फारेन लैंग्वेज: विदेशी भाषाओं में तेजी से बढ़ रहीं करियर की संभावनाएं
Career in Foreign Language लेंगमा स्कूल आफ लैग्वेजेज के निदेशक संजीव रावत का कहना है कि विदेशी भाषा के जानकारों के लिए आइटी दवाइयां रसायन उर्वरक वैज्ञानिक शोध परियोजनाओं के साथ व्यापार के क्षेत्र में बहुत से मौके हैं।
नई दिल्ली, फीचर डेस्क। विश्व में भारत का रूतबा तेजी से बढ़ रहा है। वैश्वीकरण के तेजी से बदलते इस परिवेश में विभिन्न देशों के बीच की दूरियां सिमट कर रह गई हैं। इसके चलते देश-विदेश में नौकरी और रोजगार के अवसरों में भी भारी इजाफा हुआ है। लेकिन इस काम में भाषा की वजह से सबसे ज्यादा मुश्किल आती है, क्योंकि जिस देश में हम काम करना चाहते हैं या फिर जिस देश के लोगों से हम काम, व्यापार या रोजगार के सिलसिले में बात करना चाहते हैं, हमें उसकी भाषा का ज्ञान होना भी बेहद जरूरी है। इसलिए पिछले कुछ वर्षों से भारत में विदेशी भाषाओं की विशेषज्ञता रखने वालों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं। दरअसल, भारत बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार तो है ही। इसके अलावा, यहां पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं। ऐसे में विभिन्न देशों से लोगों का भारत आना-जाना तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में युवाओं को विदेशी भाषाओं का ज्ञान हो तो वह करियर में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।
अगर आज के समय में लोकप्रिय विदेशी भाषाओं की बात करें, तो वर्तमान समय में फ्रेंच, जर्मन, रशियन, स्पेनिश, जैपनीज और चाइनीज भाषा का ज्यादा बोलबाला है। क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इन देशों के साथ व्यापारिक गतिविधियां ज्यादा बढ़ी हैं। इसलिए चाइनीज, फ्रेंच, जर्मन जैसी भाषा के जानकारों की मांग तेजी से बढ़ रही है। फ्रेंच भाषा को अंग्रेजी के बाद विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा पसंदीदा भाषा माना जाता है। इसके बाद जर्मन भाषा का नंबर आता है। जर्मन भाषा को जर्मनी, स्विटजरलेंड और आस्ट्रेलिया आदि देशों में 10 करोड़ से ज्यादा लोग बोलते हैं। विश्व पटल पर जबसे जापान ने व्यापार, आइटी और दूसरे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना शुरू किया है, तब से जापानी भाषा के जानकारों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। लेकिन इन सबके बीच चाइनीज भाषा के जानकारों को भी जाब के अच्छे आफर मिल रहे हैं।
अंग्रेजी से मिलती है जर्मन और फ्रेंचः फ्रेंच और जर्मन भाषा सीखने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञाना होना जरूरी है। कारण है कि ये दोनों ही भाषाएं अंग्रेजी से कुछ मिलती-जुलती हैं। हालांकि विदेशी भाषाएं सीखने के लिए अंग्रेजी का बेसिक ज्ञान तो होना ही चाहिए। आजकल जैपनीज, रशियन और स्पेनिश भाषा को भी रोजगार परक भाषा माना जाता है। क्येांकि वैश्विक व्यापार व्यवस्था बढ़ने के साथ ही हर देश को दूसरे देश में अपना कारोबार बढ़ाने का मौका मिला है।
कहां हैं रोजगार के मौकेः लेंगमा स्कूल आफ लैग्वेजेज के निदेशक संजीव रावत का कहना है कि विदेशी भाषा के जानकारों के लिए आइटी, दवाइयां, रसायन, उर्वरक, वैज्ञानिक शोध परियोजनाओं के साथ व्यापार के क्षेत्र में बहुत से मौके हैं। इसलिए विदेशी भाषाओं के जानकारों को आसानी से यहां रोजगार मिल रहा है। इसीतरह, चीन के लोगों के साथ समस्या यह है कि वहां के ज्यादातर लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है। ऐसे में वहां चीनी भाषा के जानकारों को ही प्राथमिकता दी जाती है। जब भी भारत या दूसरे देश का प्रतिनिधिमंडल एक-दूसरे के देश में जाता-आता है तो उन्हें दुभाषियों की जरूरत पड़ती है। इसलिए सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में विदेशी भाषा के जानकारों की अच्छी मांग है। इनके अलावा टूर एंड ट्रेवल्स, भाषा अकादमी व होटल इंडस्ट्री में विदेशी भाषाओं के जानकारों के लिए अच्छे मौके हैं।
कोर्स और योग्यताः इस क्षेत्र में प्रमुख तौर पर तीन तरह के कोर्स कराए जाते हैं। इनमें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और स्नातक कोर्स शामिल हैं। सर्टिफिकेट कोर्स का पाठ्यक्रम एक साल डिप्लोमा कोर्स का एक से दो साल और स्नातक कार्स तीन साल का होता है। तीनों ही कोर्स करने के लिए अभ्यर्थी को कम से कम 45 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास होना चाहिए। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए अभ्यर्थी का 45 फीसदी अंकों के साथ स्नातक होना जरूरी है।
शुरुआती वेतनः विदेशी भाषाओं का ज्ञान रखने वालों के लिए शुरूआती वेतन 20 से 30 हजार रुपये आसानी से मिल जाता है। हालांकि कारपोरेट और सरकारी क्षेत्र में यह 50-60 हजार से शुरू होता है। यदि आप स्वतंत्र अनुवादक के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको प्रति शब्द के हिसाब से भुगतान किया जाता है।
प्रमुख संस्थान
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
www.jnu.ac.in
मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई
https://mu.ac.in
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
www.du.ac.in
लैंगमा स्कूल आफ लैंग्वेजेज, दिल्ली
https://langmainternational.com