आलू की फसल का खुदाई प्रबंधन और भंडारण
आलू विश्व में चावल गेहूं और मक्का के बाद चौथी सबसे बड़ी खाद्य फसल है। दुनिया के सौ से अधिक देशों में आलू का उत्पादन किया जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि आलू की खेती सबसे पहले दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के एंडीज में 8000 हजार साल पहले शुरू हुई।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। आलू विश्व में चावल, गेहूं और मक्का के बाद चौथी सबसे बड़ी खाद्य फसल है। वहीं दुनिया के सौ से अधिक देशों में आलू का उत्पादन किया जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि आलू की खेती सबसे पहले दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के एंडीज में 8,000 हजार साल पहले शुरू हुई थीं। यहां के लीमा से करीब हजार किलोमीटर दूर टिटिकाका में इसकी खेती की गई थीं। जल्द ही आलू यहां के पहाड़ों पर रहने वाले इंका समुदाय के लोगों का खाना बन गया। सन 1500 के बाद यूरोप में आलू की खेती की जाने लगी। यूरोप से ही आलू की खेती पश्चिम और उत्तर के क्षेत्र में पहुंची और फिर यहां से आलू अमरीका पहुंचा। भारत में आलू सबसे पहले पुर्तगाली व्यापारी लेकर आए थे। वर्तमान में भारत के 23 राज्यों में आलू की खेती की जाती है। इसमें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब और गुजरात प्रमुख हैं। आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है। तो आइए जानते हैं आलू की फसल का खुदाई प्रबंधन और भंडारण कैसे करें।
आलू में पाए जाने वाले प्रमुख तत्व और प्रमुख उत्पादक देश -
भारत में आलू का उपयोग सब्जी के तौर सबसे ज्यादा किया जाता है। इसकी सब्जी स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। अगर इसमें पोषक तत्वों की बात की जाए तो 100 ग्राम आलू में 74. 70 फीसदी पानी, 22.60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेटस, 1.60 प्रतिशत प्रोटीन, 0.40 प्रतिशत फाइबर, 0.10 प्रतिशत वसा और 0.60 प्रतिशत मिनरल्स पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, विटामिन-सी समेत अन्य खनिज तत्व पाए जाते हैं। बता दें कि दुनियाभर में हर साल 321 हजार टन आलू का उत्पादन होता है। सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश चीन है, जबकि भारत का दूसरा स्थान है। इसके अलावा रूस, अमेरिका, यूक्रेन, जर्मनी, पौलेंड प्रमुख आलू उत्पादक देश है।
आलू की फसल का खुदाई प्रबंधन-
आलू की खुदाई भारत में नवंबर से मार्च तक की जाती है। इसकी खुदाई का सही प्रबंधन आवश्यक है ताकि कम से कम फसल को नुकसान पहुंचे। खुदाई के दौरान आलू कंद को कई बार ऊपरी हिस्से पर निशान लग जाता है, जिसके कारण भंडारण के दौरान आलू के खराब होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
वहीं जब मौसम में अधिक गर्मी हो या अधिक ठंड हो तब फसल की खुदाई नहीं करना चाहिए। भंडारण से पहले आलू की फसल को अधिक तापमान या कम तापमान हानि पहुंचाता है। वहीं आलू की परिपक्व फसल की ही खुदाई करना चाहिए।
आलू की खुदाई के दौरान इन बातों को ध्यान रखें-
1. आलू की खुदाई उस समय करना चाहिए जब फसल 80 से 90 दिनों के बाद परिपक्व हो जाऐ। उस समय आलू का उपरी हिस्सा पीला पड़ जाता है।
2. हमेशा सुखे मौसम में ही आलू की खुदाई करना चाहिए। अधिक नमी या अत्यधिक गर्मी में आलू की खुदाई नहीं करना चाहिए।
3. आलू खुदाई के दो सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर देना चाहिए।
4. कंदों को उखाड़ते समय इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि कंद का ऊपरी हिस्सा कटे नहीं ताकि भंडारण में परेशानी न आए।
