नासिक जैसे शहरों में अप्रत्याशित बारिश का खतरा ज्यादा
हाल के कुछ वर्षों में मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में हुई अप्रत्याशित बारिश ने शहरों में बाढ़ प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं।
मुंबई। भारत में तेजी से हो रहे शहरीकरण के बीच वैज्ञानिकों ने नई चेतावनी जारी की है। ताजा अध्ययन के मुताबिक कानपुर, नासिक और दुर्गापुर जैसे नए विकसित हो रहे शहरों में पहले से स्थापित शहरों के मुकाबले अप्रत्याशित बारिश का खतरा ज्यादा है।
अमेरिका की परड्यू यूनिवर्सिटी और आइआइटी, बांबे ने शहरीकरण और अप्रत्याशित बारिश के बीच संबंध को लेकर अध्ययन किया है। अध्ययन के नतीजे इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भारत में स्मार्ट सिटी और आधुनिक ढांचागत विकास पर बहुत जोर दिया जा रहा है।
यह भी पढ़ें- शिवसेना के अडिय़ल रुख के चलते टला एमएनएस के साथ गठबंधन
हाल के कुछ वर्षों में मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में हुई अप्रत्याशित बारिश ने शहरों में बाढ़ प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में इस अध्ययन के नतीजे बारिश के पैटर्न में होने वाले बदलाव को समझने में सहायक होंगे।साथ ही, इसकी मदद से नए शहरों में बाढ़ प्रबंधन की व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में काम किया जा सकता है। परड्यू के प्रोफेसर देव नियोगी ने कहा कि बारिश के पैटर्न को लेकर पुराने अध्ययन भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
नियोगी ने कहा, "बारिश का पैटर्न पूरे भारत में बदल रहा है। इसे समझने के लिए हमने वैश्विक परिस्थितियों के साथ शहरीकरण जैसी स्थानीय परिस्थितियों को समझा और पर्यावरण पर इनके प्रभाव का अध्ययन किया।" अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि शहरीकरण और बारिश के पैटर्न में हो रहे बदलाव में संबंध है।
104 साल के आंकड़ों का अध्ययन
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 1901 से 2004 के बीच मानसून के दिनों में हुई रोजाना की बारिश के आंकड़ों का अध्ययन किया। इसके लिए देशभर में मौसम विभाग के 1800 केंद्रों से आंकड़े जुटाए गए थे।
क्या है खतरा
वैज्ञानिकों का कहना है कि पुराने शहरों में अब भूसंरचना में ज्यादा बदलाव नहीं हो रहा है। इसलिए स्थानीय परिस्थितियों का पर्यावरण पर असर नहीं बचा है। लेकिन नए शहरों को विकसित करने के लिए वहां तेजी से वनों की कटाई हो रही है और भूसंरचना में बदलाव हो रहा है। यह बदलाव वहां के पर्यावरण पर असर डाल रहा है।
यह भी पढ़ें- 12वीं की किताब में लिखा है, बदसूरत-दिव्यांग लड़कियां दहेज का कारण