सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक पास करवाने के लिए प्रतिबद्ध है कांग्रेस
मिशन 2014 का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कमर कसकर मैदान में आ चुकी हैं। राजनीतिक घमासान के लिए कुरुक्षेत्र तैयार है और जल्द ही शंखनाद होने वाला है। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार इन चुनावों में जीत का रुख बदल गया है लेकिन इस बात से भी कोई इन्कार नहीं कर सकता कि सांप्रदायिक ताकतों के पसरते पैरों को रोकने में अगर कोई सरकार कामयाब सिद्ध हो सकती है तो वह सिर्फ कांग्रेस है।
मिशन 2014 का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कमर कसकर मैदान में आ चुकी हैं। राजनीतिक घमासान के लिए कुरुक्षेत्र तैयार है और जल्द ही शंखनाद होने वाला है। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार इन चुनावों में जीत का रुख बदल गया है लेकिन इस बात से भी कोई इन्कार नहीं कर सकता कि सांप्रदायिक ताकतों के पसरते पैरों को रोकने में अगर कोई सरकार कामयाब सिद्ध हो सकती है तो वह सिर्फ कांग्रेस है।
कांग्रेस की प्रतिद्वंदी और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा जोकि हिंदूवादी संगठन आरएसएस की पॉलिटिकल विंग है, ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अपने प्रत्याशी के तौर पर नामित किया है और इस बात से शायद ही कोई बेखबर हो कि नरेंद्र मोदी अब तक अपने माथे से सांप्रदायिक होने जैसा दाग नहीं धो सके हैं। जनता गुजरात दंगों के लिए मोदी को दोषी मानती है जबकि कांग्रेस सभी धर्मो और जातियों को समान रूप से आगे लेकर चलती है। बड़े परिवर्तन की राह तक रही भारत की जनता को एक ऐसी सरकार की दरकार है जो सांप्रदायिक भावना से इतर सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के जीने के समान अवसर उपलब्ध करवाए और इस मामले में कांग्रेस से बेहतर कोई और सरकार हो ही नहीं सकती। इसलिए यह उम्मीद है कि लगातार तीसरी बार भी कांग्रेस केंद्र की सत्ता पर काबिज होगी।
भारत की राजनीति में सर्वधर्म समभाव वाली भावना की एकमात्र पैरोकार पार्टी कांग्रेस इस दिशा में सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक पास करवाने के लिए प्रतिबद्ध है इसीलिए भारत की जनता उसे इस बार भी सत्ता सौंपेगी ताकि देश को सांप्रदायिक दंगों की आग की में झोंकने वाली ताकतों को सबक सिखाया जा सके।