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विमानवाहक पोत विराट को संग्रहालय बनाने की नई पहल

महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल के अनुसार, सरकार मुंबई के निकट वसई और विरार की समुद्री खाड़ी में विराट को एक संग्रहालय का रूप देना चाहती है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 20 Dec 2017 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 20 Dec 2017 01:17 PM (IST)
विमानवाहक पोत विराट को संग्रहालय बनाने की नई पहल
विमानवाहक पोत विराट को संग्रहालय बनाने की नई पहल

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र सरकार ने भारत के सेवानिवृत्त विमानवाहक पोत विराट में संग्रहालय बनाने की इच्छा जताई है। इससे पहले आंध्र प्रदेश और गोवा की सरकारें भी ऐसा करने की मंशा जता चुकी हैं।

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महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल के अनुसार, सरकार मुंबई के निकट वसई और विरार की समुद्री खाड़ी में विराट को एक संग्रहालय का रूप देना चाहती है। यदि ऐसा होता है तो मुंबई के निकट यह पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण का केंद्र साबित होगा। बता दें कि इससे पहले ऐतिहासिक महत्व के विमानवाहक पोत विक्रांत को भी तत्कालीन मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली सरकार संग्रहालय में बदलना चाहती थी। तब केंद्र की अटल सरकार से उसे सहयोग का आश्वासन भी मिला था, लेकिन राज्य में सत्ता बदल जाने के कारण यह संभव नहीं हो सका और विक्रांत को कबाड़ में बेचना पड़ा।

अब महाराष्ट्र की देवेंद्र फडऩवीस सरकार दुनिया में सबसे लंबी अवधि तक सेवा देने वाले विमानवाहक पोत विराट को संग्रहालय में बदलना चाहती है। विराट लगभग 30 साल तक भारत को एवं 27 साल तक ब्रिटिश नौसेना को अपनी सेवाएं दे चुका है। भारतीय नौसेना से उसकी विदायी 6 मार्च 2017 को हुई थी।

28,500 टन का यह विमानवाहक पोत भारत एवं पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन पराक्रम एवं श्रीलंका में भारतीय शांति सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन में शामिल हो चुका है। इसकी सेवानिवृत्ति के बाद भारत के पास आइएनएस विक्रमादित्य नामक विमानवाहक पोत ही बचा है। विराट की सेवानिवृत्ति के बाद आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार एवं गोवा सरकार भी इसे अधिगृहित करने की मंशा जता चुकी है। आंध्र सरकार इसे संग्रहालय एवं होटल में बदलना चाहती थी। इसके लिए उसने मुंबई की एक कंपनी से विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार करवा ली थी, लेकिन मुंबई में खड़े विराट को आंध्र प्रदेश के काकीनाडा ले जाने का खर्च ही 15 से 20 करोड़  रुपए आंका गया था। उसके बाद बात आगे ही नहीं बढ़ सकी।  

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