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सहयोग से समाधान : ग्राहकों की कसौटी पर खरे उतरे तो चमका कारोबार!

किसी भी कारोबार में कामयाबी का महत्वपूर्ण घटक होता है - धैर्य वचनबद्धता विश्वास और सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धी रवैया। इसी फॉर्मूले को यदि जीवन में गांठ बांध कर आगे बढ़ाया जाए तो सफलता के सोपान गढ़े जा सकते हैं।

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 12:34 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 12:34 AM (IST)
सहयोग से समाधान : ग्राहकों की कसौटी पर खरे उतरे तो चमका कारोबार!
Good Relationship And Maintaining Trust With Customers Helped To Grow Business During Pandemic

फरीदाबाद, जेएनएन। किसी भी कारोबार में कामयाबी का महत्वपूर्ण घटक होता है धैर्य, वचनबद्धता, विश्वास और सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धी रवैया। इसी फॉर्मूले को यदि जीवन में गांठ बांध कर आगे बढ़ाया जाए तो सफलता के सोपान गढ़े जा सकते हैं। फरीदाबाद के तरुण ज्वैलर्स के विनय जैन कहते हैं कि आभूषण के कारोबार में तो भरोसे और पक्की जुबान की बुनियाद पर ही सब टिका होता है। हमारे पेशे में ग्राहक और दुकानदार का रिश्ता पीढ़ी-दर-पीढ़ी मजबूत होता है। ये रिश्ता जितना घनिष्ठ और सुदृढ़ होगा कारोबार उतना ही सशक्त और सबल होगा। यह मुश्किल हालातों से निपटने के लिए आपको संबल देता है और इस बात की प्रेरणा भी कि आप सफर में अकेले नहीं है। इसी मेलजोल से उनके कारोबार ने डेढ़ दशक का सफर तय किया है और कोरोना के दौरान आई मुश्किलों से निकल पाया है। 

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छोटी दुकान से बड़े शोरूम का सफर 

विनय बताते हैं कि 2007 में मैंने और मेरे भाई तरुण जैन ने मिलकर यह कारोबार शुरू किया था। शुरुआत में हमारी दुकान बहुत छोटी थी, लेकिन हमारे इरादे बड़े और संघर्ष सशक्त था। हमने कारोबार में सबसे अधिक वादों और डेडलाइन पर फोकस किया। अगर कोई छोटी-सी भी चीज बनानी हो उसके लिए भी हमने ग्राहकों को दिए गए समय, गुणवत्ता पर खास ध्यान दिया। यही कर्मशीलता अनुकूल प्रतिफल के तौर पर हमारे सामने आई और हमारा शोरूम भी बड़ा हो गया। आइए विनय की जुबानी जानते हैं कि आखिर किस तरह उनका कारोबार कोरोना काल के कठिन हालातों से लड़ पाया।  

समाधान 1: ग्राहकों से रिश्ते की चेन को मजबूत बनाए रखा

हमारे पास करीब 2500 से 3000 ग्राहकों के नंबर हैं। हमने उन ग्राहकों से फोन के माध्यम से संपर्क साधा। जब हमारी दुकान बंद थी, तब भी हमने उनसे बातचीत का क्रम जारी रखा, ताकि हमारे बीच की आत्मीयता बनी रहे। ऐसा इसलिए भी किया गया कि अगर हमारे ग्राहक किसी समस्या में हैं और हम समाधान में सक्षम हैं तो उनकी मदद की जा सके। इसका फल हमें ग्राहकों के प्यार के रूप में मिला, जो किसी भी कारोबार की जान है। 

(फरीदाबाद के तरुण ज्वैलर्स के विनय जैन)

समाधान 2: पहले से ही बनाया फाइनेंशियल मैकेनिज्म 

जब भारत में कोरोना वायरस का शुरुआती असर दिखा, तभी मैंने बिना किसी लेटलतीफी के इसके लिए फाइनेंशियल मैकेनिज्म बनाना शुरू कर दिया था। मैंने इसके लिए अपने अलग-अलग कामों का सेविंग फंड बनाया। मसलन मैंने कर्मचारियों के लिए अलग सेविंग फंड बनाया, दुकान के न टाले जा सकने वाले खर्चों के लिए कोष और आकस्मिक आपदा का मुकाबला करने के लिए फंड अलग कर लिया। इससे मैं चुनौतियों से निपट सका। 

समाधान 3: सोशल मीडिया बना बिजनेस सेंटर

बदलाव के इस दौर में नई तकनीक बहुत जरूरी है, लेकिन हमारे कारोबार में सोशल मीडिया पर पूर्ण निर्भरता ज्यादा नहीं है। पर हमने इस बदलाव के रूप में लिया। कोरोना संक्रमण के बीच हमारे कई ग्राहक दुकान आने में सक्षम नहीं थे। कुछ ग्राहकों का फीडबैक आया कि हमें नए प्रोडक्ट के बारे में बताएं। अगर डिजाइन या प्रोडक्ट पसंद आया तो हम शोरूम आएंगे। ऐसे में उन्हें नए प्रोडक्ट, डिजाइन, सोने-चांदी के भाव से अपडेट करने का काम हमने वॉट्सऐप ग्रुप पर किया। कई बार ग्राहक भी वॉट्सऐप ग्रुप पर प्रोडक्ट की इमेज डाल देते थे, जो हमारे लिए भी एक सीख होती थी। ऐसे में सोशल मीडिया और नई तकनीक हमारे व ग्राहकों के बीच एक बिजनेस सेंटर के तौर पर सामने आई, जहां लगातार अपडेशन संभव था। 

समाधान 4: सामान मंगाने या पसंद करने में काम आई वीडियो कॉलिंग

आभूषण को मंगाने के केंद्र अहमदाबाद, कोलकाता और मुंबई जैसे शहर हैं। लॉकडाउन के समय और बाद में भी वहां जा पाना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में हमने वीडियो कॉलिंग का सहारा लिया। उन शहरों में बैठे कारोबारियों से लेन-देन में वॉट्सऐप कॉलिंग, गूगल मीट काफी कारगर साबित हो रही है। 

समाधान 5: दामों में कमी और नई स्कीम

कोरोना की वजह से हर कोई भयभीत है, बाजार में अपेक्षित तेजी नहीं है। ऐसे में हमने कोशिश की कि अपना लाभ का प्रतिशत कम करें। इससे जहां सेल बढ़ेगी और ग्राहकों को फायदा होगा। त्योहारों के लिए भी हमने हीरे के आभूषणों में भी कुछ छूट की स्कीम बना दी है। स्वयं के लाभ में थोड़ा कमी कर ग्राहकों को अधिक लाभ देना हमारे लिए फायदेमंद रहा। 

समाधान 6: सहायता देकर निभाए रिश्ते 

यूं तो आपसी संबंधों में दी गई सहायता का जिक्र करना जरूरी नहीं होता, पर कुछ लम्हे ऐसे होते हैं, जो दिल में बैठ जाते हैं। एक कारीगर के पिता का निधन हो गया, उसे कोलकाता जाना था। ऐसे में हमने उसके लिए फ्लाइट में टिकट का इंतजाम किया। यह सहायता नहीं, हमारी जिम्मेदारी थी। यही नहीं,घर बैठे कारीगरों ने जब भी अपनी जरूरत बताई, हम साथ खड़े रहे। उन्हीं के सहयोग से आज हम इस मुकाम पर खड़े हैं।

(न्‍यूज रिपोर्ट: अनुराग मिश्रा, जागरण न्‍यू मीडिया)


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