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सहयोग से समाधान : ग्राहकों के प्यार से उबरा कपड़ों का कारोबार

ये दास्तां मुजफ्फरपुर के एच.एस मॉल की है। कपड़ों के कारोबारी आयुष बंका कहते हैं कि लॉकडाउन ने बिजनेस के लिए मुश्किल तो पैदा कर दी थी पर ग्राहकों की सलाह और लगातार विश्वास डिजिटल का साथ और लगन ने स्थितियों को फिर से उनके पक्ष में मोड़ दिया।

By Manish MishraEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 12:11 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 12:11 AM (IST)
सहयोग से समाधान : ग्राहकों के प्यार से उबरा कपड़ों का कारोबार
Clothing Business Of HS Mall Of Muzaffarpur Shines During Covid 19 Pandemic

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। किसी कारोबार की बुनियाद अगर परंपराओं, ग्राहक से मधुर रिश्तों और कुछ नया करने की चाहत पर टिकी हो तो उसका सफलता की सीढ़ी चढ़ना तय है। इस सफर में मुश्किलों की वजह से व्यवसाय भले ही थोड़ा हिचकोले खा जाए पर सूझबूझ और ग्राहकों के विश्वास से वह फिर से कामयाबी की मंजिल हासिल कर लेता है। कुछ ऐसी ही दास्तां मुजफ्फरपुर के एच.एस मॉल की है। कपड़ों के कारोबारी आयुष बंका कहते हैं कि लॉकडाउन ने बिजनेस के लिए मुश्किल तो पैदा कर दी थी पर ग्राहकों की सलाह और लगातार विश्वास, डिजिटल का साथ और लगन ने स्थितियों को फिर से उनके पक्ष में मोड़ दिया।  

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आयुष बताते हैं कि 40 साल से हम कपड़ा के व्यापार से जुड़े हैं। 25 साल पहले हमारा मुजफ्फपुर के टावर चौक पर गरीब वस्त्रालय नाम से कपड़े की दुकान थी। वह दुकान हमारे बाबा ने गांव के लोगों के लिए ही बनाई थी, ताकि उन्हें वाजिब कीमत पर कपड़ा सुलभ हो सकें। आज भी हम उसी विचारधारा के आधार पर काम कर रहे हैं। हम अपने ग्राहकों को सस्ता कपड़ा उपलब्ध करा रहे हैं। हमारा मकसद भी यही है कि गांव-गांव तक सस्ता कपड़ा पहुंचे। हमारा सपना था कि रिटेल चेन में जाएं, जो अब पूरा हो रहा है। इस बीच कोरोना संकट कारोबार के लिए अवरोध के रूप में सामने आया। आइए आयुष से भी जानते हैं कि तब कैसे इस संकट का समाधान खोजा गया। 

समाधान 1: कपड़ों की डिलीवरी के लिए बनाई वेबसाइट

हमने अपने कारोबार एचएस मॉल को 2018 में विस्तार दिया था। पहला साल यानी 2019 तो काफी बढ़िया रहा पर दूसरे साल कोरोना ने स्थितियों को खराब कर दिया। कोरोना में पूरा बाजार बंद था। ऐसे में हम ग्राहकों तक पहुंच नहीं पा रहे थे। लॉकडाउन के बाद भी बड़ी संख्या में ग्राहक नहीं आ रहे थे। ऐसे में हमने अपने प्रोडक्ट को ऑनलाइन सेल करने का फैसला किया। इसके लिए हमने वेबसाइट का निर्माण किया, जिसके माध्यम से कपड़ों की डिलीवरी संभव हो सकी। इसका बढ़िया रिस्पॉन्स आ रहा है।

समाधान 2:  ग्राहकों से फोन पर जानी उनकी राय, सलाहों पर किया काम

कोरोना के समय में हमने अपने डाटाबेस में मौजूद ग्राहकों से संपर्क साधा। उनसे जाना कि उनकी समस्या क्या है, वह किस तरह की सुविधा चाहते हैं। हमारे ग्राहकों ने कहा कि प्रोडक्ट की फोटो मोबाइल पर उपलब्ध कराएं, हमने ऐसा ही किया। ग्राहकों ने होम डिलीवरी के लिए कहा, हमने होम डिलीवरी कर दी। वहीं, जिन कस्टमरों के यहां आयोजन था, हमने उनके यहां भी होम डिलीवरी कराई। हम वॉट्सऐप की मदद से भी अपने ग्राहकों के संपर्क में रहे। 

