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Aligarh Amrit Mission : साढ़े तीन साल में 24 हजार मकान जुड़े सीवेज नेटवर्क से, लक्ष्‍य दो लाख का

Aligarh Amrit Mission अलीगढ़ में अभी तक अंग्रेजों के समय में बने ड्रेनेज सिस्‍टम से ही काम चल रहा है जबकि बरसात में नालों का पानी सड़कों पर भर जाता है। अमृत मिशन योजना के तहत अब अब तक 24 हजार मकान ही सीवेज नेटवर्क से जुड़ पाए हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 10:18 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 10:29 AM (IST)
Aligarh Amrit Mission : साढ़े तीन साल में 24 हजार मकान जुड़े सीवेज नेटवर्क से, लक्ष्‍य दो लाख का
केंद्र सरकार ने अमृत मिशन के तहत इसके लिए जो लक्ष्य तय किए थे, वो तक पूरे न हो सके।

लोकेश शर्मा, अलीगढ़ । Aligarh Amrit Mission : शहर के विकास की योजनाएं तो हर साल बनती हैं, लेकिन सीवेज नेटवर्क को विकसित करने में संबंधित महकमे उदासीन ही हैं। केंद्र सरकार ने अमृत मिशन के तहत इसके लिए जो लक्ष्य तय किए थे, वो तक पूरे न हो सके। साढ़े तीन साल में 24 हजार मकान ही sewage network से जोड़े गए हैं। जबकि, लक्ष्य दो लाख का था। सीवेज अब भी नालों में ही बहता है। इससे drainage system बुरी तरह प्रभावित है। sewage treatment plant (एसटीपी) क्रियाशील न होने से घरों से निकला सीवेज ड्रेनेज का दम निकल रहा है। जरा सी बारिश में सड़कें मलमूत्र की बाढ़ में डूबने लगती हैं। 

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अंग्रेजी हुकूमत के समय की जलनिकासी व्‍यवस्‍था : शहर में जलनिकासी की व्यवस्था अंग्रेजों के शासन से चली आ रही है। तीन प्रमुख नालों पर पूरा ड्रेनेज सिस्टम टिका है। Aligarh Drain, Joffrey Drain और Mathura-Iglas Road Drain पर वर्षा के बेहिसाब पानी की निकासी का दारोमदार है। सीवेज की निकासी भी यहीं से है। पुरानी सीवेज पाइप लाइन चोक पड़ी हैं। इन्हें छोटे नालों से जोड़ दिया है। बरसात के दिनों में ये नाले अक्सर चोक हो जाते हैं। ये हालात तब हैं, जब स्मार्ट सिटी में शुमार ये शहर स्वच्छ सर्वेक्षण में प्रदेश की टाप थ्री रैंकिंग में था।

सीवेज व्‍यवस्‍था को दुरूस्‍त करने की योजना : अमृत मिशन के तहत एबीडी (area based development) एरिया में जलापूर्ति के अलावा सीवेज व्यवस्था को दुरुस्त करने की योजना है। 198 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में सीवेज लाइन बिछाने का काम जून, 2019 में शुरू हुआ था। दो लाख मकानों को सीवेज नेटवर्क से जोड़ना था। 31 किमी सीवेज लाइन बिछाकर 24 हजार मकानों में कनेक्शन दे दिए गए, लेकिन एसटीपी शुरू न होने से सीवेज अब भी नालों में ही बहता है। नालों में सीवेज बहने से ड्रेनेज सिस्टम तो प्रभावित होता ही है, जन स्वास्थ्य के लिए भी घातक है। महेंद्र नगर, आवास विकास, श्यामनगर, बारहद्वारी के आसपास के मोहल्ले, जनकपुरी आदि क्षेत्रों में सीवेज लाइन तो बिछा दी गईं, लेकिन सीवेज प्रोसेसिंग के प्रबंध अब तक न हो सके।

1500 करोड़ का नया प्रोजेक्ट : अमृत मिशन के दूसरे चरण में 1500 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इसके तहत एबीडी एरिया के बाहर भी सीवेज लाइन का जाल बिछाया जाएगा। 1700 किमी सीवेज लाइन बिछाने की योजना है। 200 एमएलडी की क्षमता वाला एसटीपी तैयार किया जाएगा। जल निगम द्वारा डीपीआर तैयार कर इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

45 एमएलडी क्षमता का प्लांट : मथुरा रोड पर निर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 45 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) की क्षमता है। इसी प्लांट से सीवेज लाइन जोड़ी जा रही हैं। सीवेज की प्रोसेसिंग के बाद शोधित पानी नालों में छोड़ा जाएगा। सीवेज से खाद भी बनाई जाएगी। 24 माह में ये प्लांट तैयार होना था। मगर, 90 प्रतिशत ही काम पूरा हो सका है।

पब्‍लिक बोल

सीवेज को लेकर अब तक नगर निगम की कोई योजना कारगर नहीं हुई। सीवेज की पुरानी पाइप लाइन चोक पड़ी हैं। नई पाइप लाइन कई क्षेत्रों में डाली ही नहीं गईं।

- हरिओम वार्ष्णेय अधिवक्ता, संगम विहार

अमृत योजना में सीवेज निस्तारण के लिए पाइप लाइन डालने के क्षेत्र सीमित हैं। हमारे क्षेत्र में सीवेज निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। घरों में सेप्टिक टैंक बनवा लिए हैं।

- आरके सिंह अधिवक्ता, डोरी नगर

इनका कहना है

एबीडी एरिया में 24 हजार मकान सीवेज नेटवर्क से जोड़े गए हैं। एसटीपी का काम लगभग पूरा हो चुका है। दिसंबर तक प्लांट शुरू हो जाएगा। दूसरे चरण के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है।

- पंकज रंजन, अधिशासी अभियंता, जल निगम


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