औद्योगिक उत्पादन की तस्वीर मैन्यूफैक्चरिंग ने बदल डाली
अब तक सुस्ती का शिकार रहे औद्योगिक क्षेत्र ने सरकार को राहत की खबर सुनाई है। इस साल अक्टूबर में कल-कारखानों में उत्पादन की वृद्धि दर सोलह महीने के ऊंचे स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वैसे, औद्योगिक उत्पादन की इस तेज रफ्तार की बड़ी वजह पिछले साल अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक यानी आइआइपी में गिरावट रही है। तब यह पांच प्रतिशत लुढ़का था। इससे पहले जून, 2011 में औद्योगिक उत्पादन ने
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब तक सुस्ती का शिकार रहे औद्योगिक क्षेत्र ने सरकार को राहत की खबर सुनाई है। इस साल अक्टूबर में कल-कारखानों में उत्पादन की वृद्धि दर सोलह महीने के ऊंचे स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वैसे, औद्योगिक उत्पादन की इस तेज रफ्तार की बड़ी वजह पिछले साल अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक यानी आइआइपी में गिरावट रही है। तब यह पांच प्रतिशत लुढ़का था। इससे पहले जून, 2011 में औद्योगिक उत्पादन ने 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर को छुआ था।
अलबत्ता औद्योगिक उत्पादन में इस सुधार पर सभी ने राहत ली है। अक्टूबर में मैन्यूफैक्चरिंग की 9.6 प्रतिशत की ऊंची विकास दर ने औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई है। वैसे, इस बात पर संदेह जताया जा रहा है कि मैन्यूफैक्चरिंग की यह तेज विकास दर कितनी स्थायी होगी? चूंकि अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन की आधार दर बेहद नीची थी, इसलिए इस क्षेत्र में थोड़ा भी सुधार ज्यादा बड़ी तस्वीर दिखाता है।
अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन की तेज रफ्तार के बावजूद वित्त वर्ष के शुरुआती सात महीने में वृद्धि दर अभी भी बेहद धीमी 1.2 प्रतिशत पर बनी हुई है। जानकार औद्योगिक उत्पादन की तेज रफ्तार को स्थितियों में सुधार की शुरुआत मान रहे हैं। सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन की गणना के 22 वर्गो में से 17 ने बढ़त हासिल की है। सितंबर में सिर्फ बारह वर्गो के उत्पादन में बढ़त दर्ज हुई थी। इसके बावजूद मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की रफ्तार में वृद्धि को अहम माना जा रहा है, क्योंकि पूरे औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान 75 प्रतिशत का होता है।
खनन क्षेत्र का प्रदर्शन अभी भी सरकार के लिए चिंता बना हुआ है। पर्यावरण से जुड़ी मंजूरियों और कोयला ब्लॉकों के आवंटन रद होने में उलझे खनन क्षेत्र के उत्पादन में कमी अब भी बनी हुई है। मगर भारी मशीनरी बनाने वाले कैपिटल गुड्स उद्योग की हालत में सुधार हुआ है। इसके संकेत भी सकारात्मक हैं कि औद्योगिक क्षेत्र में विस्तार का काम अब शुरू हुआ है।
समीक्षाधीन माह में औद्योगिक उत्पादन में तेज रफ्तार की एक बड़ी वजह त्योहारी सीजन भी रहा है।
इस अवधि में टीवी फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे सामान बनाने वाले कंज्यूमर ड्यूरेबल वर्ग के उत्पादन में 16.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अन्य उपभोक्ता सामान बनाने वाले उद्योगों का उत्पादन भी 13.2 प्रतिशत बढ़ा है। बीते वर्ष के समान माह में इसमें मात्र 0.1 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई थी।
ऊंची-नीची रफ्तार
माह , वृद्धि दर
अप्रैल 0.1
मई 2.4
जून -1.8
जुलाई 0.1
अगस्त 2.7
सितंबर -0.4
अक्टूबर 8.2
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क्षेत्र वृद्धि दर
मैन्यूफैक्चरिंग 9.6
खनन -0.1
बिजली 5.5
कैपिटल गुड्स 7.5
कंज्यूमर ड्यूरेबल 16.5
कंज्यूमर गुड्स 13.2
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[सभी आंकड़े फीसद में]
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