(एचएस मॉल के भीतर बैठे ग्राहक)

समाधान 3: फीडबैक के बाद लॉकडाउन में ट्रायल रूम, एक्सचेंज-रिटर्न को किया बंद

हमने ग्राहकों से विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल कर फीडबैक मांगा। उन्होंने हमने कोरोना काल में किस तरह के प्रोडक्ट रखें, इस बात का फीडबैक दिया। ग्राहकों ने हमसे ट्रायल रूम और कपड़ों का एक्सचेंज-रिटर्न बंद करने को कहा। सुरक्षा के तौर पर हमने इस बदलाव को लागू किया। हमने बीते दो माह से ट्रायल, एक्सचेंज-रिटर्न को फिर से शुरू किया है। 

समाधान 4: सोशल मीडिया पर चलाया कैंपेन, डिस्काउंट भी ऑफर किए

आयुष बताते हैं कि कोरोना काल में मॉल खुलने के बाद हमने सोशल मीडिया पर प्रभावी तरीके से कैंपेन चलाया। इसमें हमने ऑफर, डिस्काउंट व नई योजनाएं चलाईं। हम लोगों तक पहुंचने के लिए ट्विटर, फेसबुक जैसे माध्यमों का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के तौर पर हमारे शोरूम के दो साल पूरे होने पर लकी ड्रॉ की योजना चलाई। लॉकडाउन के इस दौर में कपड़ों पर 30 प्रतिशत की छूट दी, जिसका असर सेल पर पड़ा। यहीं नहीं, फेसबुक के माध्यम से उत्पादों पर चलने वाले ऑफर के बारे में जानकारी देनी शुरू कर दी, जिससे सेल बढ़ी।

समाधान 5: ग्राहकों की सुरक्षा, सर्वोच्च प्राथमिकता

शोरूम में सुरक्षा के सारे पैमाने अपनाए गए। हमने शोरूम में बैठने का तरीका ऐसा बनाया हुआ है कि फिजिकल डिस्टेंसिंग का सही तरीके से पालन हो सके। हमारे यहां सबके बीच दो से तीन फीट की दूरी रहती है। इसके अलावा दिन में एक निश्चित अंतराल में शोरूम को सैनेटाइज करते हैं। यही नहीं, हम आने वाले कपड़ों का एक हफ्ते तक प्रयोग नहीं करते हैं। साथ ही, जिस सामान का सैनेटाइजेशन जरूरी है, उसको सैनेटाइज करते हैं।

(एच.एस मॉल के कपड़ा कारोबारी आयुष बंका)

समाधान 6: फिजिकल नहीं, डिजिटल सर्विस से मंगाते हैं सामान

कोरोना काल में सामान के लिए कहीं जाना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में हम सामान की डिलीवरी के लिए डिजिटल तरीके को ही अपनाने लगे हैं। हम मोबाइल पर वॉट्सऐप और वीडियो कॉल के माध्यम से सामान देखते हैं या फोटो मंगाते हैं। इसके द्वारा ही हम कैटेलॉग, पीडीएफ या फोल्डर मंगाने लगे हैं। 

सामाजिक दायित्व का भी पूरा ख्याल

कोरोना काल में हमने कारोबारियों के माध्यम से गांव-गांव में खान-पान की व्यवस्था की थी। हमने मुख्यत : मुजफ्फपुर क्षेत्र, दरभंगा रोड, सीतामढ़ी रोड के आसपास बसे गांवों में कमजोर वर्ग के लोगों के लिए खान-पान का इंतजाम किया था। इलाके में लोगों को 15 दिन का राशन मुहैया कराया।

(न्‍यूज रिपोर्ट: अनुराग मिश्रा, जागरण न्‍यू मीडिया)


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