पंकजा की सफाई, कहा एक रुपये का भ्रष्टाचार नहीं किया
पंकजा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि, "मेरे विभाग में एक रुपए का भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, यह मुझे बदनाम करने की साजिश है। यह टेंडर कांग्रेस के कार्यकाल में दिए गए थे।"
मुंबई : 206 करोड़ के घोटाले के आरोपों में फंसी महाराष्ट्र की ग्रामविकास मंत्री पंकजा मुंडे ने बुधवार दोपहर पहली बार अपनी औपचारिक सफाई पेश की है। पंकजा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि, "मेरे विभाग में एक रुपए का भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, यह मुझे बदनाम करने की साजिश है। यह टेंडर कांग्रेस के कार्यकाल में दिए गए थे।"
मंत्री पंकजा मुंडे ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, "जब मुझ पर घोटाले का आरोप लगा था तब मैं विदेश में थी। इसलिए मीडिया से बात नहीं हो सकी। मेरी गैरमौजूदगी में यह आरोप लगाए जाना एक राजनीतिक साजिश है। साल 2011, 2012 और 2013 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में महिला बालकल्याण विभाग ने यह टेंडर आवंटित किया था। लेकिन मेरे मंत्री बनने के बाद मुझ पर घोटाले का आरोप लगाया गया है।"
बिना ई-डेंटरिंग के टेंडर देने के सवाल पर पंकजा ने कहा, "नए टेंडर जारी करने के लिए ई- टेंडरिंग का इस्तेमाल होता है। लेकिन विभाग द्वारा पुराने टेंडर के तहत 206 करोड़ की खरीदारी की गई। इसलिए इसकी ई-टेंडरिंग की जरूरत नहीं थी। मेरे विभाग द्वारा लिया गया निर्णय सही है। सारी बातों का सच जनता के सामने आना चाहिए।"
आगे पंकजा ने कहा कि, "हम महाराष्ट्र से कुपोषण को हटाने के प्रयास में जुटे हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में काफी कम पैसे पोषण आहार के लिए दिए जाते थे। मेरे मंत्री बनने के बाद पहली बार आंगनवाड़ी के खाते में 42 करोड़ जमा किए गए।"
पंकजा मुंडे ने कहा कि, "एन्टी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) ने भी हमसे कुछ सवाल किए हैं। हम उनके भी सवालों का जवाब देनेवाले हैं। उन्हें सारे सबूतों के कागजात पेश करेंगे। हम एक-एक रुपए का हिसाब भी वेबसाइट पर जारी करनेवाले हैं।"
इस बीच बुधवार को एनसीपी नेता नवाब मलिक ने पंकजा पर अपने करीबियों को चैकडैम बनाने का टेंडर देने का आरोप लगाया था। नवाब मलिक का आरोप है कि, जालना जिले में जलयुक्त शिविर योजना के तहत दिए जाने वाले कॉन्ट्रैक्ट को पंकजा मुंडे ने अपने करीबी रत्नाकर गट्टे को दिया था। फरवरी 2015 में निकाले गए टेंडर के लिए कंपनी पात्र नहीं थी लेकिन फिर भी मुंडे के करीबी होने के कारण गट्टे की कंपनी को यह टेंडर मिला।