Anti Sikh Riots: सिख विरोधी दंगा के दो आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज, मुंह में गद्दा बांधकर जला दिया था
सिख विरोधी दंगा के दो आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है। आरोपितों ने मुख पर गद्दा बांधकर आग लगा दी और एक अन्य की हत्या कर दी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
कानपुर, जागरण संवाददाता। सिख विरोधी दंगा मामले में अपर जिला जज विकास गोयल ने दो आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इससे पहले भी कई आरोपितों की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है।
सिख विरोधी दंगा 1984 में हुआ था। इसमें सरदार पुरुषोत्तम सिंह के परिवार के कई सदस्य भी मारे गए थे।पुरुषोत्तम की तहरीर पर 10 नवंबर 1984 को पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। तहरीर के मुताबिक एक नवंबर की सुबह आठ बजे उनका पूरा परिवार व पाठ की ड्यूटी देने आए सरदार गुरुदयाल सिंह मौजूद थे। उसी समय कुछ अराजक तत्व दीवार फांदकर घुस आए। अराजक तत्वों को देखकर उन्होंने परिवार को एक कमरे में बंद कर दिया लेकिन अराजक तत्वों ने दरवाजा न खुलने पर पेट्रोल व केरोसिन डालकर आग लगा दी।
सामान जलने से अंदर फंसे लोगों का दम घुटने लगा। जिसके बाद वह दरवाजा खोलकर बाहर आए और हाथ जोड़कर जाने देने की गुहार लगायी। अराजक तत्व नहीं माने और उनके भाई सरदूल सिंह और गुरुदयाल सिंह को बाहर खींचकर ले गए और लाठी डंडों से पीटकर अधमरा कर दिया। इसके बाद सरदूल के मुख पर गद्दा बांधकर आग लगा दी और गुरुदयाल को भी वहीं मार डाला।
इसी दौरान पीएसी और पुलिस पहुंच गई जिसके बाद सभी भाग गए। इस मामले में गठित एसआइटी के डीआइजी बालेन्दु भूषण ने जांच के बाद विश्व बैंक कालोनी निवासी दीपक और केडीए मार्केट नौबस्ता के राजन लाल पांडेय को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सहायक शासकीय अधिवक्ता संजय कुमार झा और सुशील पांडेय ने बताया कि मंगलवार को दोनों की अर्जी पर सुनवाई थी जिसका विरोध किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने दोनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी।