठ लाख रुपये तक वार्षिक सैलरी मिल रही है।

व्हीकल एनर्जी एनालिस्ट

जिन युवाओं की रिसर्च तथा एनालिसिस के फील्ड में गहरी रुचि है, सस्टेनेबल एनर्जी के बारे में विधिवत जानकारी रखते हैं, उनके लिए यह एक आकर्षक करियर विकल्प हो सकता है। इस फील्ड के लोग ऊर्जा और विद्युतीकरण से जुड़ी जरूरतों पर काम करते हैं। मार्केट ट्रेंड और लोगों की जरूरतों के अनुसार रिसर्च वर्क करते हैं। अभी साढ़े आठ लाख रुपये तक सालाना सैलरी इन प्रोफेशनल्स को ऑफर हो रही है।

एनर्जी ऐंड सस्टेनिबिलिटी मैनेजर

अगर आप स्वच्छ पर्यावरण के स्थायित्व के प्रबल समर्थक हैं और ग्रीन एनर्जी से जुड़े फील्ड में ही करियर बनाना चाहते हैं, तो यह आपके लिए उपयुक्त जॉब है। विभिन्न कॉरपोरेट कंपनियों में आजकल इस प्रोफाइल के लोगों की काफी जरूरत देखी जा रही है, जो संस्थान को गाइड कर सकें कि कैसे पर्यावरण अनुकूल गतिविधियां अपनाकर ग्रीन लिविंग को बढ़ावा दिया जाए। इंडीड की रिपोर्ट के अनुसार, इस पद के लिए अभी 7 से साढ़े सात लाख रुपये तक सालाना पैकेज मिल रहा है।

एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियर

आजकल एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग भी एक डिमांडिंग जॉब है। एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियर बनकर आप पर्यावरण की समस्याओं का सॉल्यूशन निकालकर और नई-नई तकनीकें विकसित करके अपने साथ-साथ समाज और देश का भी भला कर सकते हैं।

इलेक्ट्रिक व्हीकल सॉफ्टवेयर डेवलपर

इन प्रोफेशनल्स की भी इन दिनों ऑटोमोबाइल्स में डिमांड देखी जा रही है। दरअसल, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल और बीएस 6 वाहनों पर इन दिनों काफी ध्यान दिया जा रहा है। यही वजह है कि ऑटोमोबाइल कंपनियों में आजकल ऐसी गाड़ियों की आंतरिक बनावट के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल सॉफ्टवेयर डेवलपर की काफी मांग है।

कोर्स एवं योग्यताएं 

देश के कई संस्थानों में एनवॉयर्नमेंटल साइंस या एनवॉयर्नमेंटल स्टडीज नाम से डिग्री और पीजी कोर्सेज संचालित हो रहे हैं। साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट 12वीं के बाद यह कोर्स कर सकते हैं। बैचलर कोर्स की अवधि तीन साल है। साथ ही एनवॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग में बीटेक या बीई भी कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

1. दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

वेबसाइट: www.du.ac.in

2. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

वेबसाइट: www.jnu.ac.in

3. टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, नई दिल्ली

वेबसाइट: www.terisas.ac.in

4. चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ

वेबसाइट: www.ccsuniversity.ac.in


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.