सहयोग से समाधान: ग्राहकों के साथ पीढ़ियों से बने रिश्ते ही मुश्किल वक़्त में आए काम!
नई चुनौतियों के बीच अगर बदलावों को लागू करने का जज्बा हो तो मुश्किल हालात भी आसान बन जाते हैं। इसी फलसफे और ग्राहकों के भरोसे-सुझाव की मदद से बच्चूमल संस और कलेक्शन के अनूप सुराना ने कोरोना काल की विपरीत स्थितियों को भी अपने पक्ष में किया।
आगरा, जेएनएन। नई चुनौतियों के बीच अगर बदलावों को लागू करने का जज्बा हो तो मुश्किल हालात भी आसान बन जाते हैं। इसी फलसफे और ग्राहकों के भरोसे-सुझाव की मदद से बच्चूमल संस और कलेक्शन के अनूप सुराना ने कोरोना काल की विपरीत स्थितियों को भी अपने पक्ष में किया। इस कठिन वक्त में आगरा के इस कारोबारी ने जहां ग्राहकों से 65 साल अपने पुराने रिश्तों और विश्वास को पुख्ता किया, वहीं कस्टमर्स ने उनके नए प्रयासों को हाथोंहाथ लिया। अनूप कहते हैं कि इसी रिश्ते-नाते से हमने बीते छह दशकों से अधिक में फर्श से अर्श का सफर तय किया है।
छोटी दुकान से आगरा में शोरूम तक का सफर
अनूप सुराना बताते हैं कि 1955 में उनके पिताजी बच्चूमल-राजेंद्र सिंह ने आगरा के किनारी बाजार में पहली दुकान खोली थी। यह दुकान पांच फुट बाय दस फुट की थी। पिताजी ने पढ़ाई छोड़ कर कारोबार शुरू किया। दादा और पिता ने उस दौर में एक-एक ग्राहक से रिश्ता बनाया था, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आज तक चला आ रहा है। अनूप ने बताया कि उन्होंने दूसरी दुकान सदर बाजार में खोली और तीसरी दुकान एमजी रोड पर है। आइए अनूप से ही जानते हैं कि उन्होंने कोरोना की चुनौतियों का समाधान कैसे खोजा।
समाधान 1: वॉट्सऐप पर कपड़ों की सेल
कोरोना काल में कपड़ों का कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया। शुरुआती दो माह में तो दुकानें ही कम खुल रही थीं। ऐसे में हमने वॉट्सऐप का सहारा लिया। हमने फोन कॉलिंग के माध्यम से ग्राहकों से जुड़ना शुरू किया। वॉट्सऐप कॉलिंग के माध्यम से हम कस्टमर को कपड़े दिखाते थे। कस्टमर को वॉट्सऐप पर फोटो भेज देते थे। हमारे कर्मचारी लोगों के साथ ऑनलाइन हमेशा उपलब्ध रहते थे। हम कपड़ों के डिजाइन, ब्रांड, कपड़े से जुड़ी हर छोटी-मोटी जानकारी को वॉट्सऐप पर भेज देते थे।
(बच्चूमल संस के अनूप सुराना)
समाधान 2: सामान खरीददारी के लिए की डिजिटल बुकिंग
सामान की खरीददारी के लिए कई शहरों में जाना पड़ता था। कोरोना काल में ऐसा संभव नहीं था, क्योंकि आवागमन के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था सुचारू तौर पर नहीं थी। अपनी गाड़ी से मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में जाना मुश्किल था। इसलिए हमने डिजिटल बुकिंग करनी शुरू कर दी। कंपनियां हमें अपने सैंपल पीडीएफ, फोटो और कैटलॉग में अपने डिजाइन भेजने लगीं। हम वॉट्सऐप, गूगल मीट और जूम के द्वारा बुकिंग करने लगे, जिससे हमारी मुश्किलें आसान हो गईं।
समाधान 3: कंपनियों ने भी निभाया अपना वादा
कारोबार को डिजिटली सही तरीके से संचालित करने के लिए ब्रांडेड कंपनियों ने भी सहयोग दिया। कपड़े को हम छूकर देख नहीं सकते थे, ऐसे में हमने कंपनियों से वायदा लिया कि वॉट्सऐप कॉलिंग और गूगल मीट से की गई खरीददारी में खामी आने पर तुरंत वापसी हो। कंपनियों ने इस वादे को निभाया, जिससे हमें मंदी के हालातों में भी सामान खरीदने की प्रेरणा मिली।
समाधान 4 : ग्राहकों को दी होम डिलीवरी
अपने शो रूम के अंदर-बाहर मास्क, तापमान जांचने वाली मशीन का प्रयोग कर रहे थे। फिर भी ग्राहक दुकान पर आने से झिझक रहे थे, उन्हें कोरोना संक्रमण की आशंका भी सताती थी। ऐसे में हमने ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कपड़ों की होम डिलीवरी शुरू कर दी। इससे एक तरफ जहां हमारा ग्राहक से कनेक्शन बरकरार रहा तो दूसरी तरफ हमारी डिमांड में भी इजाफा हुआ। इसकी वजह से डिजिटल पेमेंट में भी बढ़ोत्तरी हुई।
समाधान 5 : स्मार्ट स्टाफ मैनेजमेंट
स्टाफ मैनेजमेंट के लिए हमने 50-50 फीसदी के अनुपात में प्रतिदिन स्टाफ को बुलाया। जिन स्टाफ को कोई बीमारी थी या जो बुजुर्ग थे, हमने उन्हें अवकाश दे दिया। हमने किसी भी स्टाफ के वेतनमान में किसी तरह की कटौती नहीं की।
समाधान 6 : सोशल मीडिया पर बढ़ाई उपस्थिति
हमने लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन माध्यम का इस्तेमाल किया। हमने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर क्रमश : बच्चूमल कलेक्शन और बच्चूमल संस के नाम से पेज बनाए। इसपर हम फेस्टिवल, आयोजनों, डिस्काउंट आदि के बारे में लगातार अपडेट देते रहते हैं, जिसका हमें फायदा मिला। इसके अलावा हमारी वेबसाइट भी बच्चूमलसंस के नाम से है, जहां हमें रिस्पॉन्स मिलता है।
(न्यूज रिपोर्ट: अनुराग मिश्रा, जागरण न्यू मीडिया)