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Maharashtra: औरंगाबाद का नामांतरण सभी के लिए स्वीकार्यः चंद्रकांत पाटिल

Maharashtra चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को कहा कि नामांतरण सभी को स्वीकार्य है। यदि उनकी पार्टी महानगरपालिका की सत्ता में आई तो इस बावत प्रस्ताव पारित किया जाएगा। स्थानीय निकाय का चुनाव चार महीना बाद ही होना है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 05:57 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 05:57 PM (IST)
Maharashtra: औरंगाबाद का नामांतरण सभी के लिए स्वीकार्यः चंद्रकांत पाटिल
औरंगाबाद का नामांतरण सभी के लिए स्वीकार्यः चंद्रकांत पाटिल। फाइल फोटो

पुणे, प्रेट्र। Maharashtra: महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर संभाजीनगर किए जाने के 'प्रस्ताव' को लेकर गरमाई राजनीति के बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को कहा कि नामांतरण सभी को स्वीकार्य है। यदि उनकी पार्टी महानगरपालिका की सत्ता में आई तो इस बावत प्रस्ताव पारित किया जाएगा। स्थानीय निकाय का चुनाव चार महीना बाद ही होना है। पाटिल ने इस मामले में शिवसेना को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह पार्टी पिछले कई वर्षों से नामांतरण के पक्ष में आवाज उठाती रही है, लेकिन अब उस कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है, जो शुरू से ही इसके खिलाफ रही है। इसलिए शिवसेना को यह फैसला करना चाहिए कि क्या वह इस मामले में सत्ता को दांव पर लगाने को तैयार है?

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पिछले सप्ताह ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा कि वे नामांतरण के किसी भी प्रस्ताव का विरोध करेंगे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला राज्य में सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) के न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का हिस्सा नहीं है। जबकि शिवसेना का कहना है कि गठबंधन के सभी दलों के नेता इस मसले को आपस में मिल-बैठकर सुलझा लेंगे और गठबंधन पर इसका कोई असर नहीं होगा। पाटिल ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'संभाजीनगर नाम सभी को स्वीकार्य है। तो फिर हम क्यों न नाम बदलें? मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि यदि हम औरंगाबाद (महानगरपालिका) की सत्ता में आए तो नामांतरण के पक्ष में प्रस्ताव पारित करेंगे।'

सबसे पहले शिवसेना ने ही औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर किए जाने की मांग की थी और जून 1995 में औरंगाबाद महानगरपालिका में इस संबंध में प्रस्ताव भी पारित किया था। तब भी कांग्रेस के एक पार्षद ने उसे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे संभाजी राजे की मुगल शासक औरंगजेब ने 11 मार्च, 1689 को बड़ी ही क्रूरता से हत्या कर दी थी। उन्हीं संभाजी राजे के नाम पर औरंगाबाद शहर का नाम बदलने की बात हो रही है। औरंगाबाद शहर का नाम औरंगजेब के नाम पर है।

औरंगजेब निर्मित किला के जीर्णोद्धार की मांग

औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर तेज हुई सियासत के बीच स्थानीय सांस्कृतिक विशेषज्ञों ने मांग की है कि मुगल शासक द्वारा बनाए गए किला-ए-अर्क का जीर्णोद्वार कर उसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए। उनका कहना है कि विगत कुछ वर्षो में परिसर में नए निर्माण हुए हैं और पुराना ढांचा ढह रहा है, जिसकी मरम्मत तथा जीर्णोद्धार की जरूरत है। इस बारे में औरंगाबाद के जिला कलेक्टर सुनील चव्हाण से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन निकट भविष्य में संरक्षण का काम शुरू करेगा।

इंडियन नेशनल ट्रस्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के औरंगाबाद चैप्टर के संयोजक अजय कुलकर्णी बताते हैं कि इस किले का निर्माण औरंगजेब ने 1650 में कराया था। रखरखाव के अभाव में यह जीर्ण-शीर्ण हो गया है। किला विशेषज्ञ संकेत कुलकर्णी ने बताया कि राज्य पुरातत्व विभाग ने इसे स्मारक के रूप में अधिसूचित किया था, लेकिन 1971 में गैर-अधिसूचित कर दिया गया।


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