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अर्थव्यव्यस्था में सुधार को निवेश होगी पीएसयू की नकदी

सरकार ने उन सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की पहचान कर ली है जिनकी नकदी का इस्तेमाल वह सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए करना चाहती है। ऐसे नौ पीएसयू प्रमुखों के साथ वित्त मंत्री पी चिदंबरम बुधवार को बैठक करेंगे। इन उपक्रमों से बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं के वित्त पोषण में मदद लेने की योजना है।

By Edited By: Published: Wed, 12 Sep 2012 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2012 07:53 AM (IST)
अर्थव्यव्यस्था में सुधार को निवेश होगी पीएसयू की नकदी

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सरकार ने उन सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की पहचान कर ली हैए जिनकी नकदी का इस्तेमाल वह सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए करना चाहती है। ऐसे नौ पीएसयू प्रमुखों के साथ वित्त मंत्री पी चिदंबरम बुधवार को बैठक करेंगे। इन उपक्रमों से बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं के वित्त पोषण में मदद लेने की योजना है।

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निजी क्षेत्र की तरफ से घरेलू अर्थव्यवस्था में निवेश की कम रफ्तार को लेकर चिंतित सरकार की नजरें अब दिग्गज पीएसयू पर हैं। एनटीपीसी, सेल, ओएनजीसी, एनएमडीसी जैसे कई सार्वजनिक उपक्रमों के पास भारी-भरकम नकदी मौजूद है। इन कंपनियों के पास करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का नकद पड़ा है। सरकार का मानना है कि अर्थव्यवस्था की सुस्ती के दिनों में पीएसयू की इस राशि का इस्तेमाल बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं में निवेश के लिए किया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री पीएसयू प्रमुखों से बात करेंगे।

वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने बताया कि अब सरकार का पूरा ध्यान बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाओं को जल्द से जल्द मंजूरी देने की है। अब समस्या इन परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण की है। इस दिक्कत को पीएसयू के नकद रिजर्व से दूर किया जा सकता है। सरकार की मंशा ऐसी परियोजनाओं में सार्वजनिक उपक्रमों को भागीदार बनाकर उनके वित्त पोषण की है। इन कंपनियों से समयबद्ध तरीके से अपने निवेश कार्यक्रम तैयार करने को कहा जा सकता है। वित्त मंत्री के साथ पीएसयू प्रमुखों की बैठक में सभी संबंधित मंत्रालयों के सचिवों को भी बुलाया गया है।

फिक्की के एक कार्यक्रम में मायाराम ने कहा कि सरकार फिलहाल सड़क और पेट्रोलियम क्षेत्र की परियोजनाओं को वरीयता दे रही है। इन दोनों क्षेत्रों की कई परियोजनाएं शुरू होने को तैयार हैं, जरूरत केवल इनके वित्त पोषण का इंतजाम करने की है। इन दोनों क्षेत्रों में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की दरकार है। इसके बाद भंडारण के क्षेत्र में पीपीपी परियोजनाओं पर जोर दिया जाएगा।

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