सहयोग से समाधान: समय के साथ बदले स्वाद पर बनी रही ‘हीरा’ से रिश्तों की मिठास!
खान-पान एक ऐसा कारोबार है जहां गुणवत्ता और विश्वास की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह कारोबार ईमानदारी धैर्य और स्वाद पर ही टिका हुआ है। जितना आपके खान-पान का स्वाद ईमानदारी और ग्राहकों के प्रति आपका विश्वास अच्छा होगा उतना ही आपकी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ेगी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। खान-पान एक ऐसा कारोबार है, जहां गुणवत्ता और विश्वास की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह कारोबार ईमानदारी, धैर्य और स्वाद पर ही टिका हुआ है। जितना आपके खान-पान का स्वाद, ईमानदारी और ग्राहकों के प्रति आपका विश्वास अच्छा होगा उतना ही आपकी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ेगी। इन्हीं कारणों से हीरा स्वीट्स वर्षों से लोगों के बीच अपनी पैठ बनाए हुए है। लक्ष्मी नगर स्थित हीरा स्वीट्स के प्रबंध निदेशक पारस शर्मा कहते हैं कि पहले के दौर और अब के दौर में जमीन-आसमान का अंतर है। पहले के दुकानदार अपने स्वाद से ही लोगों को खुद से जोड़ने का काम करते थे और एक भरोसा कायम करते थे कि इससे बेहतर स्वाद कहीं और नहीं मिलेगा, लेकिन अब आधुनिक जमाने में खान-पान के कारोबार ने नई दिशा का रुख कर लिया है। इस कारोबार में सफलता की गारंटी के लिए लोगों को परखना भी आना चाहिए। उनकी जुबान का स्वाद और मन को भांपने की काबिलियत होनी भी जरूरी है। इन्हीं काबिलियत के सहारे कोरोना संकट के दौरान कारोबार के लिए खड़ी हुईं चुनौतियों से लड़ने में हीरा स्वीट्स ने भी डटकर सामना किया।
1912 में शुरू हुआ स्वाद का कारोबार
पारस शर्मा बताते है कि दादा पंडित हीरा लाल ने सन् 1912 में एक छोटी-सी मिठाई दुकान की शुरुआत की। उन दिनों दादा जी के हाथों से बनी बालूशाही लोगों को काफी अच्छी लगती थी। हीरा लाल स्वीट्स लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाता रहा और कारोबार बढ़ता गया। पीढ़ी बदलती रही और नई शाखाएं भी खुलती चली गईं। आज दिल्ली-एनसीआर में हीरा स्वीट्स की कुल 14 शाखाएं हैं। आइए, उन्हीं से जानते हैं कि कोरोना के संकट के दौरान उन्होंने ऐसे कौन से उपाय किए, जिनसे कारोबार की मिठास कायम रही:
समाधान 1: नई तकनीक की मदद से ग्राहकों से किया संवाद
अपने स्वाद के साथ नई तकनीक की मदद से उन्होंने मुश्किल वक्त में भी ग्राहकों से संवाद बनाए रखा। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जब लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गए थे तो फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप आदि से संवाद कर संपर्क बनाए रखा। नई टेक्नोलॉजी को अपनाने में कभी पीछे नहीं हटे। कोरोना संकट के दौर में दुकान में ग्राहकों को बुलाना उतना आसान नहीं है। अब हर दुकानदार फेसबुक, इंस्टग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप के जरिए ग्राहकों तक पहुंचने लगे हैं। ग्राहक भी डिजिटल पर अपनी निर्भरता को अधिक बढ़ा रहे हैं। कोरोना संकट में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब से काफी मदद मिली है। इन सभी से काफी ग्राहक बनाए गए। इस वक्त डिजिटल निर्भरता पूरी तरह बढ़ गई है।
समाधान 2: स्वाद के साथ सेफ्टी का भी दिया भरोसा
कोरोना संक्रमण के बीच भी लोगों को भरोसा दिलाने का प्रयास किया गया कि हीरा स्वीट्स में तैयार हो रही मिठाइयां पूरी तरह सुरक्षित है। इस पर हम खरे भी उतरे। मिठाइयां पूरी सावधानी के साथ तैयार की गईं।
(हीरा स्वीट्स के प्रबंध निदेशक पारस शर्मा)
समाधान 3: इम्युनिटी बढ़ाने वाली मिठाइयों पर किया काम
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता का अहम रोल है। इसे देखते हुए इम्युनिटी के अनुकूल कई प्रकार की मिठाइयां अलग से तैयार की गईं। लॉकडाउन के बाद जैसे ही अनलॉक की प्रकिया शुरू हुई तो उनके कारोबार का पहिया फिर से दौड़ने लगा।
समाधान 4: होम डिलिवरी कराई, त्योहार से भी बढ़ा कारोबार
कोरोना संकट के दौरान जब राखी का त्योहार पड़ा तो लोगों ने हीरा स्वीट्स पर खूब भरोसा रखा और उम्मीद से बढ़कर मिठाइयों के ऑर्डर मिले। कोरोना के चलते लग रहा था कि लोग मिठाइयां कम खरीदेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। त्योहार पर लोगों ने सावधानी रखते हुए खूब मिठाइयां खरीदी। जो लोग दुकान पर खरीददारी करने नहीं आ पाए, उनको होम डिलीवरी की सर्विस दी गई।
समाधान 5: नहीं की कर्मचारियों की छंटनी
कोरोना संकट में किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं की गई, बल्कि बचाव को लेकर उनको विभिन्न तरीके का प्रशिक्षण दिया गया, जागरूक किया गया। हमने वॉट्सऐप ग्रुप के द्वारा ग्राहकों को स्कीम, ऑफर, सर्विसिंग आदि के बारे में बताया। जब हमारी दुकानें बंद हुई तब भी ग्राहकों को सूचना दी गई। अनलॉक प्रक्रिया में दुकानें खुलने के समय की भी जानकारी ग्राहकों को भेजी गई। जितना हो सका उतना संवाद ग्राहकों के साथ लगातार बनाए रखा।