भाजपा के लिए काम नहीं करता संघ
देवधर ने कहा कि सबसे बड़ा उदाहरण नागपुर है। यहां स्थापना से लेकर आज तक संघ का काम अच्छा रहा है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। भाजपा के त्रिपुरा प्रभारी सुनील देवधर का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहीं भी सिर्फ इसलिए काम नहीं करता है कि उसे भविष्य में वहां भाजपा को स्थापित करना है। हाल ही में माकपा शासित त्रिपुरा में भाजपा को भारी जीत दिलाने वाले सुनील देवधर मंगलवार को मुंबई प्रेस क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि संघ का काम कहीं अच्छा होना इस बात की गारंटी नहीं होती, कि वहां भाजपा ही जीतेगी।
देवधर ने कहा कि सबसे बड़ा उदाहरण नागपुर है। यहां स्थापना से लेकर आज तक संघ का काम अच्छा रहा है। इसके बावजूद वहां लंबे समय तक विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ही जीतती रही। इसी प्रकार संघ के कार्य की दृष्टि से केरल बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन वहां भी भाजपा का सिर्फ एक विधायक है। देवधर के अनुसार, संघ अपना काम करता जाता है। चूंकि उसकी और भाजपा की विचारधारा एक है, इसलिए भाजपा को संघ के कार्यों का लाभ अवश्य मिलता है।
त्रिपुरा में अब तक भाजपा के कमजोर रहने का कारण बताते हुए देवधर ने कहा कि त्रिपुरा में संघ हमेशा से कमजोर रहा है। यहां तक कि उत्तर-पूर्व के अन्य राज्यों की तुलना में भी वहां संघ का काम कमजोर रहा। क्योंकि 1980 से 2010 तक त्रिपुरा में आतंकवाद का दौर था। जिसके कारण वहां संघ की शाखाएं लगनी आसान नहीं थीं। उसी दौरान एक आतंकी संगठन एनएलएफटी ने संघ के चार वरिष्ठ प्रचारकों का अपहरण कर उन्हें करीब साल भर बंधक रखा और फिर उनकी हत्या कर दी थी। आतंक के इस माहौल में वहां संघ का काम भी कमजोर रहा और भाजपा भी कमजोर रही।
कांग्रेस नेतृत्व ने कभी त्रिपुरा जीतने में रुचि ही नहीं दिखाई देवधर ने कहा कि एक तरफ त्रिपुरा में भाजपा कमजोर रही, तो कांग्रेस नेतृत्व ने कभी त्रिपुरा जीतने में रुचि ही नहीं दिखाई। चुनाव के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के न पहुंचने से कई रैलियां रद्द करनी पड़ीं और कांग्रेस में भरोसा
रखनेवाले लोगों का उत्साह टूटता गया। यही कारण है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जब वहां के लोगों को भाजपा के रूप में उम्मीद की एक किरण दिखाई दी, तो कांग्रेस में भरोसा रखने वाले लोग भाजपा की ओर आकर्षित होने लगे। एक के बाद एक राज्यों में भाजपा की सरकारें बनने से यह भरोसा और बढ़ा। पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले असम में भाजपा की सरकार बनने के बाद तो पूरा माहौल ही भाजपा के पक्ष में हो गया।