बालिग कुंवारी बेटी भी कर सकती गुजारा भत्ता की मांग
अपनी 19 वर्षीय कुंवारी बेटी के लिए अलग रह रहे पति से गुजारा भत्ता दिलाने की मांग को लेकर महिला ने पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन वह खारिज हो गई।
मुंबई, प्रेट्र। अगर मां-बाप तलाकशुदा या अलग-अलग रह रहे हों तो बालिग कुंवारी बेटी भी अपने पिता से गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है। बांबे हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में यह व्यवस्था दी है। इतना ही नहीं उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की अपनी बेटी की तरफ से एक मां भी गुजारा भत्ता के लिए याचिका दाखिल कर सकती है।जस्टिस भारती दांग्रे की पीठ ने मुंबई निवासी एक महिला की याचिका का निस्तारण करते हुए शुक्रवार को यह व्यवस्था दी। उक्त महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। अपनी 19 वर्षीय कुंवारी बेटी के लिए अलग रह रहे पति से गुजारा भत्ता दिलाने की मांग को लेकर महिला ने पारिवारिक न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन वह खारिज हो गई।
फैमिली कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 (1) (बी) का हवाला देते हुए कहा कि केवल नाबालिग बच्चों के लिए ही गुजारा भत्ता दिए जाने का प्रावधान है, लिहाजा अर्जी खारिज की जाती है। हाई कोर्ट की जस्टिस दांग्रे ने अपने आदेश में कहा कि सीआरपीसी के प्रावधान के अनुसार एक बालिग बच्चा तभी गुजारा भत्ता का हकदार है, जब वह किसी शारीरिक या मानसिक समस्या के चलते अपना भरण-पोषण करने में सक्षम न हो। लेकिन सुप्रीम कोर्ट एवं कई उच्च न्यायालयों ने यह व्यवस्था दी है कि अगर बालिग कुंवारी बेटी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है तो वह भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है।