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तीन माओवादी कार्यकर्ताओं को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा

न्यायालय ने सुधा भारद्वाज, वर्नन गोंसाल्विस एवं अरुण फरेरा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 07:32 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 09:30 AM (IST)
तीन माओवादी कार्यकर्ताओं को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा
तीन माओवादी कार्यकर्ताओं को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा

राज्य ब्यूरो, मुंबई। पुणे सत्र न्यायालय ने मंगलवार को सुधा भारद्वाज, वर्नन गोंसाल्विस एवं अरुण फरेरा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। तीनों माओवादी कार्यकर्ता 27 अक्तूबर से पुलिस हिरासत में थे। आज अदालत में पेश किए जाने पर फरेरा ने पुलिस पर पीटने का आरोप लगाया है।

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पुणे के एलगार परिषद मामले में उक्त तीनों कार्यकर्ताओं को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर उसके बाद से दो माह तक ये अपने घर में ही नजरबंद थे। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नजरबंदी की अवधि न बढ़ाए जाने एवं निचली अदालत द्वारा जमानत खारिज कर दिए जाने के बाद पिछले माह 27 अक्तूबर को ही पुणे पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया था। आज पुणे सत्र न्यायालय में पुलिस ने तीनों माओवादी कार्यकर्ताओं की हिरासत बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का निर्णय किया।

इस बीच, अदालत में पेश किए जाने पर एक आरोपी अरुण फरेरा ने आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान उसके साथ मारपीट की गई है। उसके अनुसार, चार नवंबर को पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों ने उसे 8-10 थप्पड़ मारे। जिसके कारण उसकी तबियत खराब हो गई। फलस्वरूप पांच नवंबर को उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। अदालत ने फरेरा के आरोप पर पुलिस को अगली सुनवाई पर अपना जवाब देने को कहा है। बता दें कि फरेरा को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से संबंध रखने के कारण 2007 में भी गिरफ्तार किया गया था। पांच वर्ष जेल में रहने के बाद वह 2012 में बरी हो गया था। जेल से छूटने के बाद उसने अपनी कानून की पढ़ाई पूरी की और वकालत करने लगा।

पुलिस का आरोप है कि उक्त तीनों आरोपियों ने पिछले साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा के बाहर एलगार परिषद का आयोजन करने में मदद की थी। एलगार परिषद में दिए गए भाषण के परिणामस्वरूप ही एक जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव स्थित एक युद्ध स्मारक पर हिंसा भड़की और इस हिंसा ने तीन दिन तक पूरे महाराष्ट्र को चपेट में लिए रखा। हालांकि एलगार परिषद का आयोजन कबीर कला मंच नामक सामाजिक संगठन के बैनर तले किया गया था। लेकिन इसके आयोजन से संबंध रखने के आरोप में उक्त तीनों आरोपियों के साथ हैदराबाद से वरवरराव एवं दिल्ली से गौतम नौलखा को भी गिरफ्तार किया था। राव एवं नौलखा की पुलिस हिरासत अभी नहीं मिल सकी है।


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