सहयोग से समाधान: ग्राहकों के साथ बना वर्षों का विश्वास कोरोना काल में आया काम!
कारोबार की सफलता के लिए यह जरूरी है कि किसी भी हालात में आपको ग्राहकों के मन की भाषा और उनके साथ एक सामाजिक व मानसिक तारतम्य बिठाने का हुनर आता हो। यही सूत्र आपको मुश्किल घड़ी में भी ग्राहकों का समर्थन जुटा सकने में मददगार होता है।
कानपुर, जेएनएन। कारोबार की सफलता के लिए यह जरूरी है कि किसी भी हालात में आपको ग्राहकों के मन की भाषा और उनके साथ एक सामाजिक व मानसिक तारतम्य बिठाने का हुनर आता हो। यही सूत्र आपको मुश्किल घड़ी में भी ग्राहकों का समर्थन जुटा सकने में मददगार होता है। और हां, अगर ग्राहक ने ये ठान लिया कि आपका हाथ किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगा तो कामयाबी आपकी रहगुजर होगी। श्रीलगन/ जेएम संस के मालिक दीपक अग्रवाल कहते हैं कि ग्राहकों का विश्वास, आपकी ईमानदारी और मानवीयता वह सब करने में सक्षम है, जो आपकी कल्पना में है।
वह कहते हैं कि किसी कारोबारी के पीछे ग्राहक अगर ढाल की तरह खड़ा है तो संकट सफलता में बदल जाता है। कोरोना काल में भी कुछ ऐसे ही हुआ। हमारा और ग्राहक के संबंधों का पुल और मजबूत हो गया। यही नहीं, व्यापार करने के लिए ऐसा मैकेनिज्म और नीति बनाई, जिससे हमें काफी फायदा दिया। आइए, दीपक अग्रवाल की जुबानी ही जानते हैं कि कोरोना काल में कैसे उन्होंने चुनौतियों को पार कर सफलता की पगडंडी पर सफर तय किया।
फुटपाथ की दुकान से शोरूम तक का सफर
दीपक बताते हैं कि उनके पिताजी 1978-80 में कानपुर के दर्शनपुरवा में फुटपाथ पर दुकान लगाते थे। 1986 में हमने छोटी दुकान दर्शनपुरवा में खोली। उस दौरान हमारे पास काफी कम सामान हुआ करता था। 1999 में हमने विस्तार किया तो हमारी दुकान का एरिया आठ बाय आठ से बढ़कर 1200 स्क्वायर फीट हो गया। 2003 में हमने श्रीलगन साड़ी शोरूम शुरू किया। मैंने बीटेक की पढ़ाई की, 2008 में कानपुर यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। हमने कानपुर में रेमंड, बाटा के शोरूम भी खोले।
समाधान 1: कोरोना की वजह से रद्द नहीं की कारोबार विस्तार की योजना
कोरोना काल से थोड़े समय पहले हमने दो शोरूम खोलने की योजना बनाई थी। कोरोना काल से पहले इनका निर्माण कार्य शुरू हो गया था। कोरोना काल में भी हमने इस योजना को स्थगित नहीं किया। एक शोरूम 26 अप्रैल को और दूसरा 18 सितंबर, 2020 को खोला गया। हम जानते थे कि किसी भी कारोबार को जमने में समय लगता है। ऐसे में हमने कोरोना काल में दुकान खोलने की योजना को रद्द नहीं किया।
समाधान 2: ग्राहकों से फोन पर जोड़ा कनेक्शन
हमारी टीम ने तय किया ग्राहकों और परिचितों से फोन से संपर्क साधेंगे। बातचीत में हम उनकी समस्या समझेंगे और उनके निदान पर काम करेंगे। अगर ग्राहक किसी विपत्ति में हैं तो उनकी मदद करेंगे। इस दम से हमारा ग्राहकों संग रिश्ता और प्रगाढ़ हुआ। मौजूदा समय में वही ग्राहक हमारी पूंजी बन गए हैं। हमारी दुकान पर उन ग्राहकों की आवाजाही और रिफरेंस के माध्यम से दूसरे लोगों का आना-जाना बढ़ा है।
समाधान 3: कर्मचारियों का मिला सहयोग
शुरुआती कुछ माह में लॉकडाउन के दौरान कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो गया था। ऐसे में हमें स्टाफ से सहयोग की अपेक्षा थी। कर्मचारियों को आवश्यक सामानों की पूर्ति की और उन्हें इस बात के प्रति आश्वस्त किया कि किसी भी मुश्किल समय में हम उनके साथ है। कर्मचारियों ने वेतन, शिफ्ट में भी हमें पूरा सहयोग किया।
समाधान 4: ग्राहकों ने होम डिलिवरी की जरूरत बताई, हमने किया
ग्राहक की संतुष्टि और विश्वास को बरकरार रखना हमारा पहला कर्म-धर्म है। ऐसे में ग्राहक की किसी मुश्किल वक्त पर मदद करना या आड़े वक्त पर काम आना हमारा कर्तव्य था। हमारे पुराने ग्राहकों ने अगर हमसे कोई डिमांड की तो हमने उसे पूरा करने का भरसक प्रयास किया। हमने कुछ ग्राहकों के यहां जरूरत के मौकों पर होम डिलीवरी की।
समाधान 5: कारोबारियों की संयुक्त योजनाएं आई काम
लॉकडाउन के समय और उसके बाद कारोबारियों ने संयुक्त रूप से व्यापार को आगे बढ़ाने की योजना बनाई। इसमें लॉकडाउन में देशी खुदरा व्यापारियों को ग्रीन जोन में अपनी-अपनी दुकानों से सामान पहुंचाने की व खोलने की अनुमति प्रदान करने की बात प्रमुख थी। सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे सभी छोटे-बड़े दुकानदारों को राहत देने की बात भी इसमें शामिल थी। सरकार ने भी कारोबारियों को काफी सहयोग प्रदान किया।
कोरोना काल में निभाई सामाजिक जिम्मेदारी
कोरोना काल में हमने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन बखूबी किया। इस दौरान हमने रोटरी क्लब और अन्य संस्थाओं के सहयोग से खान-पान का वितरण किया। इस सेवा कार्य में कई ऐसे किरदार सामने आए, जिन्होंने हमें सकारात्मक ऊर्जा देने का काम किया। एक बार एक व्यक्ति अपना सामान ढोने वाला वाहन हमारे पास लेकर आए। उन्होंने कहा कि खाना बांटने के लिए आप मेरे ऑटो का इस्तेमाल मुफ्त में कर सकते हैं। ऐसे कई लोगों ने बड़ा हौसला दिया।