सहयोग से समाधान: ग्राहकों के बताए गुरों से ‘सुविधा’ और बेहतर!
काम करने का रोडमैप हो कार्ययोजना को अमली जामा पहनाने का जज्बा हो मेहनत की पुरजोर कोशिश हो और लोगों का साथ-भरोसा हो तो कारोबार मुश्किल हालातों में भी भंवर में नहीं फंसता। ऐसी ही कुछ कहानी देहरादून के सुविधा सुपरमार्केट की है।
देहरादून, जेएनएन। काम करने का रोडमैप हो, कार्ययोजना को अमली जामा पहनाने का जज्बा हो, मेहनत की पुरजोर कोशिश हो और लोगों का साथ-भरोसा हो तो कारोबार मुश्किल हालातों में भी भंवर में नहीं फंसता। ऐसी ही कुछ कहानी देहरादून के सुविधा सुपरमार्केट की है। कोरोना काल में जब कारोबार संकट में फंसा तो सुविधा सुपरमार्केट के गर्वित ने ग्राहकों की जरूरत और मांग पर ध्यान दिया। कम्युनिटी को मदद करने के लिए अपने सामानों की सप्लाई के मैकेनिज्म को सुधारा। उसे सुगम और सुलभ बनाया। नतीजा, ग्राहक भी संतुष्ट हुए और बेहतर आउटपुट मिला तो कारोबार की कठिनाई भी दूर हुई। आइए गर्वित से ही जानते हैं इस सफर में मिली सफलता की कहानी-
खोखा से सुपरमार्केट तक का सफर
1971 में हम देहरादून आए थे। सहारनपुर रोड पर हमने छोटी-सी खोखे में दुकान शुरू की थी। 2005 में हमने सुविधा होम सर्विस शुरू की। तब हम अशोक-अनिल ब्रदर्स के नाम से दुकान चलाते थे। सुविधा होम सर्विस में हम होम डिलीवरी करते थे। 2009 में हमने सुविधा सुपर मार्केट शुरू किया। आज देहरादून में 9 जगहों पर हमारे स्टोर हैं।
समाधान 1: कर्मचारियों को बोनस और पिक-अप ड्रॉप की सुविधा
गर्वित कहते हैं कि कोरोना काल में कर्मचारियों को सुपरमार्केट आने में तमाम तरह की दिक्कत थी। कहीं कर्फ्यू था, कोई एरिया कंटेनमेंट जोन में था। ऐसे में घर से स्टोर तक उनके आने-जाने के लिए पिक-अप, ड्रॉप की सुविधा दी। साथ ही, कर्मचारियों के आने-जाने के लिए पास भी बनवाए। कर्मचारियों का उत्साह कम न हो, इसके लिए हमने उन्हें बोनस भी दिया।
समाधान 2: बदली काम की शैली, वॉट्सऐप से लेने लगे डिलीवरी
कोरोना में लोगों को सुपरमार्केट आने में भी परेशानी थी और संक्रमण का खतरा भी था। ग्राहक फोन के माध्यम से अपनी मांग लिखवाते थे। हमने इसका समाधान निकाला। लोगों से हमने वॉट्सऐप पर सूची मंगानी शुरू कर दी। इस लिस्ट के माध्यम से सामान की डिलीवरी कर देते थे और लोग हमें डिजिटल पेमेंट कर देते थे।
समाधान 3: सोसाइटीज में की एक साथ डिलीवरी
कोरोना के शुरुआती समय में एक बड़ी परेशानी यह थी कि डिलीवरी के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में हमने क्षेत्र की प्रमुख सोसाइटीज में दस से बीस डिलीवरी एक साथ एक जगह पर करना शुरू किया। क्षेत्र की किसी एक डिलीवरी पर हम उस बिल्डिंग और आस-पास के घरों की डिलीवरी कर देते थे, जिससे समय भी बचा और लोगों तक उनकी जरूरत का सामान भी पहुंचा।
समाधान 4: विदेशों में बसे लोगों ने माता-पिता के लिए मांगी मदद
कोराना काल में हमें विदेशों से फोन आते थे कि हमारे घर में राशन पहुंचा दो। देहरादून में ऐसे कई परिवार हैं, जिनके बच्चे विदेशों में बसे हुए हैं। ऐसे में वह हमारे ऐप पर सामान बुक करा देते थे और हम उनके घरों में डिलीवरी कर देते थे। कई बार कुछ ऐसे ही ग्राहकों के लिए हमने ग्रोसरी के साथ दवा भी भेजी।
(सुविधा सुपरमार्केट के गर्वित)
समाधान 5: ऐप के इस्तेमाल के लिए ग्राहकों को किया प्रोत्साहित, नतीजे अच्छे निकले
किसी भी सामान को लेने के पहले लोग कौन-सी कंपनी, दाम आदि के बारे में फोन पर या वॉट्सऐप ग्रुप पर पूछते थे। ऐसे में इसे जांचने और देखने में काफी वक्त लगता था। हमने ग्राहकों को अपने ऐप का इस्तेमाल करने की सलाह दी। कोरोना के समय में ऐप का इस्तेमाल कई गुना बढ़ा। सुविधा के अपने ऐप से पहले जहां 10 बुकिंग भी दिन में नहीं होती थी वहां अब तीन सौ से अधिक बुकिंग आने लगीं। इससे लोगों के सामान की डिलीवरी आसान हो गई।
समाधान 6: सामाजिक जिम्मेदारी का भी रखा ख्याल
देहरादून में अस्पतालों और कुछ अधिकृत क्वारंटाइन केंद्र थे। यहां पर रोजमर्रा के सामान की डिलीवरी की डिमांड आ रही थी। मुश्किल यह थी कि इन जगहों पर डिलीवरी करना असंभव था और यहां मौजूद लोग डिलीवरी के लिए बाहर भी नहीं आ सकते थे। ऐसे में हमारे डिलीवरी ब्वॉय इन केंद्रों के बाहर निर्धारित जगहों पर डिलीवरी कर आते थे। वहीं, होम क्वाराइंटाइन लोगों को भी हमने डिलीवरी की। वे हमें ऑनलाइन पेमेंट कर देते थे। हमारे इस काम को देहरादून में लोगों ने काफी सराहा।