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श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के डा. विजय प्रकाश श्रीवास्तव बने परीक्षा नियंत्रक, शोध एवं शिक्षण कार्य में 29 वर्ष का अनुभव

नवनियुक्त परीक्षा नियंत्रक डा. श्रीवास्तव ने कुलपति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय (Sridev Suman University) की परीक्षाओं की प्रमाणिकता विश्वसनीयता व गोपनीयता की प्राथमिकता उनका मुख्य उद्देश्य रहेगा। वर्तमान परीक्षा में विद्यार्थियों का सही मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 03:51 PM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 03:51 PM (IST)
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के डा. विजय प्रकाश श्रीवास्तव बने परीक्षा नियंत्रक, शोध एवं शिक्षण कार्य में 29 वर्ष का अनुभव
डा. विजय प्रकाश श्रीवास्तव (Dr. Vijay Prakash Srivastava) को विश्वविद्यालय का नया परीक्षा नियंत्रक नियुक्त किया गया है।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: पंड‍ित ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश के वाणिज्य संकाय में कार्यरत डा. विजय प्रकाश श्रीवास्तव (Dr. Vijay Prakash Srivastava) को विश्वविद्यालय का नया परीक्षा नियंत्रक नियुक्त किया गया है। वह प्रोफेसर महावीर सिंह रावत का स्थान लेंगे।

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रजिस्ट्रार ने जारी क‍िया नोट‍िफ‍िकेशन

कुलपति प्रो. पितांबर प्रसाद ध्यानी के आदेश पर रजिस्ट्रार खेमराज भट्ट ने इस बाबत नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। नवनियुक्त परीक्षा नियंत्रक डा. श्रीवास्तव ने कुलपति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय (Sridev Suman University) की परीक्षाओं की प्रमाणिकता, विश्वसनीयता व गोपनीयता की प्राथमिकता उनका मुख्य उद्देश्य रहेगा साथ ही विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए समय पर परीक्षा परिणाम एवं परीक्षा परिणामों में नवाचार को अपनी कार्य योजना में शामिल करेंगे।

परीक्षा प्रक्रिया में बुनियादी बदलाव लाने की आवश्यकता

वर्तमान परीक्षा में विद्यार्थियों का सही मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है, ज्ञान के अनुप्रयोग के कौशल, विश्लेषण, सृजन मूल्यांकन हेतु उचित तर्क क्षमता के कौशल के मूल्यांकन की आवश्यकता है। हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुधारात्मक सुझावों का क्रियान्वयन किया जाए, आज वर्तमान परीक्षा प्रक्रिया में बुनियादी बदलाव लाने की आवश्यकता है, इस परिवर्तन का मकसद शिक्षा परीक्षा को मशीन प्रक्रिया से बाहर निकाल कर उसमें मौलिकता, तर्क क्षमता और कल्पनाशीलता के लिए गुंजाइश बढ़ाना है।

शोध एवं शिक्षण कार्य का 29 वर्ष का अनुभव

डा. श्रीवास्तव को शोध एवं शिक्षण कार्य का 29 वर्ष का अनुभव है। उनकी पहली नियुक्ति 1999 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गोपेश्वर में हुई थी। इससे पूर्व वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में कार्य थे। 2009 - 2016 तक पंडित ललित मोहन शर्मा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कार्यरत रहे और 2016 में राजकीय महाविद्यालय रायपुर मालदेवता अध्यापन कार्य किया और सितंबर 2021 से श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश में कार्यरत हैं।

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