5. आलू की खुदाई के 10 से 15 दिनों बाद ही आलू को खेत से बाहर निकालना चाहिए।
6. आलू की खुदाई ट्रैक्टर डिगर या फिर कुदाल या खुरपी से करना चाहिए।
7. कटे हुए आलूओं को छटाई के दौरान हटा देना चाहिए। वहीं भंडारण के दौरान कटे हुए आलू को अलग सुखाना चाहिए।
आलू की पैकेजिंग-
आलू की अच्छी कीमत मिले इसके लिए सही पैकेजिंग करना बेहद जरूरी होता है। आलू खुदाई के बाद कुछ दिनों के लिए आलू को पुआल या घास से ढक देना चाहिए। इसके बाद कटे हुए या खराब कंद को हटाकर पैकेजिंग करें। आलू को भरने के लिए जुट बैग या फिर नेटलोन बैग्स का उपयोग करना चाहिए। जुट बैग का उपयोग 80 किलो, 50 किलो और 20 किलो की मात्रा भरने के लिए करना चाहिए। वहीं बाजार एक्सपर्ट का मानना है कि 25 किलोग्राम वजन के बैग भरने के लिए नेटलोन बैग का उपयोग करना चाहिए।
आलू का भंडारण-
जैसा कि हम जानते हैं आलू में 74 प्रतिशत पानी होता है और इसके चलते इसका भंडारण कम चुनौतीपूर्ण नहीं होता है। 3 से 5 सप्ताह के लिए आलू का भंडारण ठीक रहता है लेकिन इससे अधिक समय तक भंडारण करने से आलू की गुणवत्ता घटती है। आलू को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज का उपयोग किया जाता है। हमारे देश में 50 से 60 से प्रतिशत आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। कोल्ड स्टोरेज में आलू को 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है।
अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए सीआईपीसी स्प्रे करें-
आमतौर पर आलू की खुदाई हमारे देश में नवंबर और मार्च महीने में होती है, लेकिन इसका उपयोग सालभर किया जाता है। ऐसे में आलू को इतने लंबे समय तक सुरक्षित रखना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। आलू को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए 3 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारित किया जाता है। कम तापमान पर लंबे समय तक भंडारित करने से आलू में मौजूद स्टार्च ग्लूकोज में बदलने लगता है, जिस कारण से आलू मीठा होने लगता है। वहीं 12 से 13 डिग्री पर आलू अंकुरित होने लग जाता है। आलू पर सीआईपीसी केमिकल का स्प्रे करने से आलू को मीठा और अंकुरित होने से बचाया जा सकता है।
क्या है सीआईपीसी?
सीआईपीसी यानि क्लोरप्रोफाम एक कार्बामेट है जो आलू को अंकुरित होने से बचाता है। दरअसल, यह कोशिका विभाजन की प्रक्रिया को अवरुद्ध करता है। एक टन आलू पर लगभग 40 मिलीलीटर सीआईपीसी की जरूरत पड़ती है।
कैसे किया जाता है सीआईपीसी स्प्रे का उपयोग-
1. सीआईपीसी का उपयोग करने के लिए सबसे पहले आलू को कोल्ड स्टोरेज में 18.3 डिग्री सेल्सियस पर भंडारित किया जाता है। जिसके बाद तापमान को 18.3 डिग्री से धीरे-धीरे 10 डिग्री सेल्सियस पर लाया जाता है।
2. जिसके बाद आलू पर भंडारण घर में फॉगिंग मशीन का उपयोग करके सीआईपीसी स्प्रे का छिड़काव किया जाता है। पहला छिड़काव उस समय किया जाता है जब आलू में अंकुरण की पहली स्टेज हो। पहली बार छिड़काव के बाद 60 दिनों के बाद दोबारा से छिड़काव करना चाहिए।
3. सीआईपीसी के छिड़काव के बाद रेफ्रिजरेशन बंद कर देना चाहिए। वहीं सीआईपीसी के छिड़काव के 40 घंटों पहले आधे घंटे के लिए दरवाजों और खिड़कियों को खोल देना चाहिए। वहीं सीआईपीसी के छिड़काव के 40 घंटे बाद दोबारा दरवाजों और खिड़कियों को खोल देना चाहिए।
4. उपचारित आलू में सिकुड़न पैदा न हो इसलिए भंडारण घर में 90 से 95 प्रतिशत नमी बनाए रखना चाहिए।
ग्रेडिंग-
आलू को बेचने से पहले ग्रेडिंग करना बेहद आवश्यक होता है। ग्रेडिंग के बाद आलू की गुणवत्ता के मुताबिक उसे अलग-अलग बैग में पैक करना चाहिए।
(यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।)