पांच साल से खाली हाथ निगम, अवैध रूप से लग रहे होर्डिंग, अब निदेशालय तय करेगा रिजर्व प्राइज
विज्ञापन फीस के नाम पर नगर निगम के हाथ पांच साल से खाली हैं। तीन साल तक तो पालिसी न बन पाने के कारण टेंडर काल नहीं किया जा सका। जब पालिसी बनी तो रिजर्व प्राइज इतना अधिक रखा कि बार-बार रिकाल करने के बावजूद एजेंसियों ने दिलचस्पी नहीं ली। शुरुआत दौर में सात करोड़ रुपये रिजर्व प्राइज रखा गया था जोकि घटकर 82 लाख रुपये तक आ चुका है। बावजूद इसके योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। अब निदेशालय स्तर पर ही इसका रिजर्व प्राइज तय होगा। उधर शहर में अवैध रूप से होर्डिंग व बैनर लग रहे हैं। यदि टेंडर सिरे चढ़ जाए तो सलाना लाखों रुपये की आमदन हो सकती है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : विज्ञापन फीस के नाम पर नगर निगम के हाथ पांच साल से खाली हैं। तीन साल तक तो पालिसी न बन पाने के कारण टेंडर काल नहीं किया जा सका। जब पालिसी बनी तो रिजर्व प्राइज इतना अधिक रखा कि बार-बार रिकाल करने के बावजूद एजेंसियों ने दिलचस्पी नहीं ली। शुरुआत दौर में सात करोड़ रुपये रिजर्व प्राइज रखा गया था जोकि घटकर 82 लाख रुपये तक आ चुका है। बावजूद इसके योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। अब निदेशालय स्तर पर ही इसका रिजर्व प्राइज तय होगा। उधर, शहर में अवैध रूप से होर्डिंग व बैनर लग रहे हैं। यदि टेंडर सिरे चढ़ जाए तो सलाना लाखों रुपये की आमदन हो सकती है। रेट कम किए जाने के बावजूद नहीं दिलचस्पी
विज्ञापन साइटों के लिए निगम की ओर से पहली बार 209 रुपये प्रति स्केयर फुट प्रति वर्ष रेट निर्धारित किया गया। किसी भी एजेंसी ने टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। उसके बाद 150 रुपये रेट रखा गया। इस दौरान भी एक भी एजेंसी आगे नहीं आई। उसके बाद 112 फिर 80 व उसके बाद 70 रुपये प्रति स्केयर फुट प्रति वर्ष रेट निर्धारित किया गया। हालांकि निगम अधिकारी एजेंसियों के लिए इसे लाभकारी बता रहे हैं।
लक्ष्य निर्धारित करने तक सिमट रही कार्रवाई
पालिसी न बनने के कारण तीन साल से विज्ञापन की साइटों के लिए टेंडर नहीं लग पाया। साइटों के लिए टेंडर तो नहीं हुआ, लेकिन निगम अधिकारी हर वर्ष लक्ष्य जरूर तय करते रहे हैं। बेशक आमदन जीरो हुई हो। वर्ष-2015-16 में दो करोड़, 2016-17 में 50 लाख, 2017-18 में 50 लाख, 2018-19 में एक करोड़, 2019-20 में 50 लाख , 2020-21 में 27 लाख व 2022-23 में 50 लाख रुपये रुपये का लक्ष्य रखा गया है। साइटों की संख्या में घटाई
निगम अधिकारियों ने विज्ञापन की साइटों की संख्या भी घटाई है। शुरुआती दौर में इनकी संख्या 100 थी। उसके बाद 80 कर दी गई। अब संख्या घटाकर 60 कर दी गई है। इन साइटों का चयन एजेंसी को खुद करना होगा। साइट का निर्धारण एजेंसी स्वयं करेगी, लेकिन निगम से मंजूरी लेनी होगी। साइटों के साथ रिर्जव प्राइज भी कम किया गया है। पहली बार लगाए गए टेंडर के मुताबिक सात करोड़ 50 लाख रुपये रखा था। उसके बाद घटकर तीन करोड़ 66 लाख, फिर एक करोड़ 82 लाख, उसके बाद 96 लाख और पिछली बार 82 लाख रुपये रिर्जव प्राइज रखा गया है।
निगम को हो चुका भारी नुकसान
तीन साल से निगम एरिया में विज्ञापन की साइटों के टेंडर नहीं हो सके। जिसके चलते अवैध रूप से होर्डिंग्ज लगाने का खेल चल रहा है। निगम की ओर से इसका टेंडर नहीं किया गया। बावजूद इसके साइटों पर विभिन्न कंपनियों के विज्ञापन लगे हुए देखे जा सकते हैं। इसकी शिकायत शहरी स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री अनिल विज को भी हो चुकी है। शिकायतकर्ता के मुताबिक तीन साल की इस अवधि में निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर नगर निगम आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। सरकार निगम के साधनों से आमदन बढ़ाने पर जोर दे रही है।
शहर में अवैध रूप से लग रहे होर्डिंग
शहर में इन दिनों विभिन्न प्रतिष्ठान मालिक व राजनीतिक दलों से जुड़े लोग मनमाने ढंग से होर्डिंग व बैनर लगा रहे हैं। शहर के पाश एरिया में स्ट्रीट लाइटों के पोल पर होर्डिंग लटका दिए गए हैं। हालांकि निगम की ओर से समय-समय पर इनको हटाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन अगले ही दिन फिर उसी स्थान पर होर्डिंग लगा दिए जाते हैं।