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93 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय लेखक को धोखे बहुत मिले, पर न्याय नहीं

अंतरराष्ट्रीय लेखक को जिदगी में धोखे बहुत मिले पर न्याय नहीं मिला।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 07:45 PM (IST)
93 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय लेखक को 
धोखे बहुत मिले, पर न्याय नहीं
93 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय लेखक को धोखे बहुत मिले, पर न्याय नहीं

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : अंतरराष्ट्रीय लेखक को जिदगी में धोखे बहुत मिले, पर न्याय नहीं मिला। ये धोखे अब उम्र के अंतिम पड़ाव पर उन्हें टीस दे रहे हैं। उनके साथ करीब 22 साल पहले धोखाधड़ी हुई थी, मगर आज तक आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। हिदी और पंजाबी में 40 से अधिक किताबें लिख चुके लेखक केवल सूद यहां अचीवर्स सोसायटी सेक्टर-49 में पत्नी के साथ रहते हैं। उनकी उम्र 93 साल है, मगर लिखना पढ़ना आज भी जारी है। इन दिनों वे अपनी आत्मकथा सफरनामा लिख रहे हैं। वे चाहते हैं कि किसी तरह उनके साथ धोखा करने वालों को सजा मिले।

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लेखक केवल सूद ने बताया कि साल 2000 में वे दिल्ली में थे। तब उनके पास धर्मवीर चावला, उसकी पत्नी डाली चावला और बेटा अखिल आए। तीनों ने उन्हें उनकी वेबसाइट बनाने का आफर दिया। उन्होंने वेबसाइट बनाने के लिए मंजूरी दे दी। अपनी किताबें उन्होंने तीनों को दे दीं। केवल सूद का आरोप है कि वेबसाइट बनाने के बाद तीनों ने उन्हें वेबसाइट का पासवर्ड नहीं दिया। वेबसाइट के माध्यम से वे तीनों उनके लिखे हुए का फायदा उठाते रहे। उन्होंने इस संबंध कई बाद दिल्ली पुलिस को शिकायत दी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

केवल सूद ने बताया कि साल 1975 में आपातकाल के दौरान उन्होंने डायन और डर उपन्यास लिखा था। अब उन्हें गूगल से पता चला है कि इस उपन्यास की मूल प्रति कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में रखी है। इसी तरह साल 1970 में उन्होंने बंद गलियां खुले दरवाजे उपन्यास लिखा था। अब उन्हें पता चला है कि इस उपन्यास की मूल प्रति यूनिवर्सिटी आफ मिसिगन में रखी है। उन्होंने उपन्यास की प्रति यूनिवर्सिटी को नहीं दी, ऐसे में वे समझ नहीं पा रहे कि मूल प्रति यूनिवर्सिटी के पास कैसे पहुंची। उन्होंने दोनों यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर इस बाबत स्पष्ट करने का निवेदन किया है। मुर्गीखाना उपन्यास हुआ सबसे प्रसिद्ध

केवल सूद बताते हैं कि उनका मुर्गीखाना उपन्यास सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुआ। यह उपन्यास उन्होंने साल 1989 में लिखा था। अब तक नौ भाषाओं में इसके अनुवाद हो चुके हैं। उपन्यास महिलाओं के समलैंगिक संबंधों की चर्चा करता है। लेखक का कहना है कि आज भी समलैंगिकता पर लोग खुलकर बात नहीं करते। जब उन्होंने यह उपन्यास लिखा तो काफी विरोध हुआ था। वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार व उनके साथ होने वाले अपराध को लेकर पुलिस गंभीर है। समय-समय पर पुलिस वरिष्ठ नागरिकों के घर जाकर हाल-चाल भी पूछती है। अंतरराष्ट्रीय लेखक के साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत मिलने पर दिल्ली पुलिस से बात करेंगे। उन्हें न्याय दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

-विकास कुमार अरोड़ा, पुलिस आयुक्त


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