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लोकसभा चुनाव की तैयारी में AAP चंडीगढ़, नए नेताओं को दी जिम्मेदारी, ओंकार औलख बने युवा विंग के नए अध्यक्ष

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आम आदमी पार्टी (आप) चंडीगढ़ ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इस वजह से पार्टी अपने संगठन का विस्तार करते हुए नई नियुक्तियां कर रही हैं। नई नियुक्तियों में ओंकार औलख को युवा विंग का नया अध्यक्ष बनाया गया है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 01:42 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 01:42 PM (IST)
लोकसभा चुनाव की तैयारी में AAP चंडीगढ़, नए नेताओं को दी जिम्मेदारी, ओंकार औलख बने युवा विंग के नए अध्यक्ष
आप प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र सिंह औलख के बेटे हैं ओंकार सिंह औलख। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आम आदमी पार्टी (आप) चंडीगढ़ ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इस वजह से पार्टी अपने संगठन का विस्तार करते हुए नई नियुक्तियां कर रही हैं। नई नियुक्तियों में ओंकार औलख को युवा विंग का नया अध्यक्ष बनाया गया है। युवा विंग के नए अध्यक्ष देवेंद्र सिंह औलख के बेटे हैं जिनके पास पहले से आप के प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी है। ओंकार सिंह औलख ने नगर निगम चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। 

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इसके साथ ही टीपीएस वालिया को लीगल सेल का अध्यक्ष और गगन आहलूवालिया को उपाध्यक्ष बनाया गया है।  महिला विंग का अध्यक्ष सुखराज संधू और महासचिव अमरप्रीत कौशल को नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही साहिल, राजिंदर हिंदुस्तानी, कुलदीप कुक्की, ममता कैंथ, ललित मोहन, बजरंग गर्ग और हरजिंदर बावा को प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। नगर निगम चुनाव से पहले पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया गया था।

आम आदमी पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन, सह प्रभारी प्रदीप छाबड़ा, कुलवंत सिंह और संयोजक प्रेम गर्ग की तरफ से यह नियुक्तियां की हैं। उपाध्यक्ष में दो ऐसे नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है जो कि नगर निगम चुनाव में पार्षद का चुनाव हार गए थे। आप का अगला टारगेट लोकसभा चुनाव में चंडीगढ़ सीट पर हासिल करना है। 

बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में चंडीगढ़ सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। हालांकि इस समय आप की स्थिति कांग्रेस और भाजपा से बेहतर है। नगर निगम में आप के 14 पार्षद हैं। दिसंबर 2019 में हुए नगर निगम चुनाव में आप ने कांग्रेस और भाजपा के मुकाबले में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन अपना मेयर बनाने में कामयाब नहीं हो सकी।

इस बार कांग्रेस आप मेयउम्मीदवार को समर्थन दे सकती है। ऐसी स्थिति में भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती है।जबकि भाजपा की नजर इस समय कांग्रेस और आप के नाराज पार्षदों पर है, ताकि वह उनको अपनी पार्टी में शामिल कर अगले मेयर चुनाव में अपनी जीत पक्की कर सके। नगर निगम चुनाव के बाद से कांग्रेस के दो पार्षद भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस के इस समय छह पार्षद है। तो वहीं भाजपा के पास भी 14 पार्षद हैं।


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