कारखानों की सुस्ती हटने के संकेत
पिछले पांच महीने से देश के कल-कारखानों में जारी सुस्ती टूटने के हल्के संकेत मिले हैं, लेकिन आशंकाएं बरकरार हैं। अगस्त, 2012 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.7 फीसद रही है। जून और जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में तेज गिरावट के बाद इस वृद्धि को सरकार के लिए राहतकारी माना जा रहा है। मगर विशेषज्ञ इसे बहुत
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पिछले पांच महीने से देश के कल-कारखानों में जारी सुस्ती टूटने के हल्के संकेत मिले हैं, लेकिन आशंकाएं बरकरार हैं। अगस्त, 2012 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.7 फीसद रही है। जून और जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में तेज गिरावट के बाद इस वृद्धि को सरकार के लिए राहतकारी माना जा रहा है। मगर विशेषज्ञ इसे बहुत ज्यादा उम्मीदों वाला नहीं मान रहे हैं। औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती की मांग की है।
अगर अप्रैल से अगस्त, 2012 तक की बात करें तो इस दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर महज 0.4 फीसद रही है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 5.6 फीसद थी। पिछले वित्त वर्ष के अगस्त महीने में भी औद्योगिक वृद्धि दर 3.4 फीसद रही थी। ऐसे में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इस वित्त वर्ष में औद्योगिक विकास दर एक से दो फीसद के बीच रह सकती है। मजेदार तथ्य यह है कि इस वर्ष अगस्त में औद्योगिक वृद्धि को बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका खनन क्षेत्र ने निभाई है जो कई वजहों से विवादों में है। इस दौरान इस क्षेत्र के उत्पादन में दो फीसद की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले वर्ष के इसी महीने में 5.5 फीसद की गिरावट आई थी।
इस महीने मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादन 2.9 फीसद रहा है जो अगस्त 2011 में 3.9 फीसद था। वहीं बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर 9.5 फीसद से घट कर 1.9 फीसद पर सिमट गई है। अप्रैल-अगस्त, 2012 में मैन्यूफैक्चरिंग की वृद्धि दर शून्य रही है। उद्योग जगत इसे काफी चिंताजनक मान रहा है क्योंकि रोजगार देने में इस क्षेत्र की भूमिका सबसे अहम होती है। यही वजह है कि फिक्की, सीआइआइ और एसोचैम सहित अन्य विशेषज्ञों ने रिजर्व बैंक से तत्काल ब्याज दरों मे कटौती करने की मांग की है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने कहा है कि अगस्त के आंकड़े काफी उत्साह पैदा करने वाले हैं। अगर हालात यूं ही बने रहते हैं तो इस वर्ष मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में तीन से चार फीसद वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है। फिक्की ने मैन्यूफैक्चरिंग के साथ बिजली क्षेत्र की खराब होती स्थिति पर भी चिंता जताई है। दरअसल, बिजली क्षेत्र में अप्रैल के बाद से लगातार गिरावट का दौर जारी है। सीआइआइ के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि हाल के दिनों में सरकार ने आर्थिक सुधारों के लिए जो कदम उठाए हैं उन्हें और मजबूती देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जानी चाहिए।
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