एक्स्ट्रा शाट: जानिए- क्यों आवश्यक है अवसरों को समझ कर उसका समुचित लाभ उठाना
बेरोजगारी के दौर में सामने आ रहे अवसरों की अनदेखी या किसी कारण उसका विरोध करना स्वयं को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ी बाधा बन सकता है। क्यों आवश्यक है अवसरों को समझ कर उसका समुचित लाभ उठाना बता रहे हैं अरुण श्रीवास्तव..
अरुण श्रीवास्तव। भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में अपने लिए सही नौकरी हासिल करना एक बड़ी चुनौती है। उच्च शिक्षित और तकनीकी कौशल हासिल करने वाले युवाओं के लिए तो नौकरी पाना फिर भी आसान होता है, लेकिन जो युवा कम पढ़े-लिखे या अकुशल हैं और पुलिस, अर्धसैनिक बल या सेना का हिस्सा बनने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए पिछले दिनों लाई गई योजना अग्निपथ के जरिए सेना में अग्निवीर बनने का मौका एक बड़े अवसर के रूप में ही है। बेशक तमाम कारणों से कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा हो और इसके लिए युवाओं को उकसा कर उनके भविष्य को दांव पर लगाया जा रहा हो, पर युवा यदि गौर करें, तो इस चार साल की बेहद प्रतिष्ठित और सुविधापूर्ण नौकरी के दौरान उन्हें भविष्य के लिए भी मजबूती से तैयार होने का सुअवसर मिल रहा है।
विकल्पों की भरमार: यह सही है कि इस कदम से सरकार को भविष्य में पेंशन राशि पर खर्च होने वाली भारी-भरकम धनराशि को कम करने में मदद मिलेगी, लेकिन यह देखने की आवश्यकता भी है कि इससे तात्कालिक तौर पर हर साल बड़े पैमाने पर तीनों सेनाओं में विभिन्न प्रकार की नौकरियों के अवसर सामने आ रहे हैं। युवाओं और उनके स्वजन के संशय को दूर करने के लिए सरकारी विभागों, संस्थानों के अलावा कारपोरेट सेक्टर द्वारा भी चार साल बाद बाहर आने वाले जवानों के लिए अपने दरवाजे खुले रखने की घोषणा किसी सौगात से कम नहीं है। अनेक विकल्प होने से उनके सामने मनपसंद क्षेत्र चुनने का विकल्प होगा।
नौकरी संग कौशल और शिक्षा: केंद्र सरकार की घोषणा के बाद अब धीरे-धीरे काफी हद तक यह स्पष्ट हो गया है कि हर वर्ष चुने जाने वाले युवाओं को नौकरी के साथ ही उनकी योग्यता और जरूरत के अनुसार बारहवीं और ग्रेजुएशन के अलावा कई तरह के आवश्यक कौशल में भी निपुण बनाया जाएगा। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे उत्साह के साथ अपने पसंदीदा क्षेत्र में कदम बढ़ा सकेंगे।
बचें बहकावे से: दूसरों के बहकावे में आकर अच्छे-बुरे की पहचान न कर पाना और आक्रोश में सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाना एक तरह से खुद को ही नुकसान पहुंचाना होता है। क्षणिक उत्तेजना में आकर उठाया गया कदम न केवल उज्ज्वल भविष्य की राह में बाधक बन सकता है, बल्कि उससे स्वजन को भी दीर्घावधि की पीड़ा मिलती है।
समझ-बूझ कर बढ़ें आगे: माना जाता है कि युवाओं का खून गर्म होता है। इस कारण उन्हें गुस्सा जल्दी आता है। पर यह भी सच है कि गुस्से में उठाया गया कदम हमेशा आत्मघाती ही साबित होता है। यदि किसी मुद्दे को ठीक से समझने में स्वयं को सक्षम नहीं पा रहे हैं, तो कोई भी कदम उठाने से पहले या दूसरों की उकसावे वाली बातें सुनने के बजाय अपने स्वजन से या किसी समझदार व्यक्ति से उसके बारे में जानने-समझने का जतन करें। इससे आपके लिए अच्छे-बुरे की पहचान कर पाना और उचित निर्णय ले पाना आसान हो सकता है।
अपने आपको बनाएं सक्षम: जो अवसर सामने आ रहे हैं, उसके लिए भी कड़ी प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है। इसलिए अपने को आगे रखने के लिए जरूरी है कि आप स्वयं को हर तरह से सक्षम बनाने का प्रयास करें। इसके लिए चाहे लिखित परीक्षा की तैयारी करनी हो या फिर शारीरिक परीक्षा की, दोनों ही स्तरों पर अपने को तैयार करना शुरू कर दें। तभी हइन अवसरों का समुचित लाभ उठा सकेंगे। स्वयं को शांत व संतुलित रख आगे बढ़ें।
मौके का उठाएं भरपूर लाभ: एक पुरानी कहावत है कि ‘आधी छोड़ पूरी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै’। ऐसे समय में जब बेरोजगारी अधिक है, विकल्प सीमित हैं, तो कुछ भी न होने से यह तो अच्छा है कि जो अवसर सामने है, उसका लाभ उठाने का भरसक प्रयास किया जाए। कहीं ऐसा न हो कि दूसरे इस अवसर का लाभ उठा लें और आप हाथ मलते रह जाएं। यह भी याद रखें, अवसर बार-बार सामने नहीं आते। हां, यदि खुद को और सक्षम बना लें, तो हो सकता है कि चार साल बाद सेना में दोबारा मौका मिल जाए।